आधा न्याय

महिला क्रिकेटरों की मैच फीस पुरुषों के बराबर; लेकिन कॉन्ट्रेक्ट फीस अभी कई गुना कम

महिला क्रिकेट खिलाडिय़ों को पुरुष खिलाडिय़ों के समान मैच फीस देना न्याय का उदाहरण है। यह वो अधिकार था, जो उन्हें पहले ही मिल जाना चाहिए था; अब मिल गया है। देरी से ही सही, पर यह एक बेहतर फ़ैसला है। बीसीसीआई की इस फ़ैसले के लिए तारीफ़ की जानी चाहिए। जब तक ऐसा नहीं था, क्रिकेट बोर्ड उनसे अन्याय कर रहा था। लेकिन अभी भी यह न्याय भी आधा ही है। क्योंकि महिला खिलाडिय़ों की सालाना कॉन्ट्रेक्ट फीस अभी भी पुरुष खिलाडिय़ों से कई गुना कम है। बराबर की मेहनत करते हुए महिला खिलाड़ी भी जीत के साथ उतना ही सम्मान देश को दिलवाती हैं, जितना पुरुष खिलाड़ी। ऐसे में महिलाओं को पुरुषों के मुक़ाबले कम फीस देना खेल भावना का भी अपमान था।

दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कंजूसी से बाहर निकला है और उसने अपनी जेब ढीली करते हुए जो फ़ैसला किया है, उससे उसने ख़ुद अपनी इज़्ज़त की है। लगे हाथ उसे महिला खिलाडिय़ों की कॉन्ट्रेक्ट फीस पर भी कोई न्यायसंगत फ़ैसला कर देना चाहिए।

कुछ भी हो, लैंगिक असमानता ख़त्म करने की तरफ़ बीसीसीआई के इस क़दम का स्वागत किया गया है। महिला खिलाडिय़ों की मैच फीस का फ़ैसला बीसीसीआई की अपेक्स काउंसिल ने किया, जिसे लेकर सचिव जय शाह ने कहा- ‘यह घोषणा करते हुए मुझे ख़ुशी हो रही है कि भेदभाव मिटाने की दिशा में बीसीसीआई ने पहला क़दम उठाया है। हम बोर्ड से अनुबन्धित महिला क्रिकेटर के लिए समान वेतन की पॉलिसी लागू कर रहे हैं। अब महिला और पुरुष दोनों क्रिकेट खिलाडिय़ों को एक जैसी मैच फीस मिलेगी।’

इस फ़ैसले के बाद अब महिला क्रिकेटर खिलाडिय़ों को अब हर टेस्ट मैच में 15 लाख रुपये की फीस मिलेगी। एकदिवसीय (वनडे) की फीस छ: लाख और टी20 मैच की फीस तीन लाख रुपये मिलेगी। पहले भारतीय महिला क्रिकेट टीम की खिलाडिय़ों को टेस्ट के चार लाख रुपये, जबकि वनडे और टी20 के एक लाख रुपये मिलते थे। बीसीसीआई की घोषणा होते ही भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर ने बीसीसीआई के इस फ़ैसले का स्वागत करते हुए कहा कि भारत में महिला क्रिकेट के लिए यह एक बड़ा दिन है। पूर्व कप्तान दिग्गज मिताली राज ने ट्वीट किया- ‘भारत में महिला क्रिकेट के लिए यह एक ऐतिहासिक निर्णय है। अगले साल महिला आईपीएल के साथ इक्विटी पॉलिसी, हम भारत में महिला क्रिकेट के लिए एक नये युग की शुरुआत कर रहे हैं। बीसीसीआई और जय शाह सर इसको मुमकिन बनाने के लिए आपका शुक्रिया। आज बहुत ख़ुश हूँ।’

वरिष्ठ खेल पत्रकार शालिनी गुप्ता कहती हैं- ‘निश्चित रूप से बीसीसीआई का यह फ़ैसला एक बड़ा परिवर्तन है। इससे खिलाडिय़ों का मनोबल बढ़ेगा और घरेलू महिला क्रिकेटरों को आगे बढऩे का हौसला मिलेगा। साथ ही भारतीय महिलाओं को टेस्ट सीरीज के साथ-साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए और अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच दिये जाने चाहिए। भारतीय टीम को अब आईसीसी ट्रॉफी जीतने का लक्ष्य रखना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्चस्व हासिल करने के लिए नियमित रूप से ऑस्ट्रेलिया जैसी शीर्ष टीम को हराना चाहिए। पहले डब्ल्यूआईपीएल के आने से यह निश्चित है कि भारत में महिला क्रिकेट का भविष्य आर्थिक रूप से अब बहुत अच्छा होगा। बीसीसीआई के सचिव जय शाह को यह श्रेय दिया जाना चाहिए, जिन्होंने पिछले साल से घरेलू खिलाडिय़ों सहित महिला क्रिकेटरों के लिए स्वागत योग्य बदलाव किये हैं। मुझे लगता है कि मिताली राज और झूलन गोस्वामी जैसे पूर्व खिलाडिय़ों को बीसीसीआई प्रशासक बनाया जाना चाहिए और उनके अनुभव और विशेषज्ञता का उपयोग करना चाहिए। वह ऐसा करने के लिए प्रसन्न भी होंगी। एक मज़बूत महिला प्रशासक निश्चित रूप से भारत में महिलाओं के लिए खेल को चलाने में बीसीसीआई की बेहतर मदद करेगी।’

न्यूजीलैंड पहले ही मैच फीस को लेकर क़दम उठा चुका है। न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड (एनजेडसी) ने जुलाई में महिला खिलाड़ी संघ के साथ पाँच साल का ऐतिहासिक करार किया, जिसमें पुरुष और महिला क्रिकेटरों को सभी प्रारूपों और प्रतियोगिताओं में समान मैच फीस देने की बात थी। इसके तहत प्रति टेस्ट मैच महिला खिलाडिय़ों को भी पुरुष खिलाड़ी के बराबर 10,250 न्यूजीलैंड डॉलर, वनडे इंटरनेशनल के लिए 4,000 न्यूजीलैंड डॉलर और टी-20 के लिए 2,500 न्यूजीलैंड डॉलर देने का फ़ैसला हुआ। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने भी महिला क्रिकेटरों को मातृत्व अवकाश के बाद सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट रिटेन करने, सैलरी में 10 फ़ीसदी बढ़ोतरी करने, सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट में तीन खिलाड़ी ज़्यादा करने, 2021-22 सीजन के लिए 20 खिलाडिय़ों को सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट देने और आठ खिलाडिय़ों को इमर्जिंग क्रिकेटर्स की कॉन्ट्रैक्ट लिस्ट में रखने का फ़ैसला किया। हालाँकि महिला क्रिकेट टीम की कप्तान बिस्माह मारूफ ने हाल में खुले रूप से पीसीबी की आलोचना की थी और कहा था कि लम्बे समय टीम के वेतन में बढ़ोतरी नहीं हुई है। मारूफ ने कहा कि पाकिस्तान में महिला खिलाडिय़ों को भारत, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की बराबरी करने के लिए काफ़ी तरक़्क़ी करने की  ज़रूरत है।

ऑस्ट्रेलिया ने भी गत वर्ष महिला क्रिकेटरों के बजट में बड़ी वृद्धि की थी। उन्होंने इसे 75 लाख डॉलर से बढ़ाकर 5.52 करोड़ डॉलर कर दिया था। वहाँ के क्रिकेट बोर्ड ने अपनी घरेलू महिला क्रिकेटरों को भी लाभ पहुँचाया था और इसमें 12 लाख डॉलर की बढ़ोतरी की थी। बिग बैश लीग में रिटेनर्स के वेतन में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने 14 फ़ीसदी और घरेलू क्रिकेट लीग में 22 फ़ीसदी का बढ़ोतरी की थी।

नाम मात्र की है कॉन्ट्रैक्ट फीस

महिला क्रिकेट में दिलचस्पनी रखने वाले भी कई लोगों को शायद यह मालूम नहीं होगा कि सालाना केंद्रीय कॉन्ट्रैक्ट में अभी भी महिला खिलाडिय़ों और पुरुष खिलाडिय़ों की सैलरी में ज़मीन-आसमान का अन्तर है। बीसीसीआई ने पुरुष खिलाडिय़ों के लिए चार कैटेगरी (ए ग्रेड, बी ग्रेड, सी ग्रेड और डी ग्रेड) बनाये हैं। महिला खिलाडिय़ों के लिए तीन ही कैटेगरी (ए ग्रेड, बी ग्रेड और सी ग्रेड) हैं।

बीसीसीआई ए ग्रेड में शामिल पुरुष खिलाडिय़ों को सात करोड़ रुपये सालाना देती है, जबकि ए ग्रेड में शामिल महिला खिलाडिय़ों को महज़ 50 लाख रुपये दिये जाते हैं। इस तरह यह अन्तर 14 गुना का है। उदाहरण के लिए 2021-22 सीजन के लिए बीसीसीआई ने ए ग्रेड में हरमनप्रीत कौर, स्मृति मंधाना, पूनम यादव, दीप्ति शर्मा और राजेश्वरी गायकवाड़ को रखा है। इन महिला खिलाडिय़ों के 50 लाख के मुक़ाबले विराट कोहली और रोहित शर्मा को 14 गुना ज़्यादा सालाना कॉन्ट्रैक्ट फीस मिलती है। इसी तरह बी ग्रेड में शामिल पुरुष खिलाडिय़ों को पाँच करोड़, सी ग्रेड में शामिल पुरुष खिलाडिय़ों को तीन करोड़ और डी ग्रेड में शामिल पुरुष खिलाडिय़ों को एक करोड़ रुपये दिये जाते हैं। वहीं बी ग्रेड में शामिल महिला खिलाडिय़ों को 30 लाख रुपये, जबकि सी ग्रेड में शामिल महिला खिलाडिय़ों को महज़ 10 लाख रुपये दिये जाते हैं।

इसका कारण यह बताया जाता है कि महिला मैच बीसीसीआई के लिए कम कमाऊ होते हैं, जबकि पुरुष क्रिकेट से उसे ज़्यादा मुनाफ़ा होता है। मान लिया यह सही है; लेकिन इस अन्तर को कम तो किया जा सकता है। एक सम्मानजनक स्तर पर तो लाया जा सकता है।

भारतीय महिला क्रिकेट टीम साल 2017 में आईसीसी वल्र्ड कप के फाइनल में पहुँची थी। सन् 2020 के टी20 वल्र्ड कप में भी महिला टीम फाइनल में पहुँची थी, जबकि सन् 2009, सन् 2010 और सन् 2018 में सेमीफाइनल में पहुँची थी। इसके अलावा 2022 के राष्ट्रमंडल खेलों में महिला क्रिकेट टीम ने रजत पदक हासिल किया था। भारत का सबसे बेहतर प्रदर्शन एशिया कप में रहा है, जहाँ भारतीय महिलाओं ने सन् 2018 को छोड़कर नौ बार यह कप जीता है। निश्चित ही हाल के वर्षों में लोगों की दिलचस्पी महिला क्रिकेट के प्रति बढ़ी है। अगले साल से महिला आईपीएल क्रिकेट भी शुरू होने जा रहा है, जिससे महिला क्रिकेट में बड़े स्तर का आर्थिक बदलाव आएगा। एक तो भारत की उन महिला खिलाडिय़ों, जो देश की टीम में नहीं हैं, को आईपीएल टीमों में चुने जाने से उन्हें आर्थिक सपोर्ट मिलेगी। दूसरे उन खिलाडिय़ों को अंतरराष्ट्रीय महिला खिलाडिय़ों के साथ खेलने का अनुभव मिलेगा, जो उनके खेल को बेहतर बनाएगा। तीसरा जो सबसे बड़ा बदलाव खेल में आएगा, वह है स्पांसरशिप्स।

आईपीएल है ही कॉरपोरेट का क्रिकेट। लिहाज़ा महिला आईपीएल भारत में क्रिकेट के खेल को नया आर्थिक स्तर देगा। हो सकता है कि इससे बीसीसीआई को जो लाभ होगा, उसका इस्तेमाल वह महिला खिलाडिय़ों की कॉन्ट्रैक्ट फीस बढ़ाने और दूसरी सुविधाएँ देने में इस्तेमाल करे।