इस सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों में विभिन्न मुद्दों पर बात चीत हुई। आर्थिक मुद्दों से आतंकवाद तक जमकर राय-मश्विरा हुआ। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न राष्ट्राध्यक्षो से अलग-अलग मुलाकात की। आतंकवाद पर बातचीत भी हुई लेकिन आतंकवाद के लिए चर्चित गुटों का नाम ब्रिक्स की विज्ञप्ति नें इस बार नहीं आया। जबकि साल भर पहले शंघाई में हुई बैठक के बाद जारी विज्ञप्ति में लश्कर-ए-तोएबा और जैश-ए-मोहम्मद का नाम आतंकवादी संगठनों बतौर शामिल किया गया था।
जोहानिसबर्ग डिक्लेरेशन मे जोरदार तरीके से आतंकवाद से मुकाबला करने की बात तो है लेकिन कोई नाम नहीं दिया गया है। इसमें कहा गया है ब्रिक्स में शामिल कुछ देशों में अब भी विभिन्न रूपों में जारी आतंकवादी घटनाओं की निंदा करते हैं। आतंकवाद को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ के तत्वावधान में मजबूत अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत ऐसा मिला जुला प्रयास होना चाहिए जिससे आतंकवाद का मजबूती से मुकाबला किया जा सके। हम सभी देशों को आतंकवादी गतिविधियों के लिए अपनी सीमाओं से धन न देने की पुरजोर व्यवस्था हो। सभी देश मिलजुलकर आतंकवाद का मुकाबला करें साथ ही वे लोगों के दिमाग को उग्रवाद की ओर ले जाने के प्रशिक्षण को बंद कराएं, उन्हें मिलने वाले धन को रोकें और उन तक पहुंचने वाले हथियार को रोकें। यह व्यवस्था भी हो कि नवीनतम सूचना तकनॉलोजी उन तक न पहुंच सके।
इससे पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन कर यात्रा पर रवांडा पहुंचे थे। वहां उन्होंने गरीब गांव वासियों को 200 गाएं तोहफे में दी। इसका मकसद वहां के राष्ट्रपति पॉल कगामा के गरीबी खत्म करो और बच्चों में कुपोषण के खत्मे के कार्यक्रम की सहायता करना था। कगामा ने 2006 में गिरिंका कार्यक्रम शुरू किया था। इसके तहत हर गरीब परिवार को एक गाय दे कर उसे वित्तीय सुरक्षा प्रदान की जाती है।
नरेंद्र मोदी ने गिरिंका कार्यक्रम की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत के लोग यह देख कर हैरान हो जाएंगे की रवांडा में गऊओं को कितना महत्व दिया जा रहा है और इसे देश में आर्थिक समृद्धि लाने का स्त्रोत समझा जाता है।