इसरो ने बुधवार को एक और बड़ी छलांग लगाते हुए अपने महत्वाकांक्षी उपग्रह जीसैट-७ए को शाम करीब ४.१० बजे लांच कर दिया। जीसैट-७ए इसरो का ३५वां संचार उपग्रह है। इससे इंटरनेट को और रफ्तार मिलेगी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक जीसैट-७ए उपग्रह भारतीय वायुसेना के लिए बहुत अहम् साबित होगा। गौरतलब है कि इसी महीने पांच तारीख को इसरो ने अपना अब तक का सबसे ज्यादा वजन वाला उपग्रह जीसैट-११ सफलतापूर्वक लांच किया था।
इसरो के अध्यक्ष के सीवन ने मीडिया को जानकारी दी कि यह अत्याधुनिक उपग्रह है, जिसे ज़रूरतों के हिसाब से बनाया गया है। ”यह सबसे दूरदराज के इलाकों में भी हाथ मे पकड़े जाने वाले उपकरणों और उड़ते उपकरणों से भी संपर्क कर सकता है।”
इस उपग्रह से भारतीय वायुसेना को वह ताकत मिलेगी, जिसकी उसे बहुत ज़रूरत है। भारतीय वायुसेना को इससे इन्टीग्रेटेड एयर कमांड और हवाई लड़ाकों के लिए कंट्रोल सिस्टम में संचार का एक ताकतवर पहलू जुड़ जाएगा। अब तक भारतीय वायुसेना ट्रांसपॉन्डर किराये पर लिया करती थी, जिसकी जासूसी करना आसान था।
इस बीच इसरो कि संचार उपग्रह जीसैट-७ए को उपग्रह प्रक्षेपण यान जीएसएलवी-एफ-११ के जरिए श्रीहरिकोटा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे स्टेशन से लॉच किया गया है। इसके लिए मंगलवार को ही तैयारियां पूरी काउंट डाउन शुरू कर दिया गया था। इसरो ने पांच दिसंबर को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी एरियानेस्पेस के फ्रेंच गुआना से संचार उपग्रह जीसैट-११ के सफल प्रक्षेपण के बाद ही संचार उपग्रह जीसैट-७ए के प्रक्षेपण की घोषणा कर दी थी।
इस महीने लांच हुए इसरो के दोनों संचार उपग्रहों से भारत में संचार सुविधाएं बेहतर होंगी। इसका सबसे बड़ा लाभ इंटरनेट यूजर्स को मिलेगा। इनसे इंटरनेट की रफ्तार तेज होगी। जीसैट-७ए भारतीय क्षेत्र में केयू बैंड में उपयोगकर्ताओं को संचार क्षमता प्रदान करेगा। इसरो के अनुसार जीसैट-७ए सेटेलाइट मिशन की अवधि आठ साल होगी।