एक हफ्ते से जेल में बंद रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय से अंतरिम जमानत मिल गयी है। उनके साथ उनके सह आरोपियों को भी अंतरिम जमानत पर रिहा करने के आदेश सर्वोच्च अदालत ने दिए हैं।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा अर्नब गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों को 50,000 रुपये के बांड पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को तत्काल आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कनने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट का अंतरिम जमानत की मांग ठुकराना सही नहीं था।
आज अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने सख्त टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि अगर राज्य सरकारें लोगों को निशाना बनाती हैं, तो उन्हें पता होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शीर्ष अदालत है। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से इस सब को नजरअंदाज करने की नसीहत दी।अदालत ने कहा जिन्हें रिपब्लिक टीवी पसंद नहीं वह उसे न देखें।
कोर्ट ने कहा कि ‘हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है, महाराष्ट्र सरकार को इस सब (अर्नब के टीवी पर ताने) को नजरअंदाज करना चाहिए’। अर्नब गोस्वामी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने इस मामले की जांच सीबीआइ को देने का अदालत से आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति महाराष्ट्र में आत्महत्या करता है और सरकार को दोषी ठहराता है, तो क्या मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जाएगा?
सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘यदि हम एक संवैधानिक न्यायालय के रूप में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करेंगे, तो कौन करेगा?… अगर कोई राज्य किसी व्यक्ति को जानबूझकर टारगेट करता है, तो एक मजबूत संदेश देने की आवश्यकता है। हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है। हालांकि उनके खिलाफ दर्ज मामले की जांच जारी रहेगी।
बता दें कि मई 2018 में अलीबाग के अपने बंगले में इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां ने खुदकुशी कर ली। नाइक ने अपने सुसाइड नोट में गोस्वामी को अपनी मौत का जिम्मेदार बताया। पुलिस का कहना है कि गोस्वामी के चैनल और दो कंपनियों ने नाइक को उनकी सेवाओं के लिए भुगतान नहीं किया था जिससे तंग आकर दोनों ने आत्महत्या कर ली। हालांकि, अर्नब गोस्वामी की तरफ से अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताया है।