जबसे कोरोना वायरस नाम की महामारी फैली है, तबसे बहुत-से लोग इसे मज़हबी रंग देने की कोशिशों में लगे हैं। कुछ लोग ऐसे लोगों के बहकावे में आ भी रहे हैं। इसका नतीजा सोशल मीडिया पर फैल रही मज़हबी नफरत से लेकर मॉब लिंचिंग होने तक के रूप में हमारे सामने आ रहा है। अब तो हाल यह हो गया है कि देश में किसी तरह का अपराध करने वालों को भी मज़हबी चश्मे से देखा जाने लगा है। इसी के चलते महाराष्ट्र में पीट-पीटकर की गयी दो साधुओं की हत्या से लेकर उत्तर प्रदेश में की गयी साधुओं की हत्या और हाल ही में उत्तर प्रदेश में ही मॉब लिंचिंग में मार दिये गये एक युवक तक के मामले में मज़हबी भेदभाव की सियासत हावी रही है।
अगर कोई किसी भी घटना को मज़हबी चश्मा हटाकर देखने की कोशिश करता भी है, तो उसे मज़हबी नफरत की दुर्गन्ध फैलाने वाले बर्दाश्त नहीं करते। सोशल मीडिया पर आये दिन इसी को लेकर बहसबाज़ी और गाली-गलौज तक होती रहती है। मज़हबी नफरत फैलाने वाला तबका इस अभद्रता का सूत्रधार होता है। सच तो यह है कि ऐसे तबके हर मज़हब में हैं, जिन्हें खड़ा करने वाले या तो सियासी हैं या फिर मज़हबों के ठेकेदार। ये वे लोग हैं, जो कई मुखौटे ओढ़े हुए हैं। बाहर से हमेशा विनम्र दिखने वाले ये लोग अन्दर से उतने ही क्रूर हैं। इनके संरक्षण में दहशतगर्द, दंगा-फसाद करने-कराने वाले, बड़े-बड़े माफिया से लेकर छोटे-मोटे स्तर पर गुण्डागर्दी करने वाले लोग तक रहते हैं; जिनका काम सिर्फ और सिर्फ इंसानों को तोडऩा और किसी-न-किसी तरह उन्हें लूटना है। मज़हबी भाँग के नशे में या लालच में हर समाज का एक बड़ा तबका ऐसे ही लोगों के बहकावे में फँसा रहता है, जो इन लोगों के द्वारा लगायी गयी आग में घी डालने का काम बड़ी आसानी से करता है। यही वजह है कि नफरत दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। लेकिन नफरतों के आज के माहौल में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो सभी के साथ एक जैसा मोहब्बत भरा भाईचारे का व्यवहार करते हैं। ये वे लोग हैं जिन्हें हिन्दुस्तान की गंगा-जमुनी तहज़ीब और देश की एकता पसन्द है। ये वे लोग हैं, जो जानते हैं कि देशविरोधी ताकतें काफी मज़बूत हो चुकी हैं और वो अपने फायदे के लिए किसी भी हद तक गिर सकती हैं। कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी, अगर कहा जाए कि मज़हबी नफरत फैलाकर लोगों को तोडक़र सियासत का घिनौना खेल खेलने वाली ये सियासी ताकतें लोगों की लाशों पर खड़े होकर ही तैयार हुई हैं।
लेकिन नफरत कितनी भी बढ़ जाए, यह तय है कि मोहब्बत ज़िन्दा रहेगी; इंसानियत ज़िन्दा रहेगी। इसके कुछ उदाहरण हाल ही चन्द घटनाओं के तौर पर देखे जा सकते हैं। मसलन, कोरोना वायरस के संक्रमणकाल में कुछ हिन्दुओं की मौत पर अनेक मुस्लिमों ने उनके शवों को काँधा दिया। हाल ही में मरे एक पुजारी तक को अनेक हिन्दुओं ने हाथ नहीं लगाया, तब कुछ मुस्लिम युवक आगे आये और पुजारी का अन्तिम संस्कार कराया। इसी तरह एक नवजात की जान बचाने के लिए एक मुस्लिम युवक ने दिन में ही रोज़ा खोलकर बच्ची को खून दिया। वहीं कई हिन्दू भी मुस्लिमों के लिए फरिश्ता बन चुके हैं। अनेक हिन्दू उन मुस्लिमों के पक्ष में लगातार खुलकर बोल रहे हैं, जिन पर अत्याचार हुए हैं या जो निर्दोष होते हुए भी सज़ा-प्रताडऩा भुगत रहे हैं।
एक बार गुरु नानक देव किसी गाँव में पहुँचे, वहाँ के लोग सन्तों का अपमान करने वाले, अभद्र और झगड़ालू थे। उन्होंने गुरु नानक देव और उनके शिष्यों का जमकर तिरस्कार और अनादर किया। उन्हें अपशब्द कहे। जब गुरु नानक देव वहाँ से चलने लगे, तो कुछ लोगों ने उनका मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि उन्हें आशीर्वाद नहीं देंगे? इस पर गुरु नानक देव ने मुस्कुराते हुए कहा- ‘आबाद रहो!’ उसके बाद गुरु नानक देव निकट के एक दूसरे गाँव में गये। वहाँ के लोग नेकदिल, भले, संस्कारवान और ईश्वर में आस्था रखने वाले थे। उन लोगों ने गुरु नानक देव और उनके शिष्यों का बहुत आदर-सत्कार किया। जब गुरु नानक देव इस गाँव से जो लगे, तो वहाँ के लोगों ने उनसे आशीर्वाद देने की प्रार्थना की। इस पर गुरु नानक देव ने कहा- ‘उजड़ जाओ!’ यह बात उनके शिष्यों को अजीब लगी। आिखरकार उनमें से एक ने पूछ ही लिया कि गुरुदेव! आपने हमारा अपमान और तिरस्कार करने वालों को आशीर्वाद दिया, जबकि हमारा सम्मान और सत्कार करने वालों को श्राप दिया; ऐसा क्यों? तब गुरु नानक देव ने कहा कि अगर बुरे लोग दुनिया में फैलेंगे, तो वे और लोगों को भी अपनी तरह दुर्जन (बुरा) बनाएँगे। इसलिए मैंने उन्हें एक ही जगह रहने का आशीर्वाद दिया। जबकि दूसरे सभ्य और शालीन लोग जहाँ-जहाँ जाएँगे अपनी अच्छाइयाँ फैलाएँगे। इसीलिए मैंने उन्हें दुनिया भर में फैल जाने का आशीर्वाद दिया।
गुरु नानक देव का कहना बिल्कुल सही है। जिस समाज में जिस तरह के लोग अधिक फैलते हैं, उसी तरह का माहौल भी उस समाज का बनता है। इसमें दो-राय नहीं कि आज बुरी प्रवृत्ति के लोग ज़्यादा फैल चुके हैं और ये हर जगह हैं। यही वजह है कि आज नफरतें और झगड़े बढ़ते जा रहे हैं, जिससे हर सीधा-सच्चा इंसान भयभीत और असुरक्षित होता जा रहा है।
सवाल यह है कि क्या इस नफरत और अपराध के बीज बोने वालों की देश-विरोधी, इंसान-विरोधी नीतियों को रोका जा सकता है? बिल्कुल रोका जा सकता है। क्योंकि इसमें कोई दो-राय नहीं कि आग कितनी भी प्रबल हो, पानी से बुझायी जा सकती है, बशर्ते पानी उतनी ही मात्रा में और उतनी ही तेज़ी से डाला जाए, जितनी प्रचण्ड आग हो। इसी तरह नफरत की आग को मोहब्बत से बुझाया जा सकता है; बशर्ते नफरतें फैलाने वालों को उतना ही आपसी भाईचारे और मोहब्बत की मिसालें पेश करके जवाब दिया जाए।