आई टी ऐक्ट 66ए रद्द किए जाने के बावजूद इसके तहत लगातार केस दर्ज होने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है और सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को भी नोटिस जारी किये है।
अदालत ने कहा है कि न्यायपालिका को हम अलग से देख सकते हैं, लेकिन पुलिस भी है. इस पर एक उचित आदेश की आवश्यकता है, क्योंकि यह इस तरह जारी नहीं रह सकता है। यह पुलिस के बारे में भी है।
राज्य सरकारों के तहत कानून का पालन करने वाली एजेंसियों को सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि आईटी एक्ट की धारा-66ए के तहत कोई नया मामला दर्ज न हो.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा-66 ए प्रावधान को रद्द करने के बाद इसके तहत मामले दर्ज को बंद करना राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की जिम्मेदारी है।
गौरतलब है कि रद्द हो चुके कानून पर भी केस दर्ज होने के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई थी और यह मामला संज्ञान में आने के बाद गंभीरता से लिया है।
जानकारी के अनुसार, रद्द किए जाने के वक्त इस कानून के तहत 11 राज्यों में 229 मामले लंबित थे, लेकिन इसके बाद भी इन राज्यों में इस प्रावधान के तहत 1307 नए मुकदमे दर्ज किए गए हैं।