अयोध्या मामले में सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ आज (बुधवार) शाम ५ बजे तक आखिरी सुनवाई करेगी। आज सुबह अयोध्या विवाद पर अंतिम सुनवाई शुरू हुई तो प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि अब कोई बीच में टोका-टाकी नहीं करेगा, बहस आज ही शाम ५ बजे खत्म होगी। सुनवाई के दौरान एक ऐसा समय भी आया जब मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने हिंदू पक्ष की ओर से दिखाया गया नक्शा फाड़ डाला।
बुधवार को जब सुनवाई शुरू हुई तो सभी पक्षकारों ने अपनी ओर से लिखित बयान अदालत में पेश किए। बुधवार को सर्वोच्च अदालत में हिंदू और मुस्लिम पक्षकार अपनी अंतिम दलीलें रख रहे हैं। हिंदू पक्ष की ओर से सभी पक्षकारों को अपनी दलील रखने के लिए 45-45 मिनट का समय दिया गया है, साथ ही मुस्लिम पक्ष की ओर से वकील राजीव धवन को एक घंटे का समय दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती देखकर साफ है कि इससे अधिक समय किसी वकील को नहीं मिलेगा।
सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई से पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दावा किया है कि इस मामले में मध्यस्थता का कोई सवाल नहीं है और न ही उन्होंने ऐसा कोई प्रस्ताव रखा है। मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जो भी फैसला सुनाएगा वह मानने के लिए तैयार हैं।
निर्मोही अखाड़ा की तरफ से सुशील जैन ने कहा कि हमारा दावा मंदिर की भूमि, स्थाई संपत्ति पर मालिकाना अधिकार को अधिकार है। मुस्लिम पक्षकारों के इस दावे में भी दम नहीं है कि २२/२३ दिसंबर १९४९ की रात बैरागी साधु जबरन इमारत में घुसकर देवता को रख गए थे। उन्होंने कहा कि ये मुमकिन ही नहीं कि मुसलमानों के रहते इतनी आसानी से वो घुस गए जबकि २३ दिसंबर को शुक्रवार था। इसी के साथ निर्मोही अखाड़ा की दलील पूरी हुई।
फिर शिया वक्फ बोर्ड की ओर से दलील शुरू हुई। शिया बोर्ड की ओर से कहा गया कि हमारा विवाद शिया बनाम सुन्नी बोर्ड को लेकर है, इस पर सुन्नियों का दावा नहीं बनता है। शिया वक्फ बोर्ड की ओर से एमसी धींगड़ा ने कहा कि वहां पर शिया मस्जिद थी, १९६६ में आए फैसले से हमें बेदखल किया गया था। साल १९४६ में दो जजमेंट आए थे एक हमारे पक्ष में और दूसरा सुन्नी के पक्ष में। बीस साल बाद १९६६ में कोर्ट ने हमारा दावा खारिज कर दिया।
इसी के साथ अदालत लंच के लिए उठ गई। लंच के बाद पीएन मिश्रा को और उसके बाद डेढ़ घंटा मुस्लिम पक्षकारों को दिया जाएगा। इससे पहले निर्मोही अखाड़ा की ओर से सुशील जैन ने कहा कि उन्होंने १९६१ का एक नक्शा दिखाया, जो गलत था। उन्होंने बिना किसी सबूत के सूट फाइल कर दिया। वहां की इमारत हमेशा से ही मंदिर थी। ऐसा कोई सबूत नहीं है कि मस्जिद बाबर ने बनाई थी।
निर्मोही अखाड़ा ने रामजन्मभूमि न्यास की दलील का विरोध किया और कहा कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा कि बाबर ने मंदिर गिराया और मस्जिद बनाई। हमने हमेशा कहा है कि वो मंदिर ही था। हमने कभी मुस्लिमों को जमीन का हक ही नहीं दिया।
इसपर जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि जो सूट दायर किया गया है वह टाइटल का है, इसमें एक्सेस की कोई बात नहीं है।
आज सुप्रीम कोर्ट में ऑल इंडिया हिन्दू महासभा की ओर से विकास सिंह ने एडिशनल डॉक्यूमेंट के तौर पर पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल की किताब बेंच को दी गई। इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने ज़ोरदार आपत्ति जताई। राजीव धवन ने कहा कि इसे ऑन रेकॉर्ड न लिया जाए, ये बिल्कुल नई चीज है। कोर्ट इसे वापस कर दें, इसपर अदालत की ओर से कहा गया कि ये किताब वो बाद में पढ़ेंगे।