जैसी अपेक्षा थी एनडीए सरकार ने अगामी चुनावों को ध्यान में रख कर अपना अंतिम बजट पेश कर दिया। यह अंतरिम बजट पियूष गोयल ने पेश किया। सरकार ने इस बजट में किसान, मज़दूर, और आम जनता के लिए बड़े-बड़े वादे किए। आम जनता खास तौर पर मध्य वर्ग वेतन भोगी लोगों को लुभाते हुए इस बजहट में आयकर के लिए सीमा को पांच लाख तक बढ़ा दिया गया। इस प्रकार जितनी आमदनी पांच लाख तक है उन पर कोई आयकर नहीं लगेगा। इसका लाभ तीन करोड़ लोगों को होने की उम्मीद है।
इसके साथ ही छोटे किसानों को आकर्षित करने के लिए इस बजट में दो हैक्टेयर भूमि के मालिकों की न्यूनतम आय 6000 रु पए साल तय की गई। इसका लाभ 12 करोड़ लोगों को होगा। किसानों को यह पैसा सरकार 2000 की तीन किश्तों में सीधा किसानों के बैंक खातों में जमा करवाएगी। बजट में रेलवे के लिए 64,587 करोड़ रु पए रखे गए हैं। रक्षा क्षेत्र का बजट तीन लाख से ऊपर कर दिया गया। वित्तमंत्री ने यह भी घोषणा की कि यदि ज़रूरी हुआ तो रक्षा बजट और बढ़ाया जा सकता है। सरकार ने 15000 रु पए प्रति माह कमाई वालों के लिए पीएम श्रमयोगी मानधन को मंजूरी दी है।
फसलों न्यूनतम मूल्य की घोषणा करते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार ने 22 फसलों के न्यूनतम खरीद मूल्य तय किए है। ये मूल्य फसल पर आने वाली कुल लागत में 50 फीसद और जोड़ कर तय किए जाएंगेे। बैंकों और डाकघरों में खुले खातों पर मिलने वाले व्याज पर अब आयकर लगने की सीमा 10,000 से बढ़ा का 40,000 कर दी गई है। पीयूष गोयल ने मानक कटौती सीमा (स्टेंडर्ड डिडेक्शन) को 40 हज़ार से बढ़ा कर 50 हज़ार कर दिया।
वित्तमंत्री ने बताया कि गायों के लिए सरकार कामधेनु योजना शुरू करेगी और मछली पालन के लिए भी आयोग बनेगा। पशुपालन और मछलीपालन के लिए दिए जाने वाले कजऱ् में दो फीसदी की छूट दी जाएगी। कामकाजी लोगों के लिए सरकार ने कहा कि वेतनआयोग की सिफारिशें शीघ्र लागू की जाएंगी और सरकारी कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना आसान बनाई जाएगी।
बजट में ग्रेच्युटी की सीमा बढ़ा कर 20 लाख कर दी गई है। सरकार ने 21 हज़ार रु पए मासिक से कम वेतन पर काम करने वाले कामगारों को सात हज़ार रु पए का बोनस देने की घोषणा की है।
प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना को मंजूर कर लिया गया है। इसका फायदा 15000 रु पए तक वेतन पाने वाले हर कर्मचारी को होगा। कामगार की अचानक मौत होने पर उसे छह लाभ रु पए का मुआवजा मिलेगा। इसके अलावा जिनका ईपीएफ कटता है उन्हें छह लाख रु पए का बीमा प्रदान किया जाएगा।
आयकर छूट की सीमा को 2.5 लाख से बढ़ा कर पांच लाख करने से मध्य वर्ग को लाभ होगा। यदि कोई करदाता किसी सरकार की बचत योजना में निवेश करता है जो उसके लिए प्रभावी कर मुक्त आय की सीमा 6.5 लाख रु पए होगी। वित्तमंत्री ने कहा कि यह छूट देने से सरकारी खजाने पर 18,500 करोड़ रु पए का बोझ पड़ेगा।
वित्तमंत्री ने कहा कि असंगठित क्षेत्र के 42 करोड़ कर्मचारी देश के 50 फीसद जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में अपना योगदान देते हैं। उन्होंने कहा कि पीएमएसवाईएम के तहत 60 साल की उम्र के बाद असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को हर महीने 3000 रु पए की पेंशन मिलेगी। इसके लिए पेंशनभोगियों को हर महीने 100 रु पए का योगदान देना होगा।
पीयूष गोयल ने यह भी बताया कि देश को पिछले पांच साल में 239 अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मिला। उन्होंने कहा कि इन पांच सालों में एफडीआई नियमों को बड़े पैमाने पर उदार बनाया गया। वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार ने रक्षा, एकल ब्रांड खुदरा, एयरलाइंस और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में एफडीआई नियमों को सरल बनाया। अधिकतर क्षेत्रों में अधिकतम विदेशी निवेश हुआ है। इनमें कंप्यूटर सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर और दूृरसंचार शामिल है।
कालेधन पर वित्तमंत्री ने कहा कि इसके प्रति सरकार गंभीर है और इसे खत्म करके ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस दिशा में जो कदम उठाए हैं उनसे 1.30 लाख करोड़ रु पए की अघोषित आय का पता चला है। इसके अलावा 50,000 करोड़ रु पए की बरामदगी हुई है। नोटबंदी को देश हित में बताते उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद 2017-18 में 1.06 करोड़ से अधिक लोगों ने पहली बार आयकर रिटर्न भरी।
क्या है लोगों की चिंता : इस बजट की आलोचना करने वालों का कहना है कि जितनी और जैसी घोषणाएं वित्तमंत्री ने कर दी हैं उनके लिए पैसा कहां से आएगा। यह कहीं स्पष्ट नहीं होता। वैसे भी मौजूदा सरकार की वित्तीय हालत ऐसी है कि वह आरबीआई से उसके मुनाफे में हिस्सा मांग रही है। देखा जाए तो सरकार जिस तरह बैंकों की स्वायता में दखल दे रही है वह बहुत ही खतरनाक परंपरा शुरू कर रही है।
बजट में न तो बेरोज़गारी और न ही किसानों की समस्यायों को हल करने की कोशिश की गई। इसके बजाए वेतनभोगियों को खुश करने की कोशिश की गई है। वैसे सरकार ने जिस तरह से आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों के लिए 10 फीसद आरक्षण की बात की था उससे लगता है कि आयकर छूट की सीमा आठ लाख रु पए तक होगी, क्योंकि उस योजना में $गरीबी की रेखा आठ लाख रु पए रखी गई है। इसके बाद विवादों का पिटारा तब खुलेगा जब मई 2019 में चुनाव हो चुके होंगे। ये जो रियायतें दी गई है वह कितनी व्यवहारिक साबित होंगी यह भी समय ही बताएगा।
इस बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व वित्तमंत्री पी चिंदबरम ने इसे – ‘वोट ऑन आकांऊट्स’ की जगह ‘अकाऊटस ऑन वोट’ की संज्ञा दी है। शशि थरूर ने इस बजट को ‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया’ वाली कहावत बताई।
तेलगुदेशम के सांसद वाईएस चौधरी ने कहा कि सरकार ने लोगों के उन घावों पर मरहम लगाने की कोशिश की है जो उसने पिछले पांच लाख में आम लोगों को दिए हैं। आप के पूर्व विधायक योगेंद्र यादव ने बजट को किसानों के जख्मों पर नमक बताया। उन्होंने कहा कि 6000 रु पए साल का अर्थ है हर महीने 500 रु पए। पांच लोगों के परिवार ने यह 3.3 रु पए प्रतिदिन के हिसाब से आता है जो कि मनरेगा और बुढ़ापा पेंशन से भी कम है।