पहली की ख़बरों के विपरीत अब मुस्लिम पक्षकारों ने अयोध्या-बाबरी मस्जिद मामले में सुलह करने से इंकार किया है। उन्होंने इन ख़बरों को गलत बताया है और साफ़ किया है कि उनकी तरफ से विवादित जमीन से दावा वापस नहीं लिया गया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक पहले ऐसी ख़बरें आई थीं कि मुस्लिम पक्षकार सुलह को तैयार हैं और विवादित ज़मीन से दावा छोड़ दिया है। इन रिपोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील शाहिद रिजवी का हवाला देते हुए कहा गया था कि मामले में समझौता हो गया है। अब इन पक्षकारों ने इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए इसे गलत बताया है और कहा कोइ दावा नहीं छोड़ा गया है न ही कोइ समझौता किया गया है।
याद रहे गुरूवार को सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। संभावना है कि यह फैसला प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की सेवानिवृत्ति से पहले आ जाएगा।
मुस्लिम पक्षकारों के वकील एजाल मकबूल ने बाकायदा एक बयान दाखिल कर शुक्रवार को कहा कि मुस्लिम पक्षकारों ने ऐसा कोई समझौता नहीं किया है। इस ब्यान में कहा गया है – ”ये खबर या तो मध्यस्थता कमेटी या निर्मोही अखाड़ा की तरफ से लीक की गई होगी जो कि मस्जिद पर अपना अधिकार होने का दावा करते हैं।”
ब्यान में इस बात की पुष्टि की गई है कि मध्यस्था के दौरान सिर्फ कुछ लोगों ने ही हिस्सा लिया था जिसमें निर्मोही अखाड़ा के धर्मादास, सुन्नी वक्फ बोर्ड के जुफर फारूकी और हिंदू महासभा के चक्रपाणी शामिल थे। कहा गया है कि मध्यस्थता होना काफी मुश्किल था क्योंकि पक्षकारों ने खुले तौर पर कह दिया था कि वे किसी सुलहनामा के लिए तैयार नहीं है।
इस ब्यान में कहा गया है की ”हम यह साफ़ करना चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के सामने हम याचिकाकर्ता उस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करते हैं जिसे मीडिया में लीक किया गया है। न ही वह प्रक्रिया जिसके जरिये मध्यस्थता हुई और न ही जिस तरीके से दावे को वापस लेने के लिए समझौते का सुझाव दिया गया है।”
मुस्लिम पक्ष के इस ब्यान के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि मामला क्या मोड़ लेता है क्योंकि इस मामले से जुड़ा फैसला सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही सुरक्षित रख लिया है।