अरुणाचल प्रदेश में सहयोगी भाजपा ने जदयू को करारा झटका दिया है। प्रदेश में जदयू के सात में से छह विधायक सहयोगी सत्तारूढ़ भाजपा में अलग होकर शामिल हो गए हैं। इसके साथ ही पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश (पीपीए) का एक विधायक भी पार्टी बदलकर भाजपा में शामिल हो गया है। इसके बाद भाजपा के अब राज्य में 48 विधायक हो गए हैं। जदयू का एकमात्र विधायक रह गया है।
जदयू नेता केसी त्यागी ने अपने छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने को दुभाग्यपूर्ण और गैर जरूरी करार दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य में हम एक तरह से मैत्रीपूर्ण विपक्ष की भूमिका में थे। इससे बिहार में गठबंधन सरकार पर विपरीत असर पड़ सकता है।
अरुणाचल में पंचायत और नगर निगम चुनाव के नतीजों की घोषणा से एक दिन पहले यह बदलाव हुआ। भाजपा के इस फैसले से मुख्यमंत्री व जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार सहज नहीं हैं।
जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शनिवार से पटना में होने वाली है। ऐसे में एक साल से भी ज्यादा समय से बैठक की तैयारियों में जुटी पार्टी को अरुणाचल में टूट से बड़ा झटका लगा है। झटका इसलिए भी बहुत बड़ा है, क्योंकि जदयू को उसकी सहयोगी भजपा ने ही तोड़ लिया है। जदयू न सिर्फ केंद्र में एनडीए का हिस्सा है, बल्कि बिहार में भी भाजपा के साथ सरकार चला रही है। अटकलें हैं कि कार्यकारिणी की बैठक में भाजपा के साथ गठबंधन पर पुनर्विचार की मांग हो सकती है।
भाजपा में शामिल होने वाले जदयू विधायकों में तलेम तबोह, जिक्के ताको, हयेंग मंगफी, दोर्जी वांग्डी खर्मा, डोंग्रु सियोंग्जु, कांगोंग ताकू शामिल हैं।
सियनग्जू, खर्मा और टाकू को 26 नवंबर को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए निलंबित कर दिया था। इसके बाद जदयू विधायकों ने पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों को कथित तौर पर बिना बताए तालीम तबोह को विधायक दल का नया नेता चुन लिया था। वहीं, पीपीए विधायक कर्डो न्याग्योर को पार्टी ने इस महीना के शुरू में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए निलंबित कर दिया था। अरुणाचल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीआर वाघे ने कहा कि हमने पार्टी में शामिल होने के उनके पत्रों को स्वीकार कर लिया है।