दिल्ली के अनाज मंडी में 8 दिसम्बर को तडक़े लगभग 5 बजे लगी आग से दिल्लीवासी एक दम सन्न रह गये। अनाज मंडी स्थित 4 मं•िाला इमारत में आग से 43 लोगों की मौत हो गयी और 60 के करीब गम्भीर रूप से घायल हो गये, जिनमें 12-15 लोग •िान्दगियाँ मौत से जूझ रही हैं। उनका उपचार दिल्ली सरकार के लोकनायक अस्पताल में चल रहा है। अनाज मंडी से लेकर घायलों और मृतकों के परिजनों से तहलका संवाददाता ने बात की तो यह बात निकलकर सामने आयी कि जब भयंकर हादसा होता है, तभी कमियाँ सामने आती हैं और सुधार करने की बातें होती हैं। अगर समय रहते शासन और प्रशासन समय-समय पर अवैध रूप से चल रही फैक्ट्री पर नकेल कसता तो शायद यह दिन न देखना पड़ता। क्योंकि अवैध फैक्ट्री में हुआ हादसा आपराधिक साजिश के साथ-साथ लापरवाही का ज्वलंत मामला है। दिल्ली में उपहार सिनेमा कांड के बाद ये दूसरा सबसे बड़ा अग्निकांड है।
मौज़ूदा हाल मेंं ही अगर सरकार सही तरीके से कार्रवाई करें, तो भविष्य में होने वाली घटनाओं को रोक सकती है। बताते चलें कि अनाज मंडी में इसी तरीके से 600 से अधिक फैक्टरियाँ चल रही हैं, जिसमें मज़दूर दिन में फैक्ट्री में काम करते हैं और रात में खाना बनाकर वहीं सोते हैं। कुल मिलाकर दिन-रात का सारा काम इन्हीं फैक्ट्रीज में करते हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आयी है कि एक कमरे में चलने वाली इन फैक्ट्रीज में 10 से 20 मज़दूर काम करते हैं। स्थानीय निवासी रमेश कुमार ने बताया कि एक कमरे में •यादातर फैक्ट्री मालिक मज़दूरों को किराया न लगने का लालच देते हैं और दिन में काम करवाते हैं। कुछ फैक्ट्रीज की हालत तो यह है कि एक ही गेट है, उसमें मजदूर देर रात तक काम करते हैं और फैक्ट्री मालिक बाहर से दरवा•ो बंद कर चले जाते हैं। दर्शन सिंह नाम के एक व्यक्ति ने बताया कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम की फैक्ट्री मालिक की साठ-गाँठ पर यहाँ फैक्ट्रीज चल रही हैं और पुलिस भी कार्रवाई के तौर पर कुछ नहीं करती है।
अब बात करते हैं िफल्मिस्तान में स्थित अनाज मंडी में लापरवाही की आग के 43 लोगों की दर्दनाक मौत की। जब यहाँ पर आग लगी थी, तब लोग सुबह गहरी नींद में सो रहे थे। सुबह के करीब पाँच बजे आग लगने के कारण लोगों की आवा•ों गहरी नींद को जगा रही थीं; लेकिन अनहोनी भी अपनी गति में थी। आग इस कदर भयानक थी कि शोरशराबा हुआ, तो पड़ोसी मदद को आगे आये और जिससे जितना बना उन्होंने आग को बुझाने का काम किया और पुलिस और दमकल विभाग को सूचना दी। दमकल विभाग के कर्मचारियों ने तुरन्त आग को काबू पाने के लिए भरसक प्रयास किये जहाँ तंग गली थी, वहाँ पर फायर बिग्रेड के कर्मचारियों ने अपनी जान पर खेलकर आग से जूझकर लोगों को बाहर निकाला और अस्तालों में पहुँचाया। सुबह आठ बजे के बाद एनडीआरएफ का एक दल बचाव और राहत कार्य में जुट गया, जिससे काफी राहत लोगों को मिली। आग का मंज़र ऐसा था कि अधिकतर लोगों ने कहा कि उन्होंने अपनी •िान्दगी में ऐसी आग की लपटें न देखीं और न ही ऐसा भयंकर धुआँ, जो •िान्दगियों को लील रहा था। 44 वर्षीय राम रतन ने बताया कि चीत्कार ने उनको दहला दिया, जब आग का धुआँ फैल रहा था, तब लग रहा था कि ये क्या हो रहा है? उन्होंने बताया कि 200 गज की फैक्ट्री में 100 मज़दूर काम करते हैं। यह भी तब पता चला, जब यह हादसा सामने आया। राम रतन का कहना है कि फैक्ट्री मालिकों की यहाँ पर पुलिस और सम्बन्धित विभाग में ऐसी साठगाँठ है कि सभी नियमों को ताक पर रखकर उनकी धज्जियाँ उड़ाकर फैक्ट्री को चलाया जा रहा है। जिस फैक्ट्री में आग लगी वहाँ पर हर मंजिल में छोटे-छोटे कमरे हैं, वहीं पर मजदूर रहते थे। चौंकाने वाली बात ये सामने आयी कि एक ओर तो केन्द्र सरकार प्लास्टिक पर रोक लगाने का प्रयास कर रही है और ज़ुर्माना भी ठोंक रही है। वहीं इस इमारत में प्लास्टिक का दाना बनाने का काम चलता था। ऐसा नहीं कि पुलिस और अधिकारी अनजान थे, वे सिर्फ बेसुध होकर बैठे थे।
इधर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस भयावह घठना पर दु:ख जताते हुये कहा कि मेरी संवेदनाएँ उनके साथ हैं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से हर सम्भव मदद की जा रही है।
आग लगने की बात दिल्ली ही नहीं देश-दुनिया में आग की तरह फैल गयी फिर सियासतदानों का आना-जाना शुरू हुआ और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया। सुबह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने मौके पर पहुँचकर एक ओर मुआव•ो का ऐलान किया और कहा कि इस मामले की न्यायिक जाँच होगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि मृतकों के परिजनों को 10 लाख का मुआवज़ा और गम्भीर रूप से घायलों को एक लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाएगा। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने मृतकों के परिजनों को पाँच लाख रुपये देने का घोषणा की है और कहा कि दिल्ली सरकार की लापरवाही के कारण ये हादसा हुआ है। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल से इस अग्निकांड के लिए नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की माँग की है। वहीं दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने मृतकों के परिजनों को दिल्ली सरकार से नौकरी देने की माँग की है। उन्होंने दु:ख की इस घड़ी में मृतकों के परिजनों में गहरी संवेदना व्यक्त की और कहा कि इस आग के लिए दिल्ली सरकार और भाजपा शासित नगर निगम •िाम्मेदार है।
दिल्ली के दमकल विभाग के प्रमुख अतुल गर्ग का कहना है कि जिस इमारत में आग लगी उसने एनओसी नहीं ली थी और न ही फायर क्लीयरेंस था। इमारत में प्लास्टिक के दाने बनाने का काम चल रहा था और कागज़ के गत्ते रखे थे, जिसके कारण आग के कारण धुआँ फैलता गया। जबकि बिजली कम्पनी का कहना है कि आंतरिक प्रणाली में खराबी के कारण आग लगी, क्योंकि मीटर पूरी तरह से सुरक्षित है; ऐसे में लापरवाही के कारणों की जाँच की जा रही है।
िफलहाल पुलिस ने फैक्ट्री मालिक रेहान और मैनेजर फुरहान को गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ की जा रही है। रेहान की फैक्ट्री के पास न कोई दस्तावेज़ है और न ही आग से बचाव के लिए कोई उपकरण थे। यहाँ के स्थानीय निवासियों को कहना है कि सरकार की उदासीनता और फैक्ट्री मालिक की लापरवाही का ही नतीजा है कि इतने मज़दूरों की मौत हो गयी। सच्चाई यह है कि सरकार से जुड़े लोगों की ही फैक्ट्रीज चल रही हैं। इसके कारण यहाँ पर जाँच पड़ताल के लिए अधिकारी आसानी से नहीं आते हैं।
डॉक्टरों ने कहा कि जब धुआँ की लपटें फैलती हैं, तो ऐसे में हार्ट रोग से पीडि़त मरीज़ और अस्थमा से पीडि़त लोगों को •यादा शारीरिक नुकसान होता है। क्योंकि मज़दूर भी कई बीमारियों से जूझते हुए काम करते हैं। ऐसे में समय-समय पर फैक्ट्री मालिकों को उनके स्वास्थ्य की जाँच करवानी चाहिये। मैक्स अस्पताल के हार्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. विवेक कुमार ने बताया किसी को •यादा देर तक एक कमरे में रहकर काम करना पड़ता है, तो उनको साँस लेने में दिक्कत होती है। ऐसे में बंद कमरे में धुआँ होने से साँस न ले पाने के कारण मज़दूरों की मौत हो गयी। लोकनायक अस्पताल के बर्न विभाग के डॉ. पीएस भंडारी और चिकित्सा अधिकारी डॉ. किशोर ने बताया कि जो मरीज़ भर्ती हैं। उनका उपचार चल रहा है, जिसमें कुछ की हालत गम्भीर है, तो कुछ की हालत में मामूली सुधार हो रहा है। िफलहाल अभी अस्पताल से छुट्टी कब मिलेगी? यह नहीं कहा जा सकता है।
आग पर सियासत
दिल्ली अग्निकंाड का मामला राज्य सभा में उठा और भाजपा के विजय गोयल और आप पार्टी के राज्य संजय सिंह एक-दूसरे पर आरोपबाज़ी करते दिखे। विजय गोयल ने कहा कि दिल्ली में उपहार सिनेमा अग्निकांड हुआ और इसके बाद ओखला, नरेला के साथ कई भीषण अग्निकांड हुए हैं। संजय सिंह ने कहा कि सुरक्षा को लेकर दिल्ली सरकार, एमसीडी और डीडीए सहित सम्बन्धित विभागों को सुरक्षा को लेकर विचार करना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी अनहोनी न हो।
साहसीय काम
धधकती आग से जूझते हुए जान पर खेल कर फायर विभाग के एडीओ राजेश शुक्ला ने 11 लोगों की •िान्दगी बचा ली। सुबह तकरीबन साढ़े पाँच बजे के बाद कनॉट प्लेस से फायरब्रिगेड की एक टीम घटना स्थल पर पहुँची थी। यह कहना है फायर स्टेशन के ऑपरेटर आशीष मलिक का। इस टीम की अगुआई राजेश शुक्ला कर रहे थे। राजेश ने धुएँ और आग की लपेटों में घुसकर लोगों की जान बचायी। वह जब फैक्ट्री से फँसे हुए लोगों को निकाल रहे थे, तब उनके पैर में गम्भीर चोटें आयीं; उनको लोकनायक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उनका उपचार चल रहा है। जाँबाज़ राजेश शुक्ला को देखने पहुँचे दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने तारीफ की और कहा कि असली हीरो तो राजेश हैं, जिन्होंने अपनी जान की चिन्ता किये बिना दूसरों की जान बचायी है; यह बहुत बड़ा काम है।
िफलहाल अगर पीडि़तों से बात करो, तो अपनों के गम में वे फूट-फूटकर रोने लगते हैं और कहते हैं कि यह तो रोज़ी-रोटी की फैक्ट्री थी, जान लेने वाली फैक्ट्री कैसे बन गयी? आग का मंज़र और लपटों ने यहाँ के निवासियों को हिलाकर रख दिया। लोगों का कहना है कि सालों-साल लग जाएँगे इस दर्द से उभरने में।
फैला तारों का जाल, कभी भी हो सकता है हादसा
राजधानी दिल्ली में कई मार्केट ऐसे हैं, जहाँ पर आग लगने की स्थिति में िफल्मिस्तान से •यादा भयानक हादसा होने का भय बना हुआ है। ऐसा नहीं है कि दिल्ली सरकार, एमसीडी और फायर विभाग अपरिचित हों। दिल्ली की तंग गलियों में बिजली के तारों का फैला जाल मार्केट वालों के लिए, इन इलाकों में रहने वालों और खरीददारों के लिए खतरे से खाली नहीं है।
दिल्ली के सदर बाज़ार, चाँदनी चौक, रूई मंडी, यमुनापार का जाफराबाद मार्केट, लक्ष्मी नगर का मंगल बाज़ार, सरोजनी नगर मार्केट, सहित तमाम मार्केट ऐसे हैं, जहाँ पर आग लगनी की स्थिति में भयावह परिणाम सामने आ सकते हैं। तहलका संवाददाता ने बाज़ार में आये खरीददारों और दुकानदारों से बात की, तो उन्होंने बताया कि क्या करें रोज़ी-रोटी की खातिर रिस्क लेकर काम कर रहे हैं, जो होगा देखा जाएगा। सदर बाज़ार के दुकानदार मोती लाल ने बताया कि ये मार्केट दिल्ली वालों का ही नहीं, बल्कि पूरे देश का है। यहाँ पर देश के छोटे-बड़े व्यापारी खरीदारी करने आते हैं अगर सरकार ही न ध्यान दें, तो क्या करें? क्योंकि सदर बाज़ार, चाँदनी चौक का मार्केट पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहाँ पर लाखों की संख्या में देशवासी खरीदारी करने और घूमने आते हैं; ऐसे में कोई आग जैसी स्थिति हो जाए, तो अफरा-तफरी मच जाएगी। रूई मंडी के जुगलकिशोर का कहना है कि दिल्ली सरकार और फायर विभाग के आला अधिकारियों से कई बार बात की है कि यहाँ पर आग लगने की स्थिति में बचाव के लिए कुछ ऐसा प्रबन्ध करो, ताकि कोई जान-माल का खतरा न हो; लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होती है। बस दीपावली के आस-पास के दिनों में ज़रूर मार्केट में फायर विभाग और पुलिस वाले आते हैं। आग से बचाव के लिए जो भी संसाधन हैं, उनका इस्तेमाल करते हैं। फिर स्थिति जस की तस हो जाती है। उन्होंने बताया कि एक तो दुकानदारों की मनमर्ज़ी का आलम यह है कि वे अपनी दुकान के भीतर तो सामान ठूूँसकर रखते ही हैं, साथ ही दुकान के बाहर भी सामान को रखते हैं। ऐसे में आने-जाने वालों को दिक्कत तो होती है और अगर कभी कोई अप्रिय घटना, घटने की स्थिति में बचाव के तौर पर मुसीबत होगी। सडक़ पर चलने में भी दिक्कत होती है। यातायात पुलिस की लापरवाही के कारण बेरोक-टोक वाहन आते-जाते रहते हैं। इन पर भी रोक लगनी चाहिए। सरोजनी नगर मिनी मार्केट टे्रडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक रंधावा का कहना है कि सरोजनी नगर में अगर आग लगने जैसा हादसा होता है, तो निश्चित तौर पर िफल्मिस्तान से •यादा बड़ा हादसा हो सकता है। उन्होंने बताया कि यह मार्केट दिल्ली के एनडीएमसी के अन्तर्गत आता है, जो सन् 1952 में शरणार्थियों के लिए बनाया गया था। यहाँ पर मार्केट में नीचे दुकान है और ऊपर मकान। अगर यहाँ आग लगती है, तो मार्केट की तंग गलियों में फायर ब्रिगेड की गाड़ी नहीं आ सकती। अशोक रंधावा का कहना है कि अवैध रूप से मार्केट में सडक़ों के बीचोंबीच में दुकान लगाकर लोग बैठे हैं। इसकी शिकायत उन्होंने कई बार फायर विभाग में और एनडीएमसी में की है, पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। यहाँ हमेशा ही बड़ी दुर्घटना होने की सम्भावना बनी रहती है। उन्होंने बताया कि सरोजनी नगर में पहले भी आग लगी है। यमुनापार का गाँधी बाज़ार का भी यही हाल है, जो एशिया की कपड़े की सबसे बड़ी मार्केट है, जहाँ पर लोग नीचे दुकानदारी करते हैं और ऊपर मकानों में रहते हैं। दुकानदार पवन कुमार का कहना है कि एशिया के इस सबसे बड़ी कपड़ा मार्केट में देश-भर के व्यापारी आते हैं और यहाँ से सरकार को अच्छा-खासा राजस्व भी मिलता है। लेकिन पुलिस औैर फायर सुरक्षा के नाम पर यहाँ कुछ भी नहीं है। यमुनापार के जाफराबाद में तो हाल-बेहाल है सर्दी के दिनों में कपड़े का काम होता है और गर्मी के दिनों में कूलर-पंखे का काम होता है। सबसे गम्भीर बात यह है कि एमसीडी और दिल्ली पुलिस की अनदेखी के कारण दुकानदार अपनी दुकान का सामान सडक़ तक फैलाकर रखते हैं, जिसके कारण अक्सर सडक़ों में जाम लगा रहता है। यहाँ पर तंग गलियों में बिजली के तारों का फैला जाल ज़रा-सी लापरवाही तबाही मचा सकता है। जाफराबाद मार्केट के अलोक गुसाईं का कहना है कि अगर सही मायने में दिल्ली पुलिस वाले चौकसी बरतें, तो निश्चित तौर काफी कुछ रोका जा सकता है। क्योंकि जब भी कोई आग लगने जैसा भयानक हादसा होता है, तब काफी कुछ नियम कायदे-कानून बनते हैं। लेकिन धीरे- धीरे सामान्य हो जाता है। इसलिए पुलिस की चौकसी की सख्त ज़रूरत है। ताकि आग की लपटों से सबको बचाया जा सके।