विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार को अचानक कश्मीर दौरे पर पहुंचे और ईरान में फंसे लोगों व छात्रों के परिजनों से मुलाकात की। केंद्रीय मंत्री सेना के एक वरिष्ठ कमांडर से घाटी में सुरक्षा व्यवस्था की भी जानकारी लेंगे। जयशंकर ने घाटी की मशहूर डल झील के किनारे स्थित कश्मीर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन परिसर में लोगों से मुलाकात की। बता दें कोरोना के खौफ के चलते कई कश्मीरी छात्र ईरान में फंसे हुए हैं। परिजन उनको तत्काल वहाँ से निकालने की गुहार लगा रहे हैं।
घाटी के आला अफसरों का कहना है कि ईरान में फंसे लोगों के करीब 100 परिजन एकजुट हुए थे। ईरान के कोम शहर में कई छात्र और जायरीन फंसे हुए हैं। सरकार से उनको जल्द से जल्द विशेष प्लेन के जरिये वापस लाने की जाने की मांग की जा रही है। कोरोना की मार झेल रहे ईरान में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। इससे हजारों विदेशी फंस गए हैं। जयशंकर ने फंसे लोगों के परिजनों से ताजा हालात के बारे में जानकारी दी।
विदेश मंत्री ने बताया कि सरकार ने ईरान से भारतीयों को वापस लाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। जल्द ही सभी फंसे भारतीयों को वापस लाया जाएगा। इससे पहले वहां पर फंसे भारतीयों के स्वाब टेस्ट मंगवाए गए थे, जिनकी जांच की जा रही है। जयशंकर ने ट्विटर पर लिखा था कि ईरान के कोम में फंसे जायरीनों को भारत वापस लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। स्क्रीनिंग की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है और अन्य तैयारियों को लेकर ईरानी अधिकारियों से चर्चा की जा रही है।
जयशंकर ने लिखा कि ईरान में भारतीय उच्चायोग की ओर से गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। भारतीय उच्चायोग ईरान में भारतीय मछुआरों से करीबी संपर्क में है और अब तक उनके बीच कोरोना वायरस से संक्रमण का कोई भी मामला सामने नहीं आया है। जल्द ही सभी की वापसी के इंतजाम किए जा रहे हैं।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विदेश मंत्री ने पर्यटन उद्योग से जुडे लोगों से भी चर्चा की। उद्योग के समक्ष आने वाली समस्याओं पर बातचीत की। जयशंकर ने यहां मौजूद बुलेवार्ड इलाके में स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय का दौरा कर कामकाज का जायजा लिया।