इंडोनेशिया में ज्वालामुखी फटने के बाद की सुनामी में मरने वालों की संख्या ४५५ हो गई है। लोगों को बचाने और अन्य राहत कार्यों के लिए हजारों सैनिक और बचाव दल काम पर जुटे हैं। समुद्र तट मलवे में तब्दील हो गया है और वहां लोगों की तलाश की जा रही है।
इंडोनेशिया के प्रभावित क्षेत्र में काम कर रहे खोज और बचाव दल ने बुधवार को भी दूरवर्ती द्वीपों पर फंसे लोगों को निकाला। एक ज्वालामुखी में विस्फोट से आई सुनामी का दंश झेल रहे इन लोगों को अब भी मदद की दरकार है। चिकित्सा कर्मियों ने चेतावनी दी है कि स्वच्छ पानी और दवाइयों की आपूर्ति कम हो गई है, जिससे जन स्वास्थ्य का संकट पैदा होने की आशंका बढ़ गई है। हजारों विस्थापित लोग आश्रय गृहों और अस्पतालों में ठसाठस भरे पड़े हैं। सुनामी के चलते कई लोग बेघर हो गए हैं।
आपदा एजेंसी ने कहा कि पश्चिम जावा और दक्षिणी सुमात्रा की तटरेखा पर रह रहे समुदायों तक सामान पहुंचाने के लिए हेलीकॉप्टरों को तैनात किया गया है। एजेंसी ने बताया कि जावा और सुमात्रा को अलग करने वाली सुन्दा जलसंधि में छोटे द्वीपों पर अब भी हजारों निवासी फंसे हुए हैं। इन्हें हेलीकॉप्टर से निकाला जाएगा या नौकाओं से ले जाया जाएगा।
अपनी नए बुलेटिन में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी ने बताया है कि मरने वाले की संख्या ४५५ पहुंच गई है जबकि कई अभी लापता हैं जिनकी तलाश की जा रही है। कहा जा रहा है मरने वालों की संख्या ज्यादा हो सकती है। आपदा में सैंकड़ों लोग घायल हुए हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक एजेंसी का कहना है कि सेना और पुलिस मलबे की तलाश कर रही है ताकि हम अन्य पीड़ितों को ढूंढ पाएं। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने भी सोमवार को इलाके का दौरा किया। सुनामी से सबसे ज्यादा प्रभावित बांतेन क्षेत्र के इंडोनेशियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा कि डॉक्टरों, मेडिकल सप्लाई को प्रभावित इलाकों में भेजा गया है।