चीनी मोबाइल कंपनी वीवो इस साल आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सर नहीं होगी। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने वीरवार को उसके साथ हुए करार को सस्पेंड कर दिया। बोर्ड की ओर से एक लाइन का बयान जारी कर इसकी जानकारी दी।
वीवो ने 2018 में 2190 करोड़ रुपये में 5 साल के लिए आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सरशिप डील हासिल की थी। यह करार 2022 में खत्म होना था। इस डील के तहत वीवो बीसीसीआई को हर साल 440 करोड़ रुपए देती है। अब बीसीसीआई नए टाइटल स्पॉन्सर के लिए टेंडर जारी करेगा। आईपीएल और वीवो के बीच अगले साल 2021 से 2023 तक के लिए नया करार हो सकता है।
इस साल कोरोना के चलते संयुक्त अरब अमीरात में 19 सितंबर से 10 नवंबर तक होना है। टूर्नामेंट शुरू होने से पहले ही वीवो पर विवाद शुरू हो गया था। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ समेत कई संगठन आईपीएल का बायकॉट करने की बात कर रहे थे। बता दें कि देश में स्मार्ट फोन बाज़ार में चीनी कंपनियों का एक तरह से कब्जा है।
संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा था, ‘‘जब से पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हमारे 20 जवान शहीद हुए हैं, तब से देशभर में चीन और उनकी कंपनियों के खिलाफ विरोध चल रहा है। ऐसे में आईपीएल के ऑर्गनाइजर्स ने चीनी कंपनी को स्पॉन्सर बना दिया। यह दिखाता है कि उनकी भावनाएं सही नहीं हैं। अगर जल्द ही करार को खत्म नहीं किया गया, तो हमारे पास आईपीएल का बायकॉट करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।
बीसीसीआई ने मंगलवार को कहा था, ‘वीवो और बीसीसीआई अधिकारी (बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह) के बीच बातचीत हुई है। पूरी संभावना है कि वीवो एक साल के लिए टाइटल स्पॉन्सरशिप से हट जाए।’