कुछ महीने पहले देश की राजनीति में तूफ़ान लाने वाले उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में दायर याचिका पर यूपी सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल किये अपने जवाब में बताया है कि मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ अपील दायर करने का फैसला संबंधित अधिकारियों के समक्ष विचाराधीन है। साथ ही सरकार ने इन आरोपों को गलत बताया है कि यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में आशीष मिश्रा की जमानत का विरोध नहीं किया।
इस मामले पर प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की विशेष पीठ बुधवार को सुनवाई करेगी। आज सर्वोच्च अदालत में दायर अपने जवाब में यूपी सरकार ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में उसने आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी का पूरा विरोध किया था।
इसके अलावा सरकार ने लखीमपुर खीरी हिंसा में एक गवाह पर हमला करने के आरोपों से भी इनकार किया है। सरकार ने अदालत को बताया कि होली त्यौहार पर रंग फेंकने को लेकर निजी विवाद को लेकर गवाह पर हमला हुआ था।
सरकार ने इन आरोपों को भी अदालत में दायरा जवाब में गलत बताया है कि हमलावरों ने गवाह को यह कहकर धमकी दी थी कि चुनाव में फिर भाजपा जीत गई है लिहाजा उसका ‘ध्यान’ रखेंगे। जवाब में कहा गया है कि चश्मदीदों (झगड़े के दौरान) ने ऐसे किसी बयान से इनकार किया था। सरकार ने अदालत कि हिंसा के पीड़ितों/गवाहों के परिजनों को पूरी सुरक्षा उपलब्ध कराई गयी है।
बता दें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर अपने वाहन से चार किसानों और एक पत्रकार को कुचल कर मारने का आरोप है। उनकी जमानत को अदालत में चुनौती दी गयी है। सर्वोच्च न्यायालय ने 16 मार्च को यूपी सरकार और आशीष मिश्रा को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा था कि क्यों न उनकी (आशीष) जमानत रद्द कर दी जाए।