आतंकवादी शिविरों पर भारतीय विमानों का धावा

पाकिस्तान में आतंकवादी शिविरों पर ज़ोरदार हमले हुए। भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने मंगलवार भोर (26 फरवरी) में पाकिस्तान के बड़े आतंकवादी शिविर पर हमला बोला।  पाकिस्तान के पख्तूनख्वाह प्रांत के बालाकोट में चल रहे बड़े प्रशिक्षण शिविर को नष्ट करके 300 से ज़्यादा आतंकवादियों के मारे जाने का दावा किया है। इस हमले में 12 मिराज-2000 और 30 सुखोई जेट भी शामिल थे। पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा भारत ने ‘लाइन ऑफ कंट्रोल’ तोड़ कर पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर यह हमला किया है। भारत का कहना है कि यह हमला आतंकवाद के खिलाफ था। भाजपा और कांग्रेस ने इस कार्रवाई का समर्थन किया है।

भारतीय वायुसेना का यह हमला मंगलवार की भोर में पौने चार बजे बालाकोट आतंकवादी शिविर पर आभा टॉप पर हुआ। इस कार्रवाई में चार-पंाच धमाके हुए। इस पूरे ऑपरेशन में करीब 21 मिनट का समय लगा। यह पूरा ऑपरेशन इसलिए किया गया क्योंकि ऐसी सूचना थी कि जैश भारत में अगली बड़ी आतंकवादी वारदात के लिए बड़ी तादाद में प्रशिक्षण शिविर बालाकोट में चला रहा है। इस शिविर को जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर का बहनोई मौलाना य्सुफ अजहर उर्फ उस्ताद धौरी चला रहा था। भारतीय वायुसेना के बड़े हमले में अनुमान है कि बड़ी तादाद में जैश आतंकवादी, प्रशिक्षक, कमांडर और जिहादियों के समूह नष्ट हुए।भारतीय वायु  सेना के इस हमले के घंटों बाद भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि यह हमला बेहद ज़रूरी था, क्योंकि यह संगठन भारत पर जल्दी ही बड़ी आतंकवादी कार्रवाई करने की तैयारी में जुटा था। उन्होंने कहा कि भोर में हुए इस हमले का निशाना बालाकोट का प्रशिक्षण शिविर था। यह पूरा हमला पूरी तौर पर किसी भी पाकिस्तानी सैनिक ठिकाने या नागरिक ठिकानों पर केंद्रित नहीं था। यह सब ‘प्री एंप्टिव’ था जिससे दूसरा आतंकवादी हमला न हो। इस हमले में बड़ी तादाद में आतकवादी मारे गए हंै। पूरी  कार्रवाई में यह ध्यान रखा गया है कि कोई नागरिक न तो घायल हो और न मारा जाए।

मंगलवार को पाकिस्तानी इलाके में भारतीस वायुसेना का यह हमला 1971 के बाद अब यानी 48 साल बाद हुआ। जब 1999 में कारगिल युद्ध हुआ तब भी भारतीय वायुसेना ने भारतीय सीमा में आ गई पाकिस्तानी सेना को हटाने के लिए कार्रवाई की थी । लेकिन इस मामले में तो यह ज़रूरी हो गया था कि भारत पुख्ता ज़मीन पर खड़े होकर आतंकवादी हरकतों पर रोक लगा सके।

भारत की इस कार्रवाई से पाकिस्तानी वायुसेना की क्षमताओं पर भी सवाल अब उठने लगे हैं। पहले भी ऐसी ही अक्षमता तब उभरी थी जब अमेरिकी नेवी टीम ने 2011 में पाकिस्तान में अपना ऑपरेशन किया और एबोटाबाद से ओसामा बिन लादेन को उठा कर ले गए थे। उसके बाद इस बार इतनी बड़ी तादाद में भारतीय वायुसेना के विमान भारत पाकिस्तान की सीमा से 80 किलोमीटर अंदर गए और इतनी बड़ी कार्रवाई करके लौट भी आए। कहीं  भी पाकिस्तानी वायुसेना ने कोई चुनौती स्वीकार नहीं की।

भारत सरकार ने विपक्षी दलों को पुलवामा हमले के बाद से साथ ले लिया था जिसके कारण नीतिगत विरोधाभास नहीं रहा। सरकारी फैसले का विपक्ष ने अनुमोदन ही किया। भारत सरकार ने जिस तरह इस सारे मामले में अंतरराष्ट्रीय  राजनयिक समुदाय को भी अपने फैसलों से जोड़े रखा, वह राजनीतिक कौशल ही है। चीन तक ने इसमें ज़्यादा कुछ नहीं कहा सिर्फ इस बात पर ज़ोर दिया कि दोनों देश नरमी बरतें और बातचीत करें।

कश्मीर के मसलों को सुलझाने का अब स्थानीय स्तर पर भी प्रयास होना चाहिए। प्रयास ऐसा कि कश्मीर के युवकों में जो असंतोष और नाराजग़ी है उसे दूर किया जाए। उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जाए जिससे आतंकवादियों को जगह न मिल पाए। इसके लिए ज़रूरी है कि बातचीत के लिए दरवाजे खुले रखे जाएं।

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