सन् 1997 की बात है, उत्तराखण्ड के नैनीताल में गॢमयों की छुट्टियाँ बिताने के लिए इस्लाम नाम का एक युवा गया हुआ था। वहीं पर अपने परिवार के साथ एक युवती सीमा भी गयी हुई थी। कहते हैं कि ईश्वर को जिससे जिसे मिलाना होता है, उसे किसी न किसी बहाने से मिला ही देता है। अगर ऐसे लोगों को अलग भी करना चाहती है, तो भी अलग नहीं कर पाती। लेकिन दुनिया या समाज की ओछी सोच के चलते कई बार हँसती-खेलती ज़िंन्दगियाँ बर्बाद हो जाती हैं। ऐसे कई उदाहरण भी मेरे ज़ेहन में हैं, जो आज भी अंदर तक हिलाकर रख देते हैं। लोगों को ऐसा नहीं करना चाहिए। अगर इस दुनिया को लम्बे समय तक ज़िंन्दा रखना है; मानव अस्तित्व को बचाकर रखना है, तो इंसानियत, मोहब्बत और इज़्ज़त को बचाकर रखना पड़ेगा। यह बहुत छोटी-सी बात है, मगर जब मामला दो लोगों के प्यार का आता है, तो सभी प्यार के विरोध में खड़े हो जाते हैं। जब कोई िफल्म में प्यार के िखलाफ होता है, तो हम उसके विरोध में होते हैं और दिल से यही चाहते हैं कि दो प्यार करने वालों का मिलन होना ही चाहिए, परन्तु असल ज़िंन्दगी में हम ही प्यार करने वालों के दुश्मन हो जाते हैं। वहाँ हम नकली मोहब्बत में इतने इमोशनल हो जाते हैं कि हम नकली बिलेन को असली बिलेन मान लेते हैं और यहाँ सिर्फ दिखावे की शान-ओ-शौकत और झूठी इज़्ज़त के लिए खुद ही बिलेन बन जाते हैं।
खैर, यहाँ इस्लाम और सीमा की बात करते हैं। यह इत्तेफाक ही था कि इस्लाम और सीमा तथा उसका परिवार एक ही होटल में ठहरे हुए थे। दोनों के कमरे भी अगल-बगल के थे। दूसरे दिन सुबह नाश्ते की टेबल पर इस्लाम जाकर बैठा था, तभी सीमा और उसके परिजन भी नाश्ता करने पहुँचे और इस्लाम के बगल में लगी डाइनिंग टेबल पर बैठ गये। सीमा बराबर की टेबल पर इस्लाम के सामने की तरफ बैठी थी और उसके माता पिता इस्लाम के बराबर में। नाश्ता करने के दौरान दोनों की एक-दो बार नज़रें मिलीं। शायद दोनों की ही नज़रों में एक-दूसरे के प्रति आकर्षण पैदा हुआ और फिर यह सिलसिला चोरी-छिपे शुरू हो गया। इस दौरान सीमा के माता-पिता का भी ध्यान दोनों की तरफ गया, परन्तु उन्होंने इस बात को सामान्य रूप से ही लिया। नाश्ते के बाद इस्लाम और सीमा तथा उसका परिवार होटल के लॉन में धूप सेंकने पहुँचे। लॉन में होटल में ठहरे हुए और भी सैलानी गये थे। जब सीमा अपने माता-पिता के साथ लॉन में टहल रही थी, तभी उसका पैर फिसल गया और उसमें मोच आ गयी। इस्लाम यह सब देख रहा था। सीमा आई! करके मैदान में बैठ गयी और उसके माता-पिता क्या हुआ सीमा बेटा? कहते हुए उसके पास दौड़े। उन्होंने सीमा को उठाने का प्रयास किया, पर वह उठ नहीं पायी। जैसे ही उसने उठने की कोशिश की, वह दर्द से कराहकर दोबारा बैठ गयी। इस्लाम के दादा वैद्य थे और इस्लाम उनसे छोटी-मोटी तकलीफों का इलाज सीख चुका था। वैसे इस्लाम बीएड कर रहा था और अध्यापक बनना चाहता था। यह सीमा के पास आने का मौका था या इंसानियत, पता नहीं; पर इस्लाम वहाँ आया औ उसके माता-पिता से कहा कि वह सीमा का पैर ठीक कर सकता है। उसके माता-पिता ने पहले तो उसे हैरत भरी नज़रों से देखा और फिर बेटी को परेशान देखकर इजाज़त दे दी। इस्लाम ने सीमा का पैर पकड़ा और थोड़ी ही देर में मालिश आदि करके ठीक कर दिया। हालाँकि, शुरू में सीमा चिल्लाई, पर बाद में आराम होन पर खुश भी हुई। सीमा और उसके माता-पिता ने इस्लाम का शुक्रिया किया। इसके बाद तो वे एक ही जगह जाकर बैठे और बातें करने लगे। दोनों की तरफ से बहुत सारी बातें हुईं। सीमा के माता-पिता ने इस्लाम से कई सवाल किये। इसी बीच सीमा के पिता ने अपने और सीमा के बारे में भी थोड़ा-बहुत बताया। सीमा बीए फस्र्ट में पढ़ती थी और अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। जब सीमा के पिता इस्लाम से सवाल पूछ रहे थे तब सीमा इस्लाम की तरफ देखे जा रही थी और जब वे सीमा का परिचय इस्लाम को दे रहे थे, तब सीमा की तरफ इस्लाम देखे जा रहा था। यह एक इत्तेफाक था कि दोनों एक ही ज़िंले के थे। अब दोनों में बातचीत होने लगी। पता और टेलिफोन नंबर का आदान-प्रदान हो गया। दो दिन वहाँ रहने के बाद इस्लाम चला गया। वहीं सीमा और का माता-पिता शायद एक दिन और रुके। किसी को नहीं मालूम था कि दोनों में प्यार हो गया है। करीब तीन महीने बाद जब सीमा ने अपनी माँ को बताया कि वह इस्लाम से शादी करना चाहती है, तब यह बात आग की तरह फैल गयी और हंगामा खड़ा हो गया। सीमा को थप्पड़ भी पड़े, डाँट भी और कॉलेज आने-जाने पर पाबंदी भी लगी। इसी तरह करीब छ: महीने का समय बीत गया। दोबारा सब सामान्य हो गया। सीमा फिर से कॉलेज जाने लगी। इस बीच उसकी शादी तय कर दी गयी। सॢदयों में उसकी शादी होनी थी। एक दिन सीमा शाम को घर नहीं लौटी। उसके माता-पिता ने उसे ढूँढना शुरू किया, पर कहीं पता नहीं लगा।
अगले दिन एक छोटे से अखबार में एक इश्तहारनुमा खबर निकली कि मज़हबों की सीमाएँ तोडक़र प्रेमी युगल ने की कोर्ट मैरिज। खबर पढक़र सीमा के पिता सन्न रह गये और माँ रोने लगी। पर अब क्या होना था? दोनों प्रेमी मज़हबी दीवारों को तोडक़र पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते में बँध चुके थे। एक साल तक सीमा न अपने घर लौटी और न ही उसके घर वालों ने उसे बुलाया। हाँ, याद सबने किया। लोगों ने उसे खूब कोसा। मगर इस बीच सीमा की अपने घर वालों से, खासकर अपनी माँ से बात होने लगी थी। दोनों ओर से मिलने की एक तड़प थी। सीमा को एक बेटा हुआ और दोनों परिवारों का मिलन भी। मगर इस मिलन ने सीमा की तरफ के कई रिश्ते तोड़ दिये। पर उसके माता-पिता ऐसा नहीं कर सके।