मोदी सरकार की बढ़ती फ़ज़ीहत और #मीटू अभियान और कांग्रेस के लगातार दबाव के बाद आखिर विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने बुधवार शाम इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दिया है।
#मीटू अभियान के तहत अकबर पर लगातार यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा। अकबर पर २० महिलाओं ने यौन शोषण का आरोप लगाया था जबकि बुधवार को एक और महिला ने ऐसा ही आरोप उनपर लगाया। इस बीच जिन प्रिया रमानी पर अकबर ने मानहानी का दावा किया है उन्होंने अकबर के इस्तीफे पर खुशी जताई है। अकबर ने इस्तीफा देने के बाद कहा कि ”वह न्याय के लिए व्यक्तिगत लड़ाई लड़ते रहेंगे”। उन्होंने कहा कि अब वह निजी तौर पर केस लड़ेंगे। उन्होंने पीएम मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का आभार जताया है।
#मीटू अभियान के तहत अब तक २१ महिला पत्रकारों ने एमजे अकबर के ऊपर यौन शोषण का आरोप लगाया है और यह सभी मामले १०-१५ साल के हैं जब अकबर पत्रकारिता जगत के शिखर पर थे।
अकबर ने आपराधिक मानहानि की धारा ४९९, ५०० के तहत प्रिया रमानी के खिलाफ केस दायर किया है।
एमजे ( मुबशर जावेद) अकबर भाजपा के सदस्य हैं हालांकि कभी वे कांग्रेस के भी काफी करीब रहे हैं। पूर्व पीएम राजीव गांधी के उन्हें काफी नजदीक माना जाता था। माना जाता है कि अकबर २०१४ के चुनाव अभियान के वक्त मोदी के करीब आये। हाल के घटनाक्रम के बाद भाजपा के भीतर भी उन्हें लेकर असहजता महसूस की जा रही थी।