आने वाले दिनों और भी घरेलू गैस सिलेंडर के दाम और भी बढ़ सकते है।क्योंकि जब दो दिन पहले गैस सिलेंडर के दाम पचास रुपये बढ़ाये गये थे। तब कांग्रेस के अलावा किसी भी अन्य राजनीतिक दल ने बढ़ाये गये दाम का विरोध नहीं किया है।
इसका मतलब ये है कि बढ़ती महंगाई को लेकर राजनीतिक दल दिखावे के तौर पर ही विरोध कर रहे है। जमीनी स्तर पर विरोध करने वाले न के बराबर है।बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी को लेकर आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि अजीब सी स्थिति देश में बनती जा रही है।
कोई विरोध-प्रदर्शन नहीं न ही कोई सरकार के विरोध में खुल कर सामने आ रहा है।आर्थिक मामलों के जानकार प्रो मनोज त्यागी ने बताया कि एक दौर वो था जब एक रुपये डीजल-पेट्रोल और गैस के दाम बढ़ते थे तब देश में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन होते थे। तब सरकार बढे हुए दाम को वापस लेने में देर नहीं करती थी। लेकिन आज के राजनीतिक माहौल में वो तासीर देखने को नहीं मिल रही है।जिसका नतीजा ये है कि अब महंगाई की मार चारो तरफ है। लेकिन कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
कांग्रेस के नेता अमरीश गौतम का कहना है कि सन् 2014 के पहले प्रधानमंत्री मनमोहन के शासन काल के दौरान गैस के दाम पांच सौ से कम थे। तब 10 या 20 रुपये बढ़ जाते थे। तब भाजपा वाले देश में गैस सिलेंडर के नाम पर धरना प्रदर्शन करते थे। लेकिन आज सिलेंडर के दाम एक हजार के पार है।
लेकिन मौजूदा सरकार कुछ कर नहीं रही है। बल्कि रूस और यूक्रेन युद्ध के नाम पर दनादन गैस, डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ाये जा रहे है। जेएनयू के छात्र अमरदीप गोस्वामी का कहना है कि महंगाई और बेरोजगारी जैसे मामले में भारत जैसे लोकतांत्रिक देश अगर कोई कुछ नहीं बोलता है और अगर सरकार उसको बोलने से रोकती है तो आने वाले दिनों में महंगाई का पहाड़ टूट सकते है।