इस बरसात में हिमाचल प्रदेश के 1217 करोड़ रूपये बारसिह और बाढ़ में धुल गए। यही नहीं २६४ लोगों की जान भी चली गयी जिनमें बारिश की बजह से सड़क हादसों में मरने वाले भी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने मंगलवार को शिमला में मानसून के दौरान नुकसान की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि मानसून के पहली जुलाई से १७ सितंबर तक की अवधि में १२१७.२९ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यह नुकसान भारी बारिश, बाढ़ और बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं से हुआ। सीएम ने कहा कि पीडब्ल्यूडी को सड़कों, पुलों, डंगों और दीवारों को हुई क्षति से सर्वाधिक ७३५ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। भारी बारिश के साथ मलबे की अनियोजित डंपिंग भी सड़कों की क्षति का कारण रहा। सीएम ने अधिकारीयों से कहा कि उचित डंपिंग स्थल चिन्हित किए जाने चाहिए और यह भी सुनिश्चित बनाया जाना चाहिए कि मलबे का निपटान चिह्नित स्थलों पर ही किया जाए।
बैठक में दी गयी जानकारी के मुताबिक मानसून में आईपीएच को ३२८.७८ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कृषि व बागवानी क्षेत्र को ८८.८१ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जबकि ऊर्जा क्षेत्र को
२४.५० करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा। सीएम ने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य की क्षतिग्रस्त अधोसंरचनाओं की तत्काल बहाली और मरम्मत कार्यों के लिए २२९.६४ करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में बादल फटने के ३३ और भूस्खलन के ३९१ मामले सामने आए, जिनसे संपत्ति को भारी नुकसान हुआ।
सीएम के मुताबिक इस अवधि के दौरान कुल २६४ लोगों की जाने गईं, जिनमें क्षतिग्रस्त सड़कों के कारण सड़क दुर्घटनाओं से १९९ मौतें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कांगड़ा जिले के नूरपुर में एक एनडीआरएफ की कंपनी तैनात की गई है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व मनीषा नंदा ने कहा कि प्रदेश में हाल ही में पूर्व चेतावनी और अलर्ट प्रणाली के लिए एनडीएमए द्वारा विकसित पायलट टेस्टिंग ऑफ कॉमन अलर्ट प्लेटफार्म का प्रशिक्षण किया गया। विशेष सचिव राजस्व और आपदा प्रबंधन डीसी राणा ने इस अवसर पर राज्य में बाढ़ व वर्षा के कारण हुई क्षति पर विस्तृत प्रस्तुति दी। राज्य सरकार शीघ्र ही प्रदेश को हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार को ज्ञापन प्रस्तुत करेगी।