आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण जातियों को नौकरियों और शिक्षा में १० प्रतिशत अतिरिक्त आरक्षण का बिल मंगलवार को लोक सभा में पेश कर दिया गया। लोक सभा में ५ बजे इस बिल पर बहस शुरू हो गयी है। लोक सभा में मंत्री थाबर चंद गहलोत ने कहा कि इसका लाभ निजी क्षेत्र शिक्षण संस्थानों में भी मिलेगा और यह आरक्षण सभी धर्मों के इसकी परिधि में आने वाले लोगों को मिलेगा।
सोमवार को केबिनेट ने इस आरक्षण प्रस्ताव पर मुहर लगाई थी। इसका लाभ उन लोगों को मिलेगा जिनकी सालाना आय ८ लाख रुपए से कम है और ५ एकड़ भूमि की जोत वाली ज़मीन है। बसपा प्रमुख मायावती, जद(एस) प्रमुख एचडी देवेगौड़ा ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में १० फीसद आरक्षण देने के केंद्र के बिल को समर्थन देने की बात कही है।
मंत्री थाबर चंद गहलोत ने बहस के दौरान साफ़ किया कि इस बिल से आरक्षण का लाभ मुस्लिमों, ईसाईयों और अन्य सभी जो सवर्णों में गरीब हैं को मिलेगा।
कांग्रेस ने इस कदम को चुनावी नौटंकी करार दिया है। कांग्रेस ने कहा कि लोक सभा चुनाव से महज तीन महीने पहले ऐसा बिल लाने से साफ़ हो गया है कि भाजपा की वास्तव में इसमें कोइ दिलचस्पी नहीं थी और तीन राज्यों में चुनाव में हार के बाद उसे सिर्फ चुनाव के लिए इस आरक्षण बिल को इस्तेमाल करना है क्योंकि भाजपा को पता है कि राफेल में भ्रष्टाचार के अलावा किसान और रोजगार के मुद्दे हल करने में फेल होने में उसके प्रति जनता में बहुत नाराजगी है।
उधर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि हाल के विधानसभा चुनावों में हार के बाद उन्हें (भाजपा को) सत्ता में आने के साढ़े चार साल बाद आरक्षण देने की याद आई। ”उनका वास्तव में आरक्षण देने का कोई इरादा नहीं है, अगर वह संसद में पारित नहीं होते हैं तो वे कहेंगे, हमने कोशिश की , लेकिन संसद ने इसे पारित नहीं किया। फिलहाल इस समय लोक सभा में इस बिल पर बहस चल रही है।