इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर गुरूवार को संसदमें जमकर हंगामा हुआ। कांग्रेस सदस्य शशि थरूर ने इस मामले को उठाया और कहा कि जब इलेक्टोरल बॉन्ड पेश किए गए थे, तो हममें से कई लोगों ने इस पर गंभीर आपत्ति जताई थी कि कैसे यह खासकर सत्तारूढ़ पार्टी को प्रभावित करने का एक जरिया बन सकता है।
कांग्रेस ने इलेक्टोरल बॉन्ड का मुद्दा उठाते हुए मोदी सरकार को घेरा। मुख्य विपक्षी पार्टी ने मांग की कि भाजपा इलेक्टोरल बॉन्ड से मिलने वाले पूरे चंदे का खुलासा करे। लोकसभा अध्यक्ष ने इस मुद्दे पर पेपर टेबल पर रखने की बात कही। इस मसले को लेकर सदन में जोरदार हंगामा हुआ।
कांग्रेस ने लगातार दूसरे दिन इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में हंगामा किया। इस दौरान लोकसभा में विपक्ष के सदस्य नारेबाजी करते हुए वेल में आ गए। स्पीकर ओम बिड़ला ने उन्हें सदन का अनुशासन बनाए रखने की हिदायत दी। याद रहे कांग्रेस बॉन्ड में पारदर्शिता की मांग कर रही है।
कांग्रेस के शशि थरूर ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कारोबारी और अमीर लोग सत्ताधारी पार्टी को चंदा देकर राजनीतिक हस्तक्षेप करेंगे। उधर, राज्यसभा में भी बॉन्ड और पीयूसी कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने समेत अन्य मुद्दों पर राज्यसभा में हंगामा हुआ।
कांग्रेस के ही मनीष तिवारी ने कहा कि वे इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की ओर सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। कहा कि बॉन्ड के जरिए भ्रष्टाचार को छिपाया गया। यह योजना सिर्फ चुनावों तक सीमित थी, लेकिन २०१८ में एक आरटीआई जानकारी में सामने आया कि सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर आरबीआई को दरकिनार कर दिया।
कांग्रेस ने एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के हवाले से आरोप लगाया कि सरकार ने आरबीआई के सुझाव और चेतावनियों को दरकिनार किया। इसके अलावा चुनाव आयोग ने २०१७ में इस योजना को आगे बढ़ा दिया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि २०१८ में कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले पीएमओ ने इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री के लिए स्पेशल विंडो खोलने के लिए कहा था। जबकि स्कीम केवल लोकसभा चुनाव तक ही सीमित थी।