इंडियन हार्ट फांउडेशन ने शोध के आधार पर दावा किया है कोरोना हार्ट पर भी हमला कर रहा है, कोरोना का कहर जिस रफ्तार से बढ रहा है और आने वाले दिनों में अगर यही हाल रहा ,तो अन्य रोगों के साथ -साथ ये हार्ट रोगियों के लिये काफी घातक हो सकता है। जाने –माने हार्ट रोग विशेषज्ञ डाँ अनिल ढल का कहना है, कि कोरोना से सारी दुनिया जूझ रही है। और आने वाले दिन-महीनों में सर्दी का सितम शुरू होने वाला है ।
उत्तर भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या रही है। गत सालों में पराली के जलने के कारण वायु प्रदूषण का कहर सर्दियों के मौसम में रहा है । जिसके कारण दिल्ली सहित कई राज्यों ने स्वास्थ्य आपातकाल लगा दिया था। डाँ अनिल ढल ने तमाम हार्ट रोग पर हो रहे शोधों का हवाला देते हुये कहा है कि वायु प्रदूषण के कारण मधुमेह , उच्च- रक्तचाप, मोटापा और मानसिक तनाव बच्चे, युवा और बुजुर्गो को अपनी चपेट में लेता है।जिसके कारण हार्ट रोग पनपता है । डाँ अनिल ढल का कहना है कि सांस लेने की दिक्कत में वायु प्रदूषण भी एक कारण है।
उन्होंने शोधों का हवाला देते हुये कहा कि जिन लोगों में मोटापा, मधुमेह , मानसिक तनाव के साथ उच्च –रक्तचाप की शिकायत है उनको हार्ट अटैक होने का खतरा ज्यादा रहता है। वैसे तो सर्दियों के मौसम को हेल्दी माना जाता है। लेकिन इस मौसम में ही जागरूकता के अभाव में हार्ट रोग से मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा पायी जाती है। इस बार कोरोना और वायु प्रदूषण सर्दियों के मौसम में घातक साबित हो सकता है । इसलिये बचाव के तौर पर घर से तब ही निकलें जब बहुत जरूरी हो और मास्क मुंह में लगाकर ही निकलें संक्रमण वाले क्षेत्रों में जाने से बचें । लगातार आ रहे बुखार और सर्दी , जुकाम और घबराहट को नजरअंदाज ना करें। अगर ये लक्षण है तो कोरोना की जांच जरूर करवाये। इंडियन हार्ट फांउडेशन के अध्यक्ष व हार्ट रोग विशेषज्ञ डाँ आर एन कालरा का कहना है कि देश के लोगों की इम्युनिटी पावर ठीक है जिसके कारण कोरोना का कहर धीरे –धीरे अपनी गिरफ्त में अन्य देशों की तुलना में कम अनुपात में ले रहा है। लेकिन वायु प्रदूषण और मधुमेह, उच्च-रक्तचाप मोटापा के साथ मानसिक तनाव हार्ट रोग को बढा रहा है जिसकी चपेट में सभी वर्ग के लोग के आ रहे है। बचाव के तौर पर तलीय प्रदार्थो का कम सेवन करें। व्यायाम और योग को अपनाकर तमाम रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है।