बड़ा अजीब सा लगता है जब बलात्कार की शिकार पर ही तमाम आरोप लगा दिए जाते हैं; बलात्कारी की सुरक्षा में उसका संस्थान जुट जाता है। भगवान के प्रिय प्रदेश केरल में एक नन के साथ एक बिशप फ्रांको मुकम्मल ने 2014 से 2016 के दौरान 13 बार शारीरिक संबंध बनाए। उस बिशप के पक्ष में उसका कैथोलिक चर्च खड़ा दिखा। हालांकि तीन सप्ताह से चल रहे आंदोलन के बाद अब वेटिकन ने उसे पद मुक्त कर दिया है। बीस सितंबर को पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया है और जिरह कर रही है। राज्य में सरकार वामपंथियों की हैं लेकिन वे बाढ़ से प्रभावित रहे प्रदेश को ही दुरूस्त करने में लगे हैं। फिर कैथोलिक वोटों का मामला है। केरल पुलिस अपनी सफाई में कहती है कि जांच का काम जारी है। फिलहाल बिशप को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। दूसरी ओर आरोप लगाने वाली ‘ननÓ को चर्च ने कार्यमुक्त कर दिया है। उसके विरोध में प्रदर्शन जारी है। जैसे ही प्रमाण मिलेंगे तो गिरफ्तारी हो जाएगी। बिशप का बयान लिया जा रहा है।
कुराबिलागड, केरल के कस्बे में बिशप फ्रांकों ने एक नन को अश्लील संदेश भेजे उससे संबंध बनाए और उसके फोटो भी खींचे। शुरू में नन ने अपनी पीड़ा के संबंध में राज्य के अधिकारियों से लेकर चर्च और राष्ट्रीय स्तर पर कार्डिनाल जार्ज एलेंकरी तक से बात की। जार्ज एलेंकरी कोची के सीरियो-मलाबार चर्च के अध्यक्ष हैं। दिल्ली में वह आर्कबिशप अनिल कोटो से मिली। जब उसकी शिकायतों को अनसुना किया गया तब वह पुलिस के पास न्याय की उम्मीद में गई। लेकिन बिशप का रसूक और पैसा बाधक रहा।
बिशप के खिलाफ 28 जून 2018 को ब्योरेवार एफआईआर दर्ज हुई। नन और कान्वेंट के दूसरे लोगों के भी इसमें बयान हैं। नन ने बताया कि उसके साथ जिस तरह बलात्कार किया गया वह बेहद तकलीफ देह रहा है। अब बिशप और उनके लोग उल्टे नन पर ही आरोप लगा रहे हैं। दो साल की अवधि में 13 बार उससे बलात्कार किया गया क्योंकि कैथोलिक चर्च में बिशप की कुर्सी पर वह है इसलिए चर्च में उसके ऊपर के अधिकारी इस पर कोई कार्रवाई नहीं चाहते।
कैथोलिक सभाओं में बिशप समर्थकों ने यह कहा कि हिंदुत्व समर्थक ताकतें उस नन के साथ हैं और बिशप पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। साथ ही एक चित्र दिखाया गया जिसमें नन एक कार्यक्रम में बिशप के साथ है। यह भी कहा जा रहा है कि जनता, पुलिस और अदालत को भ्रम में डाले रखने के लिए ही नन ऐसा कर रही है।
चर्च की ओर से बिशप को समर्थन यह जताता है कि चर्च अभी भी पितृसत्तात्मक समाज की दिमागी सोच में फंसा है और नन को यह दूसरे दर्जे की नागरिक मानता है। जिसकी शारीरिक सुरक्षा और नैतिक सुरक्षा का कोई मोल चर्च में ताकतवर जगहों पर बैठे लोगों के लिए नहीं है। केरल के एक निर्दलीय विधायक पीसी जार्ज ने तो बिशप के पक्ष में बोलते हुए नन को एक वेश्या तक कहा। यह बताता है कि एक पुरूष किस तरह दूसरे पुरुषों के गलत काम को सही बताता है जिससे वे अपने विशेष अधिकारों को बचाए रखा सकें। कैथोलिक नन की आपबीती के पक्ष में दूसरी कैथोलिक नन एक अर्से से केरल हाईकोर्ट के बाहर प्रदर्शन कर रही हैं। अपनी एकजुटता के साथ उन्होंने सारे अपमानजनक आरोपों को खारिज कर दिया है और आंदोलन तब तक जारी रखने को फैसला लिया है जब तक नन को न्याय नहीं मिलता।
बिशप को चर्च ने जलंधर भेज दिया है। नन ने मांग की है कि पुलिस बिशप फ्रांको से पूछताछ करे। बिशप फ्रांकों और उसके साथी चर्च की संपत्ति से पुलिस जांच में बाधा डालते रहे। उन्हें यह अंदेशा है कि गवाहों को धमकी या पैसों से बिशप प्रभावित कर सकता है। राज्य प्रशासन पर तो वह हावी ही है।