19 साल की उम्र में भारत के लिए डेब्यू करने वाले, 2007 के टी20 वल्र्ड कप के टॉप परफॉर्मर, एक ओवर में छह छक्के लगाने वाले, 2011 के वल्र्ड कप के मैन आफ द टूर्नामेंट और कैंसर को मात देने वाले योद्धा युवराज सिंह ने सोमवार (10 जून) को क्रिकेट को अलविदा कह दिया। अब उनके प्रशंसक उन्हें नीली जर्सी पहले मैदान में फिर नहीं देख सकेंगे। परन्तु उनकी खेली गई यादगार पारियां उनके दिलों- दिमाग में हमेशा रहेंगी। क्रिकेट के इतिहास में युवराज का नाम उन खिलाडिय़ों में गिना जाता है जिन्होंने अपने करियर और जीवन के उतार-चढ़ाव के बीच भी एक ऐसा मुकाम हासिल किया, जो किसी अन्य खिलाड़ी के लिए हासिल करना काफी कठिन है।
प्रतिभा के धनी इस करिश्माई खिलाडी को सीमित ओवरों की क्रिकेट का दिग्गज माना जाता है लेकिन उन्होंने इस टीस के साथ संन्यास लिया कि वे टेस्ट मैचों में अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाए।
बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने कई बार परिस्थितियों को अपने पक्ष में मोडऩे का प्रयास किया। 37 वर्षीय युवराज ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मैंने 25 साल 22 गज की पिच के आसपास बिताने और लगभग 17 साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के बाद आगे बढऩे का फैसला किया है। क्रिकेट ने मुझे सब कुछ दिया और यही वजह है कि मैं आज यहां पर हूं। उन्होंने कहा,” मैं बहुत भाग्यशाली रहा कि मैंने भारत की तरफ से 400 मैच खेले। जब मैंने खेलना शुरू किया था तब मैं इस बारे में सोच भी नहीं सकता था। उन्होंने कहा,” यह इस खेल के साथ एक तरह से प्रेम और नफरत जैसा रिश्ता रहा। मैं शब्दों में बयंा नहीं कर सकता कि वास्तव में यह मेरे लिए कितना मायने रखता है। इस खेल में मुझे लडऩा सिखाया। मैंने जितनी सफलताएं अर्जित की उससे अधिक बार मुझे हार मिली पर मैंने कभी हार नहीं मानी।
अपने प्रशंसकों के बीच युवी के नाम से मशहूर युवराज ने सौरव गांगुली की कप्तानी में अपना करियर शुरू किया था और सचिन, द्रविड, और कुंबले, जैसे लीजैंड के साथ खेला। भारत के बेहतरीन ऑलराउंडर में से एक युवी ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों में कई अह्म पारियां खेली और भारत को जीत दिलवाई।
क्रिकेट करियर
युवराज ने 40 टेस्ट, 304 वनडे और 58 टी-20 मैच खेले। उन्होंने सन 2000 में 19 साल की उम्र में टीम इंडिया की तरफ से केन्या के खिलाफ पहला वनडे मैच खेला था। उन्होंने 304 वनडे मैचों में 8701 रन बनाए। इसमें उनके 14 शतक और 52 अद्र्धशतक शामिल हैं।
युवराज ने अपने करियर का पहला टेस्ट मैच 2003 में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला। 40 टेस्ट मैच में उन्होंने 1900 रन बनाए। टेस्ट करियर में 32 शतक और 11 अद्र्धशतक उनके नाम हैं। इस टेस्ट सफर में उन्होंने 260 चौके और 22छक्के भी लगाए।
युवी ने अपना पहला टी-20 मैच स्काटलैंड के खिलाफ खेला था। उन्होंने टी-20 फॉरमेट में 58 मैचों में 1177 रन बनाए। दक्षिण अफ्रीका में 2007 में खेले गए टी-20 विश्व कप में उनकी उपलब्धि का कोई सानी नहीं है। उन्होंने इंग्लैंड के गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड के एक ओवर में छह छक्के लगाए थे जिसे क्रिकेट प्रेमी कभी भूल नही पाएंगे। उन्होंने 12 गेंदों में 50 रन बनाकर सबसे तेज अद्र्धशतक बना था।
युवराज आईपीएल 2015 में सबसे मंहगे खिलाडी थे। उन्होंने अपना पहला आईपीएम मैच मुंबई इंडियंस की तरफ से खेला था।
उन्होंने विश्व कप 2011 में अपनी ऑलराउंडर क्षमता का शानदार नमूना पेश किया था। उन्होने 362 रन बनाए और 15 विकेट भी लिए। इस विश्व कप में उन्हें चार मैचों में मैन ऑफ द मैच और बाद में मैन ऑॅफ द टूर्नामेंट चुना गया।
युवराज ने कहा, ”विश्व कप जीतना, मैन ऑफ द टुर्नामेंट बनना सब सपने जैसा था जिसके बाद कैंसर से पीडित होने के कारण मुझे कड़वी वास्तविकता से रू-ब-रू होना पडा। उन्होंने कहा कि यह सब तेजी से घटित हुआ और तब हुआ जब मैं अपने करियर के चरम पर था। मैं अपने परिवार और दोस्तों के मिले सहयोग को शब्दों में बयां नहीं कर सकता। जो उस समय मेरे लिए मजबूत स्तंभ की तरह थे।
युवराज ने सौरव गांगुली और महेंद्र सिंह धोनी को अपना पसंदीदा कप्तान बताया और अपने करियर में जिन गेंदबाजों को खेलने में उन्हें मुश्किल हुई उनमें श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन और आस्ट्रेलिया के ग्लेन मैकग्रा का नाम गिनाया।
युवराज ने आईपीएल से भी संन्यास लेने की घोषणा की है। अब उनके प्रश्ंासक उन्हें मैदान में चौके छक्के लगाते नहीं देख पाएंगे। परन्तु उनके द्वारा खेली गई शानदार पारियां उनके दिमाग में हमेशा रहेंगी। क्रिकेट में उनके योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जाएगा।
अपने संन्यास कीे घोषणा करते हुए युवराज ने कहा,” मैं अब जीवन का लुत्फ उठाना चाहता हूं और बीसीआई से स्वीकृति मिलने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न टी20 लीग में फ्रीलांस खिलाडी के रूप में खेलना चाहता हूं। लेकिन अब मैं इंडियन प्रीमियर लीग में नहीं खेलूंगा।
युवी ने मुझे गेंदबाज बना दिया: ब्रॉड
युवराज के संन्यास लेते ही पूरा विश्व क्रिकेट उनके सजदे में झुक गया। इसके साथ ही उनकी बेहतरीन पारियां उनके प्रशंसकों की आंखों में तैरने लगी। हर किसी ने उन्हें भावी जीवन के लिए शुभकामनाएं दी। इनमें से एक है इंग्लैंड के गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड जिनके ओवर में युवी ने छह छक्के लगाए थे। स्टुअर्ट ने ईएसपीएन से बातचीत में कहा कि आज वो जिस तरह के गेंदबाज हैं वो युवराज के छह छक्कों की वजह से ही हैं। स्टुअर्ट ने कहा, ”मैं उस समय 19 साल का था, डेथ ओवर में गेंदबाजी करने की कला और अनुभव मेरे पास नहीं था। युवी गेंद को बहुत अच्छी तरह हिट कर रहे थे। मैं अब भी सोचता हूं कि मैं छह यॉर्कर या छह स्लोअर गेंद मार सकता था, लेकिन वह जबरदस्त अंदाज से हिटिंग कर रहे थे। मैं उस दिन को नकारात्मक रूप में देख सकता हैं लेकिन यह सच है कि युवराज के छह छक्को ने मुझे अच्छा गेंदबाज बनाया। स्टुअर्ट ने ट्विटर पर युवराज को शुभकामना दी और अपने पोस्ट में उन्होंने युवी को लेजेंड करार दिया।
युवी की यादगार पारियां
नेटवेस्ट फाइनल
2002 में नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल में 327 रन का पीछा करते हुए भारत ने 146 रन पर छह विकेट गंवा दिए थे। युवराज ने इस मैच में 69 रन की शानदार पारी खेली और मोहम्मद कैफ के साथ 121 रन जोड़कर भारत को शानदार जीत दिलाई।
पहला टेस्ट शतक
2004 में लाहौर में पाकिस्तान के खिलाफ युवी ने पहला शतक लगाया। युवराज ने 129 गेंदों पर 15 चौंकों और दो छक्कों की मदद से 112 रन बनाए। हालांकि भारत यह मैच हार गया था परंतु युवराज का यह शानदार शतक क्रिकेट प्रशंसकों के जेहन में आज भी है।
एक ओवर और छह छक्के
दक्षिण अफ्रीका में 2007 में हुए टी-20 विश्व कप के दौरान डरबन में भारत और इंग्लैंड के बीच हुए मैच में युवराज ने स्टुअर्ट ब्रॉड के ओवर में छह छक्के लगाकर तहलका मचा दिया और एक ऐसा रिकार्ड बनाया जिसका किसी के दिमाग में कोई ख्याल तक नहीं था। इस मैच में ही युवी ने 12 गेंदों पर 50 रन बनाए। यह सबसे तेज अद्र्धशतक था।
2011 विश्व कप फाइनल
2011 का विश्व कप जिताने में युवराज ने अह्म भूमिका निभाई थी। फाइनल मैच में कप्तान धोनी के साथ 54 रन जोड़े थे। इस विश्व कप में युवराज चार मैचों में मैन ऑफ द मैच और मैन आफ द टूर्नामेंट रहे उन्होंने 362 रन बनाए । इस मैच में उनके द्वारा लगाया गया छक्का लोगों के दिलो दिमाग में आज भी है। युवी विश्व कप में दो बार प्लेयर आफ द टूर्नामेंट रहे। पहली बार 2000 में श्रीलंका में हुए अंडर-19 विश्व कप में और दूसरी बार 2011 विश्व कप में उन्हें मैन ऑफ द सीरीज चुना गया।