कश्मीर में आतंक यानी ”बुलेट” हमेशा से ”बैलेट” की दुश्मन रही है। लेकिन इसके वाबजूद लोग लोकतंत्र के लिए जान की परवाह भी नहीं करते और गोली के सामने लोकतंत्र का ध्वजवाहक होकर खड़े हो जाते हैं। छत्तीसगढ़ के नक्सली बहुल इलाके में विधानसभा के पहले चरण के मतदान में भी लोगों ने ऐसी ही हिम्मत दिखाई थी।
यह कोइ पुरूस्कार लेने के लिए नहीं है इसलिए इन लोगों की हिम्मत को सैल्यूट। अब बात कश्मीर की है। कुपवाड़ा दशकों से आतंकवाद का गढ़ रहा है। स्थानीय निकाय के चुनाव में इस आतंकवाद ग्रस्त इलाके ने बहादुरी दिखाई थी। आतंकवादियों की वोट डालने पर खबरदार वाली धमकी लोगों के सामने थी। अलगाववादियों ने भी चुनाव बायकाट का ऐलान कर रखा था। जाहिर है कौन और क्यों वोट डालने जाता। लेकिन कुपवाड़ा ने बुलेट की धमकी के सामने बैलट का झंडा उठाया था – पूरी हिम्मत के साथ।
करीब एक महीना पहले हुए स्थानीय निकाय के उस मतदान में पूरे कश्मीर में सबसे ज्यादा वोट कुपवाड़ा में ही पड़े थे। कोइ २५- ४० परसेंट नहीं पूरे ६५ परसेंट। जिस कश्मीर में कहीं ५ तो कहीं ७ परसेंट ही वोट पड़ें, वहां मतदान का यह बड़ा प्रतिशत बहुत सुकून देता है और उस कश्मीर की याद आती है जब वहां सुकून था। गोलियां नहीं बरसतीं थीं और केसर और सेब की खुशबू नथनों में महकती है। महकती अब भी है लेकिन वो बात कहाँ।
आज का शनिवार फिर लोकतंत्र का ध्वजवाहक बना है – कश्मीर में। कश्मीर के कुपवाड़ा में। कुपवाड़ा, जिसे आतंकियों का प्रवेश द्वार कहा जाता है। सूबे में पंचायत चुनाव का पहला चरण है आज। जम्मू कश्मीर में चुनाव दुनिया भर के मीडिया के लिए बड़ी खबर रही है। और आज की बड़ी खबर यही है कि आतंक के इस प्रवेश द्वार में आज लोकतंत्र जश्न मन रहा है। बुलेट नतमस्तक है। लोग सीना ताने खड़े हैं।
अपने पास ११ बजे तक के आंकड़े हैं। कुपवाड़ा में ८५ पोलिंग लोकेशंस हैं। कुल तीन ब्लाक हैं जिसमें ३३१४२ वोटर हैं। सुबह ९ बजे तक इन ८५ मतदान केंद्रों पर १२५९ वोट पड़ गए थे। १० बजे यह आंकड़ा १२,१०४ वोट हो गया। और ११ बजे २७,०४१ वोट मतपेटी में पड़े लोकतंत्र का गीत गा रहे थे। शायद अगला आंकड़ा जब ”तहलका” तक पहुंचे तो लोक तंत्र के संगीत ध्वनि और ऊंची और मधुर हो चुकी हो।
यह भी बता दें इन ११ बजे तक श्रीनगर में २१३, गंदरवाल में ९१, बड़गाम में १५४६, बारामुला में ६९७०, हंदवाड़ा में ४८९१, बांडीपोरा में १३४१, सोपोर में ८५० वोट पड़े थे। लेह, जहाँ सौभाग्य से आतंक का साया नहीं वहां १२५८ और कारगिल में १६८० वोट पड़े थे।
कुपवाड़ा के लोकतंत्र प्रेमी और बहादुर लोगों को सलाम। वैसे इन पूरे इलाकों में ११ बजे तक कुल मतदाताओं १,६१,६८० में से २९,९७९ मतदाताओं ने वोट डाला था और इसमें से अकेले कुपवाड़ा ने २७,०४१ वोट डाले थे।
जम्मू कश्मीर के वरिष्ठ पत्रकार एसपी शर्मा से तहलका ने इसे लेकर बात की। उन्होंने कहा – ”हाँ यह दिलचस्प है और चुनाव का वहिष्कार करने वालों के लिए बड़ा झटका भी। बन्दूक के खौफ के आगे वोट को तरजीह देना हिम्मत की बात तो है ही।”