अभिनन्दन देश लौट आये। अपूर्व शौर्य की अनुपम वीरगाथा लिखकर। ऐसी गाथा, जो देश के तमाम पुरुस्कारों, वीरता गीतों से ऊपर है। अभिनन्दन हिन्दोस्तान की वीरता के इतिहास का बहुत बड़ा नाम हो गए हैं तो इसलिए कि उन्होंने वीरता का वो चेहरा आज की पीढ़ी को दिखाया जिसे वे अभी तक काल्पनिक फिल्म कथाओं में ही देखती रही थी। आजका सूर्य जब अस्त हुआ है तो शौर्य के आसमां पर एक नए सूर्य का उदय हुआ है। एक ऐसे सूर्य का जो कभी अस्त नहीं होता।
पाकिस्तान के एक हिस्से में जब वे अपने जहाज से उतरे थे तो उन्होंने आसमान की उन ऊंचाइयों को छू लिया था जहाँ पहुँचने को हर वीर तरसता है। कूटनीति की जबरदस्त चालों और सीमा पर जंग के ताने-बाने के बीच अभिनन्दन ही असली हीरो के रूप में उभरे हैं। यही असली हीरो हैं जो राजनीति के लिए नहीं, सत्ता के लिए नहीं, प्रचार के लिए नहीं, देश के लिए वीरता के पर्याय बन जाते हैं।
अभिनन्दन के परिवार ने इन तीन दिनों में जो झेला, उसे किसी ने नहीं देखा। लेकिन अभिनन्दन जिस परिवार में पले-बढ़े वहां तो नाश्ते से लेकट डिनर की मेज तक शौर्य की ही चर्चा होती है। इसी चर्चा ने अभिनन्दन के भीतर देशभक्ति और शौर्य की वो घुट्टी भेजी जो सिर्फ देश के लिए ”सुप्रीम सैक्रिफाइस” की बात सोचती है।
आज वाघा बार्डर पर मीलों दूर से उनका स्वागत करने हार-ढोल लेकर लोग पहुंचे तो सिर्फ इसलिए कि उनकी वीरता ने उनके दिल में अभिनन्दन के लिए एक ख़ास जगह बना दी। जिन्होंने उन्हें सिर्फ तस्वीरों में देखा वे भी उनके दीवाने हो गए तो इसलिए की दुश्मन देश की धरती और दुश्मन देश के सैनिकों के सामने भी इस जांबाज ने उस अपूर्व हिम्मत का प्रदर्शन किया, जो विरले ही दिखती है।
सोशल मीडिया ने भले जो दिखाया, अभिनन्दन की असली कहानी उनकी वीरता में छिपी है। उनके चेहरे से रिस्ता खून, नौजवानों के दिल में आग भर रहा था। देश की हर मां आँखों में आंसू भर कर कल्पना कर रहीं थीं कि काश उन्हें भी ऐसा बहादुर बेटा पैदा हो जिसपर देश नाज कर सके।
दुश्मन देश और सैनिकों के बीच वे जिस वीरता और बेफिक्री में चाय पीते एक वीडियो में दिख रहे थे, वे जाहिर करते हैं कि इस नौजवान को अपनी जान की कोइ फ़िक्र नहीं थी। उसके दिल में देश का तिरंगा लहराते रखने की आग धधक रही थी।
अभिनन्दन ने मिग में बैठकर पाकिस्तान के जिस एफ-१६ को मार गिराया वो उसके अपने जहाज के मुकाबले ज्यादा सुविधाओं और शक्ति वाला जहाज था, लेकिन पाकिस्तान का एफ-६ को चला रहा फाइटर अगर अभिनन्दन के निशाने से खुद को नहीं बचा पाया तो इसलिए कि उसके पास अभिनन्दन जैसा शौर्य नहीं था। शौर्य शायद सुविधा नहीं, हौसले का गुलाम होता है।
जिस पंजाब की सीमा से आप अपने देश में तीन दिन बाद दुबारा कदम रख रहे हो, उस पंजाब में आपके स्वागत के लिए भांगड़े इस बात के गवाह हैं कि आप ख़ास हो। आपके स्वागत के लिए बहुत प्यार से बनी गईं सुन्दर फूलों की लड़ियाँ और हार इस बात की गवाह हैं कि आप इस जीत के सबसे बड़े हीरो हो।
अब आप अपने देश की धरती में पहुँच चुके हो, लेकिन आपने वीरता की जो गाथा लिखी है उसे भारत ही नहीं, पाकिस्तान में भी याद किया जाएगा। वाघा बार्डर पर भले आपके स्वागत के लिए उमड़ी देशभक्तों की भीड़ को तकनीकी कारणों (इंटरनैशनल रेड क्रास के नियमों के कारण) से आपके दर्शन से बंचित होना पड़ा हो, आप आज देश के हर नागरिक के दिल में धड़क रहे हो। हर धड़कन कह रही है – आपका शुक्रिया भारत के अमूल्य रत्न अभिनन्दन। आपका स्वागत है। हम आपके आभारी हैं। हमेशा रहेंगे।