ईरान में कोरोना वायरस के बाद बने हालात के कारण वहां फंसे भारतीयों को स्वदेश वापस लाने का काम शुरू हो गया है गया है। ईरान में फंसे भारतीयों में से ५८ लोगों का पहला जत्था मंगलवार को गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पहुंच गया। इन्हें एयरफोर्स के जहाज में वहां से लाया गया। सोमवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर जब कश्मीर गए थे तो वहां ईरान में फंसे कश्मीरी छात्रों और कोम शहर में फंसे जायरीनों के परिजनों ने भी उनसे जल्द वापस लाने की मांग की थी।
भारतीय वायु सेना का सी-१७ ग्लोबमास्टर परिवहन विमान मंगलवार को हिंडन एयरबेस पहुंचा। विमान में विशेषज्ञ चिकित्सा दल भी गया था। इस विमान में ५८ जायरीन थे, जो ईरान के शहर तेहरान से लाए गए हैं। ईरान में करीब दो हजार भारतीय रह रहे हैं।
इससे पहले फरवरी में वुहान से ६०० से ज्यादा भारतीयों को वापस स्वदेश लाया गया था। मंगलवार को जिन भारतीयों को वापस लाया गया है, उनमें से काफी जम्मू कश्मीर के रहने वाले हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को श्रीनगर का दौरा करने के दौरान कोरोनावायरस से जूझ रहे ईरान में फंसे कश्मीरी छात्रों के माता-पिता को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया था।
विदेश मंत्री ने बताया था कि सरकार पहले तीर्थयात्रियों को निकालने की प्रक्रिया में है, जो आमतौर पर उम्र में बड़े होते हैं और उम्रदराज होने की वजह से वह कोरोनावायरस संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं। उन्होंने कहा था कि जायरीन को वापस लाने के बाद जल्द ही छात्रों को निकाल लिया जाएगा जिससे लगता है कि जल्द ही ईरान से और लोगों को भारत लाने के लिए विमान वहां भेजा जाएगा। तीन दिन पहले ईरान की महान एयरलाइन का विमान वहां से ३०० भारतीयों के स्वैब सैंपल लेकर भारत आया था।