अगर आपको कोरोना होने की संभावना है या करोना के लक्षण नजर आ रहे है तो अस्पताल जाने से पहले अस्पताल में बैड उपलब्ध होने और आँक्सीजन होने का पता लगा ले, अन्य़था इस बीमारी के दौर में आपको बेवजह परेशानी हो सकती है।
तहलका संवाददाता को गणेश नगर निवासी किशन 54 ने बताया कि दो-तीन से उनको शरीर में कमजोरी महसूस हो रही थी। अचानक 20 अप्रैल की रात सांस लेने में दिक्कत होने लगी तो परिजनों ने पहले पास के अस्पताल लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में ले जाकर इलाज कराना बेहत्तर समझा। लेकिन अस्पताल में आँक्सीजन और बैड ना मिलने फिर वो दिल्ली के लेडी हार्डिंग अस्पताल में इलाज को पहुंचे वहां भी कोई कोरोना की जांच ना हो सकी। फिर बाद में राम मनोहर लोहिया अस्पताल में जाकर जैसे –तैसे आँक्सीजन मिल सकी ।और अन्य जांचे हो सकी।
यहीं हाल दिल्ली के करावल नगर निवासी परम सिंह का कहना है उनकी पत्नी और बहु को कोरोना होने पर जीटीबी अस्पताल ले गये। लेकिन वहां पर डाक्टरों और पैरामेडिकल कर्मचारियों का रवैया ही कुछ ऐसा था । जिससे उनको इलाज कराने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। परम सिंह का कहना है कि आँक्सीजन की कमी होने पर डाक्टरों द्वारा मरीजों को ऐसे अपमानित किया जाता था। जैसे मरीजों द्वारा कोई अपराध किया हो।
अस्पताल के बाहर दलालों का कोरोना काल में बहुत ज्यादा दखल नज़र आ रहा है । और ये मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के नाम पर जांच के नाम पर मरीजों को गुमराह कर रहे है और औने-पौने दाम वसूल रहे है।
सबसे चौकाने वाली बात ये है कोरोना काल में इलाज में सरकारी और प्राइवेट डाक्टरों के बीच ऐसा गठबंधन है , जो मरीजों के परिजनों को प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने को कहते है। कुल मिलाकर अस्पतालों के बाहर मरीजों के साथ हो रहे दुर्व्यहार के कारण मानवता सहम रही है। वहीं महामारी के दौर में कुछ ऐसे भी डाक्टर्स है जो अपनी जान पर खेल कर मरीजों की जान बचा रहे है।