अपनी भारत यात्रा के बाद नेपाल जाने से पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चीन आने का न्योता दिया। मोदी ने उनका न्योता स्वीकार कर लिया है। दोनों नेताओं के बीच आज मुलाकात हुई लेकिन ख़बरों के मुताबिक इसमें कश्मीर को लेकर कोइ बात नहीं हुई है।
महाबलीपुरम में मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच अनौपचारिक बातचीत हुई। शी ने पीएम मोदी को अगले साल होने वाले तीसरे अनौपचारिक सम्मेलन का निमंत्रण दिया। प्रधानमंत्री ने उनका आमंत्रण स्वीकार कर लिया है। तमिलनाडु के ममल्लापुरम में हुए सम्मेलन के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि राष्ट्रपति शी ने अनौपचारिक सम्मेलन की प्रशंसा की है।
उन्होंने कहा – ”बातचीत के दौरान कश्मीर मुद्दे का जिक्र नहीं हुआ। हालांकि हमारी स्थिति साफ है कि यह भारत का आंतरिक मामला है। हालांकि दोनों देशों ने आतंकवाद और कट्टरपंथ पर चर्चा की और इससे निपटने के उपायों पर बातचीत हुई।”
गोखले ने प्रेस कांफ्रेस में कहा – ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच शनिवार को दोनों नेताओं के बीच करीब ९० मिनट तक वन-टू-वन बातचीत हुई। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई और फिर प्रधानमंत्री जिनपिंग के लिए मोदी ने लंच की मेजबानी की।
विदेश सचिव ने कहा – ”जिनपिंग ने भव्य स्वागत के लिए धन्यवाद कहा। दोनों देशों के बीच व्यापार पर चर्चा हुई। जिनपिंग ने अपने दौरे को यादगार बताया। भारत-चीन के बीच आगे भी अनौपचारिक बातचीत होती रहेगी। अगले साल दोस्ती के ७० साल होंगे। इस मौके पर ७० कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जिनपिंग ने प्रधानमंत्री को चीन आने का न्योता दिया जिसे प्रधानमंत्री ने स्वीकार कर लिया है। चीन भारत के साथ कारोबारी रिश्तों को नई ऊंचाई पर ले जाने को गंभीर है।”
प्रेस कन्फ्रेंस में गोखले ने कहा – ”अगली अनौपचारिक बैठक चीन में होगी। इसकी तारीखों का एलान बाद में किया जाएगा। भारत-चीन के बीच व्यापार, निवेश और सेवाओं पर चर्चा के लिए एक नए तंत्र की स्थापना की जाएगी। चीन का प्रतिनिधित्व जहां वाइस प्रीमियर हु चुन्हुआ करेंगे तो भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री निर्मला सीतारम करेंगी।”