विपक्षी गठबंधन इंडिया में सीटों के बँटवारे को लेकर आड़े आ सकती हैं चुनौतियाँ
देश में चुनावी माहौल के बीच इन दिनों एक नये मुद्दे ‘भारत’ और ‘इंडिया’ को लेकर राजनीतिक पार्टियों में विवाद जारी है। इस विवाद ने मीडिया में उस समय सुर्ख़ियाँ बटोरीं, जब राष्ट्रपति भवन ने 9 सितंबर को जी20 के उपलक्ष्य में रात्रिभोज के लिए सभी नेताओं को निमंत्रण पत्र भेजा। राष्ट्रपति के लेटर हैड पर लिखे इस निमंत्रण पत्र पर ‘द प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की बजाय ‘द प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा हुआ था। इस पत्र के सार्वजनिक होने के बाद से ही भारत और इंडिया को लेकर राजनीतिक पार्टियों में तो विवाद छिड़ा ही, मीडिया में भी लगातार विषय बहस का हिस्सा बना।
राष्ट्रपति के लेटर हेड पर लिखे ‘द प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ को लेकर विपक्ष का कहना है कि विपक्षी गठबंधन का नाम इंडिया (I.N.D.I.A.) है, इसलिए सत्ताधारी पार्टी इंडिया शब्द की जगह भारत शब्द को प्रमुखता दे रही है। इस मुद्दे पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा- ‘तो ये ख़बर वाक़ई सच है। राष्ट्रपति भवन में 9 सितंबर को जी20 प्रतिनिधियों के रात्रिभोज के लिए निमंत्रण पत्र पर प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की बजाय प्रेसिडेंट ऑफ भारत के नाम पर निमंत्रण भेजा है। संविधान के आर्टिकल-1 में लिखा है कि भारत, जो इंडिया है; राज्यों का एक समूह होगा। लेकिन अब इस राज्यों के समूह पर हमला हो रहा है।’
इस वर्ष देश के पाँच राज्यों- राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव और वर्ष 2024 की शुरुआत में लोकसभा चुनाव होने हैं। वहीं दूसरी तरफ़ राजनीतिक पार्टियों में भारत और इंडिया शब्द के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा 18 से 22 सितंबर तक के लिए संसद के विशेष सत्र का बुलाना राजनीतिक दलों में आशंकाओं के साथ ही आरोप-प्रत्यारोप का विषय बन गया है। विपक्ष का कहना है कि इस विशेष सत्र में संविधान में संशोधन कर देश का नाम इंडिया से भारत किये जाने की आशंका के अलावा अन्य मुद्दे भी छिड़ सकते हैं। हालाँकि अभी यह साफ़ नहीं हुआ है कि केंद्र सरकार द्वारा संसद के पाँच दिनों के विशेष सत्र में किन मुद्दों पर चर्चा होगी? लेकिन जिस प्रकार सत्ताधारी पक्ष और विपक्ष में घमासान जारी है, उससे एक सवाल यह उठता है कि क्या वाक़ई इंडिया और भारत एक नहीं हैं?
बता दें कि जब विपक्षी गठबंधन इंडिया की तीसरी बैठक मुंबई में हुई, तो दूसरी तरफ़ संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी द्वारा एक्स (पूर्व ट्विटर) पर विशेष सत्र की जानकारी दी। ये सब सभी राजनीतिक दलों के बीच तरह-तरह के कयासों को जन्म देने वाला था। राजनीतिक दलों के साथ-साथ आम जनता में ये भी कयास लगने शुरू हो गये कि क्या एक देश-एक चुनाव के तहत विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराये जाएँगे? या महिला आरक्षण बिल, एनजेएसी, काशी और मथुरा विवाद, इंडिया बनाम भारत, यूसीसी और अन्य मुद्दे इस विशेष सत्र में चर्चा का विषय होंगे? इधर नये गठबंधन ‘इंडिया’ में अपनी ही कुछ अलग चुनौतियाँ हैं, जिसमें सर्वप्रथम सीटों के बँटवारे को लेकर मुश्किलें दिख रही हैं। इसी महीने की 13 सितंबर को शरद पवार के आवास पर विपक्षी गठबंधन इंडिया की कोऑर्डिनेशन कमेटी की पहली बैठक हुई। बैठक के बाद कांग्रेस नेता के.सी. वेणुगोपाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सीटों के बँटवारे को लेकर अभी कोई फ़ैसला नहीं हुआ है। सभी पार्टियाँ मिलकर इस बारे में जल्द फ़ैसला करेंगी। फ़िलहाल हमने देश के अलग-अलग राज्यों में रैलियाँ करने का फ़ैसला लिया है। पहली रैली अक्टूबर के पहले ह$फ्ते में भोपाल में होगी, जिसमें मोदी सरकार में बढ़ रही बेरोज़गारी, महँगाई, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों की बात होगी। सभी दलों में जाति-जनगणना का मुद्दा उठाने पर भी सहमति बनी है। बैठक के बाद कांग्रेस ने सोशल साइट एक्स पर लिखा- ‘हमने साथ मिलकर लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प लिया है, हम इसे ज़रूर पूरा करेंगे। जुड़ेगा भारत, जीतेगा I.N.D.I.A.’।
पटना और कर्नाटक के बाद मुंबई में तीसरी बैठक के बाद इंडिया गठबंधन के आगे असली चुनौती अब है। दरअसल इंडिया गठबंधन दलों के बीच कई राज्यों में सीटों के बँटवारे को लेकर फॉर्मूला तय किया जाना है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश और बिहार में कांग्रेस की भूमिका के अलावा आम आदमी पार्टी को सीट दिये जाने को लेकर अहम चर्चा होगी। इंडिया गठबंधन में किस राज्य को लेकर क्या पेच फँसा है?
उत्तर प्रदेश : सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की राजनीतिक स्थिति का$फी कमज़ोर है। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए 18 से 20 सीटें चाहती है। सम्भवत: समाजवादी पार्टी इस पर आसानी से तैयार नहीं होगी। वहीं दूसरी चंद्रशेखर रावण को लेकर पेच फँसा है। दरअसल चंद्रशेखर नगीना लोकसभा सीट से चुनाव लडऩा चाहते हैं; लेकिन समाजवादी पार्टी यह सीट छोडऩा नहीं चाहती। इसके अलावा राष्ट्रीय लोकदल को कितनी सीटें देनी हैं, इस पर भी अंतिम फ़ैसला होना है। सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी कुछ सीटें माँग सकते हैं।
बिहार : बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। इंडिया गठबंधन को यहाँ सीटों के बँटवारे को लेकर आम सहमति बनाना सबसे मुश्किल हो सकती है। लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की महत्त्वाकांक्षाओं के बीच कांग्रेस 10 सीटों पर दावेदारी ठोक रही है, जबकि लालू और नीतीश कांग्रेस को छ: सीटें देना चाहते हैं। वहीं वाम दल भी अपने लिए सीटें माँग रहे हैं। सम्भवत: बिहार का महागठबंधन लोकसभा में पूर्व समझौते के अनुरूप उतरने की कोशिश करे, ताकि भाजपा को कम-से-कम सीटों पर रोका जा सके।
आम आदमी पार्टी की बढ़ती राजनीतिक इच्छाएँ भी प्रबल हैं। दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच चुनाव लडऩे को लेकर अभी तक फ़ैसला नहीं हो सका है। दरअसल आम आदमी पार्टी दिल्ली-पंजाब में सीटें देने के बदले गुजरात और हरियाणा में सीटें चाहती है। इसके चलते फ़िलहाल बात नहीं बन पा रही है।
महाराष्ट्र को लेकर भी दिक्क़तें हैं। वहाँ एनसीपी और शिवसेना के बा$गी नेताओं के भाजपा से मिलकर सरकार बनाने के बाद कांग्रेस अपनी खोयी ज़मीन वापस पाने की कोशिश में है, जिसके चलते वह इस राज्य में ज़्यादा सीटें लेने का दबाव बना सकती है। दरअसल, पहले एनसीपी, शिवसेना के साथ राज्य गठबंधन में कांग्रेस तीसरे नंबर की पार्टी थी और पहले की एनसीपी, शिवसेना के सामने बैकफुट पर थी।
पश्चिम बंगाल : पश्चिमी बंगाल में लोकसभा की सीटों के बँटवारे को लेकर अलग ही सिरदर्द है। वहाँ तृणमूल कांग्रेस प्रमुखममता बनर्जी और लेफ्ट किसी भी $कीमत पर साथ आने को तैयार नहीं हैं। हाल में हुए त्रिकोणीय मु$काबले के बावजूद उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा को हरा दिया। कांग्रेस समर्थित लेफ्ट उम्मीदवार को भी मात मिली। ऐसे में ममता बनर्जी समझौते के लिए क़तई तैयार नहीं होंगी। इसलिए पश्चिम बंगाल में सीटों का बँटवारा एक बड़ी चुनौती है। हालाँकि त्रिपुरा में दोनों सीटों पर भाजपा ने कांग्रेस समर्थित लेफ्ट को हरा दिया।
बीजेपी ज़्यादा खुश न हो। इंडिया गठबंधन में सब बँटवारा हो जाएगा। जिन राज्यों में थोड़ी-बहुत दिक्क़त है, उसी के लिए कमेटी बनी है; जो मामलों को चर्चा करके सुलझा लेगी।’’
तारिक अनवर
कांग्रेस महासचिव