चर्चित गीतकार ओम प्रकाश ‘अभिलाष’ का रविवार रात निधन हो गया। लॉकडाउन लगने के दौरान उनके पेट के ट्यूमर का ऑपरेशन हुआ था, इसके बाद बाद से ही उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी। उनकी पहचान एक अच्छे गीत गाने वालों और मुशायरों में शिरकत करने वाले के तौर पर की जाती है।
13 मार्च 1946 को दिल्ली में जन्मे अभिलाष ने महज 12 साल की उम्र में कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं। 14-15 साल की उम्र में ही मंच पर कविता पाठ करने लगे। उनका असली नाम ओम प्रकाश है। अभिलाष नाम उनको दोस्तों का दिया है, जो उनके पहले गाने की रिकॉर्डिंग के बाद उनका नाम ओम प्रकाश एलबम में नहीं देना चाहते थे। ओम प्रकाश का एक तखल्लुस ‘अजीज’ भी रहा। ओमप्रकाश ‘अजीज’ के नाम से उनकी गजलें, नज्में और कहानियां कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं।
मुशायरों में वे अजीज देहलवी नाम से शिरकत करते थे। वह मन ही मन साहिर लुधियानवी को अपना उस्ताद मानते रहे। दिल्ली के एक मुशायरे में साहिर लुधियानवी से मिलकर नौजवान शायर अजीज देहलवी ने उनका आशीर्वाद लिया और अपनी कुछ नज्में सुनाईं। साहिर ने कहा, ‘मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं अपाकी जुबां से अपनी नज्में सुन रहा हूं। तुम अपना रास्ता अलग करो। ऐसी गजलें और नज्में लिखो जिसमें तुम्हारा अपना रंग दिखाई पड़े। इसके बाद उन्होंने अपनी शैली में ही लेखन किया।
तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने उनकी प्रतिभा को पहचानकर उन्हें कलाश्री सम्मान से नवाजा था। ज्ञानी जैल सिंह ने मंच से इस बात का जिक्र किया कि अभिलाष का लिखा विश्व प्रसिद्ध गीत ‘इतनी शक्ति हमें दे न दाता’ देश के 600 विद्यालयों में तब प्रार्थना गीत के रूप में गाया जाता था। अब तो इनकी संख्या हजारों में पहुंच चुकी है। इतना ही नहीं, विश्व की आठ भाषाओं में इस गीत का अनुवाद किया जा चुका है।
बता दें कि संगीतकार कुलदीप सिंह ने ‘इतनी शक्ति हमें दे न दाता’ गीत को एन चंद्रा की फिल्म अंकुश के लिए संगीतबद्ध किया था। उन दिनों फिल्म ‘साथ साथ’ में कुलदीप का संगीत सुपर हिट हो चुका था। कुलदीप ने इस गीत के लिए पारिश्रमिक भी नहीं लिया था। यह गीत इतना हिट हुआ कि हर भारतीय की जुबां पर चाहे बच्चा हो या युवा अथवा बुजुर्ग सभी इसे गुनगुनाते मिले।