आज भी देश के अधिकतर हिस्सों में छुआछूत जैसा कोढ़ बरकरार है। मंदिरों में जाने से दलितों को रोकने, नल (हैंडपम्प) व कुओं से पानी न पीने देने और श्मशान घाट में चिता न जलने देने की घटनाएँ गाहे-ब-गाहे सुनने, पढऩे और देखने को मिल जाती हैं। ऐसी घटनाएँ न केवन मन को झकझोर देती हैं, बल्कि मानवता को शर्मसार करती हैं। देश और समाज में नेता, आला अधिकारी और तथाकथित समाजसेवी कितनी भी बड़ी-बड़ी बातें क्यों न करें, मगर फिर भी शासन-प्रशासन की नाक के नीचे कुछ उपद्रवी लोग ऐसी घटनाओं को अंजाम दे देते हैं जिससे कानून तो टूटता ही है, लोकतंत्र की हत्या भी होती है। दु:ख की बात यह है कि इस आधुनिक युग में आज भी हम वहीं खड़े हैं, जहाँ सदियों पहले खड़े थे। ऐसी ही घटना राजस्थान के एक गाँव में हाल ही में घटी है। यहाँ दबंगों ने एक दलित बुजुर्ग महिला के शव का दाह संस्कार नहीं करने दिया।
यह घटना राजस्थान के ज़िला टोंक के गाँव गाता, थाना पिपलू की है। गाता गाँव में रहनी वाली 80 वर्षीय विधवा फूला देवी बैरवाँ की मृत्यु 19 दिसंबर को हो गयी थी। बैरवाँ समाज के लोग अपनी रीति-रिवाज से फूला देवी का शव दाह संस्कार के लिए श्मशान घाट पहुँचे; लेकिन गाँव के कुछ दबंगों ने श्मशान घाट पहुँचकर न केवल शव का दाह संंस्कार रोक दिया, बल्कि उसे चबूतरे से हटवाकर जानवरों की तरह घसीटकर बाहर कर दिया। दबंग यहीं नहीं रुके, उन्होंने दाह संस्कार के लिए लायी गयी लकडिय़ों को भी बाहर फेंक दिया। मृतकों के परिजनों ने इस अपमान और अमानवीय घटना की लिखित शिकायत जब पुलिस में दी, तब पुलिस शव का दाह संस्कार कराने गाँव पहुँची। लेकिन हैरत की बात यह रही कि दबंगों ने पुलिस के कहने पर भी शव का दाह संस्कार उस चबूतरे पर नहीं करने दिया, जो शव दाह के लिए बनाया गया है। पुलिस के बहुत दबाव डालने के बाद भी दबंगों ने कई घंटे के बहस और ड्रामे के बाद शव को श्मशान में नीचे ज़मीन पर दहन करने दिया। हैरत की बात यह है कि पुलिस इसी सफलता पर ऐसे संतुष्ट दिखी, जैसे उसने न्याय कर दिया हो। यही नहीं जिन दबंगों ने इस अमानवीय घटना को अंजाम दिया, पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार तक नहीं किया; जबकि पुलिस ने दबंगों की दबंगई का खुद भी सामना किया। दलितों ने इस अमानवीय घटना के लिए कांग्रेस नेता लक्ष्मण गाता जाट और उसके सहयोगियों को ज़िम्मेदार बताया है। आरोप है कि लक्ष्मण के साथी दलितों को जब-तब परेशान करते रहते हैं। इस मामले में पुलिस ने लक्ष्मण और उसके साथियों के िखलाफ एफआईआर तो दर्ज कर ली, लेकिन गिरफ्तार किसी को नहीं किया। इस घटना के िखलाफ बैरवाँ क्रान्तिकारी संगठन टोंक राजस्थान के सैकड़ों लोगों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर इकट्ठा होकर प्रदर्शन किया। दलितों ने राष्ट्रपति से दोषियों को सज़ा दिलाने की गुहार लगायी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ऐसे मामलों में तत्काल हस्तक्षेप करें, ताकि कहीं भी दबंग ऐसी अमानवीय घटनाओं को अंजाम न दे सकें। दलितों ने कहा कि जब लक्ष्मण गाता जाट के िखलाफ एफआईआर दर्ज है, तो उसको अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा है? प्रदर्शन में फूला देवी के परिवार के रामकरण ने बताया कि इस अमानवीय घटना की शिकायत उन्होंने ज़िले के डीएम, एसपी और स्थानीय विधायक से की; कोई कार्रवाई न होने पर उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से शिकायत की। लेकिन उन्होंने भी घटना पर कोई ध्यान नहीं दिया। हर ओर से निराश होकर वे और उनके साथी-समर्थक राष्ट्रपति से गुहार लगाने के लिए यहाँ इकट्ठे हुए हैं। रामकरण का कहना है कि गाँवों में दलितों के साथ छुआछूत, भेदभाव वाली घटनाएँ फिर से होने लगी हैं। दलितों को मंदिरों में नहीं जाने दिया जाता है। लेकिन हमारे गाता गाँव में पहली बार अंतिम संस्कार से भी रोक दिया गया। रामशरण ने बताया कि इस मामले जब तक आरोपी दबंगों को सज़ा नहीं हो जाती है, तब तक वे पूरे देश में धरना-प्रदर्शन करते रहेंगे, ताकि देश के किसी भी गाँव में किसी भी दलित के साथ ऐसा न हो सके।