अयोध्या मसले के हल के लिए शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय ने मध्यस्थता पैनल को १५ अगस्त तक का समय दे दिया। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि वह मध्यस्थता पैनल को लेकर आशावादी है। अब इस मामले की सुनवाई १५ अगस्त के बाद ही होगी।
इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान संविधान पीठ ने कहा कि हमने मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट देखी है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मध्यस्थता पैनल और वक्त चाहता है और हम इसके लिए सहमत हैं। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता की प्रक्रिया को लेकर हमने रिपोर्ट देखी है। पैनल ने १५ अगस्त तक वक्त मांगा है। ऐसे में समय दिया जा रहा है। हम नहीं चाहते हैं कि मध्यस्थता के बीच में आएं। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पैनल आशावादी है। हालांकि पैनल ने क्या प्रगति की है हम बताना नहीं चाहते।
सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकार की ओर से राजीव धवन ने कहा कि हम इसका समर्थन करते हैं। कोर्ट में सुनवाई करीब छह मिनट ही चली। हालांकि रामलला विराजमान की ओर से मोहलत दिए जाने का विरोध किया गया। वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि पहले ही इस मामले की सुनवाई में काफी देर हो चुकी है, लिहाज़ा ज़्यादा मोहलत देना उचित नहीं होगा।
मध्यस्थता समिति की बैठक जून में प्रस्तावित हैं तो जून तक मोहलत दे कर जुलाई में इसकी सुनवाई की जा सकती है। लेकिन प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि समिति ने सकारात्मक संकेत दिए हैं, लिहाज़ा वक्त देने में कोई हर्ज नहीं है।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय की गठित तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति ने सीलबंद लिफाफे में अंतरिम रिपोर्ट सौंपी थी। शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफएम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति का गठन किया था जिसमें आध्यत्मिक गुरू और आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू अन्य सदस्य हैं।