भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी के भाषणों और दावों के विपरीत कि पिछले ७० साल में देश में कुछ नहीं हुआ और कांग्रेस ने कुछ नहीं किया, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला के पहले दिन कहा कि आजादी की लड़ाई में कांग्रेस का योगदान अहम था। ”इस तथ्य को आरएसएस ने कभी भी नहीं नकारा। उसने देश को कई महापुरुष दिए ”। मंगलवार को आज संघ के कार्यक्रम का दूसरा दिन है।
इस मौके पर भागवत ने तिरंगे के प्रति आरएसएस के नजरिये से लेकर संघ के प्रति कुछ धारणाओं तक विस्तार से कहा। भागवत ने कहा कि ”अक्सर ये सवाल किया जाता है कि तिरंगे के प्रति संघ का नजरिया क्या है। इस मौके पर साफ कर देना चाहते हैं कि भगवा ध्वज को आप किसी खास नजरिए से न देखें। ये ध्वज भारत की संस्कृति का वाहक है। संघ भारत के तिरंगे का सम्मान करता है और इसके साथ ही भगवा ध्वज को गुरु भी मानता है। देश में संघ अपने दबदबे की अभिलाषा नहीं रखता है। इस तरह की सोच रखने वालों को संघ को संपूर्णता में समझना होगा”।
संघ को लेकर उन्होंने कहा – ”संघ के बारे में नकारात्मक सोच रखने वालों को अपनी सोच में बदलाव करना चाहिए। हमने अनुशासन की एक पद्धति बनाई। हम संघ का प्रभुत्व नहीं चाहते। इतिहास में यदि यह बात सामने आती है कि संघ के प्रभुत्व के चलते कुछ काम अच्छा हुआ तो यह संघ की पराजय है। देश में कुछ अच्छा हुआ तो देश के लोगों के कारण हुआ, इतिहास में इस बात का जिक्र होना चाहिए। -हाल के 20 वर्षों में हम क्या कर रहे हैं, इसका हम ब्योरा रखते हैं। हम प्रसिद्धि के पीछे भागते नहीं। हम अपनी पीठ नहीं थपथपाते। यह कोई उपकार नहीं है। यह समाज और देशहित के लिए काम है। चार अच्छे काम करने के लिए पीठ थपथपाने की जरूरत नहीं है। सभी मिलकर अच्छा कार्य करें। मोहन भागवत की रोज तस्वीरें छपें यह अच्छी बात नहीं है। संघ का उद्देश्य समाज का आचरण अच्छा बनाना है”।
भागवत ने कहा कि आप संकीर्ण सोच के साथ किसी विचारधारा की अवहेलना नहीं कर सकते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि देश के निर्माण में जिन लोगों ने भी भूमिका अदा की संघ से उनका स्वागत किया। विचारों के स्तर पर एक दूसरे को विरोध करने का हक है। लेकिन संकीर्ण सोच के जरिए विरोध की प्रवृत्ति से बचना चाहिए। ”हमारे देश में इतने सारे विचार हैं लेकिन इन सारे विचारों का प्रस्थान बिंदु एक है। विविधताओं से डरने की बात नहीं है, विविधताओं को स्वीकार करने और उसका उत्सव मनाने की जरूरत है। अपनी परंपरा में समन्वय एक मूल्य है। समन्वय मिलजुलकर रहना सीखाता है”।
पहले दिन बॉलीवुड के कुछ सितारों समेत समाज के विभिन्न प्रतिनिधियों ने इस कार्यक्रम में शिरकत की हालाँकि भाजपा के विरोधी या समर्थक दलों के नेता इसमें ज्यादा दिखाई नहीं दिए।