अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार ने गर्भवती महिलाओं को वीज़ा जारी करने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। इस प्रतिबन्ध के तहत ऐसी महिलाएँ प्रतिबन्धित रहेंगी, जो अमेरिका में बच्चे को जन्म दे सकती हैं या फिर जानबूझकर अमेरिका जाकर बच्चों को जन्म देना चाहती हैं। अमेरिका में गर्भवती महिलाओं पर इस प्रतिबन्ध के मायने क्या हैं। इसका मुख्य कारण अमेरिकी अधिकारियों ने अमेरिका में पैदा होने वाले बच्चों को अमेरिकी नागरिकता यानी पैदा होने वाले बच्चों को अमेरिकी पासपोर्ट मिलने की कोशिश को नाकाम करना बताया है। अब नये नियमों के आधार पर गर्भवती महिलाओं के लिए पर्यटन वीज़ा भी नहीं दिया जाएगा। इस नियम की मानें तो गर्भवती महिलाओं को वीज़ा प्राप्त करने के लिए काउंसलर अधिकारी अथवा अधिकारियों को बताना होगा कि अमेरिका आने के लिए उनके पास कोई दूसरा वाजिब अथवा अति आवश्यक कारण है। इस नये अमेरिकी कानून में कहा गया है कि अमेरिका में बच्चों को जन्म देने के लिए हर साल भारी संख्या में महिलाएँ आती हैं और यहाँ बच्चों को जन्म देकर बड़ी आसानी से वीज़ा अवधि बढ़वा लेती हैं, साथ ही यहाँ पैदा हुए बच्चों को अमेरिकी नागरिता दिलाने में कामयाब भी हो जाती हैं। विदित हो कि ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी सरकार ने इमीग्रेशन के सभी प्रारूपों पर बंदिशें लगाने के साथ-साथ जन्मजात नागरिकता के इस मुद्दे पर एकदम सख्त रुख अपना लिया है।
अमेरिकी अधिकारियों की मानें तो इस वीज़ा को खत्म करने का मकसद गैर-अमेरिकी नागरिकों के बच्चों को अमेरिका में जन्म लेने के साथ मिलने वाली नागरिकता के अधिकार को खत्म करना है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सभी देशों की तुलना में रूस और चीन से बहुतायत की संख्या में महिलाएँ अमेरिका पहुँचकर अपने बच्चों को जन्म देती हैं, ताकि उन बच्चों को बिना किसी झंझट के अमेरिकी नागरिकता मिल सके। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता स्टेफनी ग्रीशम के मुताबिक, अमेरिका की पहली प्राथमिकता है कि वह अपने नागरिकों की अखंडता को सुरक्षित करे। उन्होंने कहा है कि अब अस्थायी बी-1 और बी-2 यात्री वीज़ा को बर्थ टूरिज्म (बच्चों को जन्म देने या जन्म देने की सम्भावना) के लिए जारी नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया है कि बर्थ टूरिज्म के ज़रिये विदेशी गर्भवती महिलाएँ अमेरिका आ जाती हैं और यहाँ आकर बच्चों को जन्म देती हैं, जिससे नवजात की नागरिकता अमेरिका की हो जाती है। यह हमारे अमेरिकी कानून की एक काफी बड़ी खामी थी, जिसे अब दूर किया गया है। ग्रीशम की मानें तो बर्थ टूरिज्म इंडस्ट्री से अस्पतालों की सुविधाओं पर भी खराब असर पड़ रहा था। इसके अलावा अमेरिका में आपराधिक गतिविधियाँ बढ़ रही थीं। उन्होंने कहा है कि गर्भवती विदेशी महिलाओं की अमेरिका यात्रा प्रतिबन्धित होने से न केवल राष्ट्रीय हित सुरक्षित होगा, बल्कि अमेरिकी करदाताओं की मेहनत का पैसा केवल मूल अमेरिकी लोगों के ही काम आयेगा।
अमेरिका के पास नहीं ब्यौरा
यूँ तो अमेरिकी प्रशासन ने बाहरी गर्भवती महिलाओं की अमेरिका जाने वाली महिलाओं पर प्रतिबन्ध लगा दिया, लेकिन सच तो यह है कि अमेरिका के पास यह आँकड़े नहीं हैं कि कितनी विदेशी महिलाएँ अमेरिका पहुँचकर बच्चों को जन्म देती हैं। न ही अमेरिका को यह पता है कि हर साल कितनी विदेशी महिलाएँ बाहर से गर्भवती होकर आती हैं और अमेरिका में आकर उनमें से कितनी बच्चों को जन्म देती हैं। इस मामले में अगर कड़े आप्रवासन नियमों के समर्थक ग्रुप सेंटर फॉर इमीग्रेशन स्टडीज (सीआईएस) की मानें, तो सन् 2012 में तकरीबन 36,000 ऐसी विदेशी महिलाएँ अमेरिका आयीं, जिन्होंने यहीं अपने बच्चों को जन्म दिया। हालाँकि, इस ग्रुप ने यह भी कहा है कि यह महिलाएँ वापस अपने देश भी चली गयीं।
क्या है अमेरिका का मकसद
भारतीय विदेश नीति के विशेषज्ञों की मानें तो अमेरिका ने यह कदम इसलिए उठाया है, ताकि अमेरिकियों को किसी तरह की दिक्कतों का सामना करना न पड़े। इन दिक्कतों में अमेरिका में बढ़ती जनसंख्या के अतिरिक्त वहाँ के नागरिकों को मिलने वाली सुविधाओं का बंदरबाँट होना भी बताया जा रहा है। अमेरिकी सरकार का मानना है कि यदि इसी तरह लगातार बाहरी लोगों के बच्चों को अमेरिकी नागरिकता मिलती रही, तो अमेरिकी लोगों को जनसंख्या वृद्धि की समस्याओं से जूझना पड़ेगा, जिसके भविष्य में गम्भीर परिणाम हो सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें, तो अमेरिका की वीज़ा नीति काफी कठिन है और उससे भी कठिन है अमेरिकी नागरिकता हासिल करना। लेकिन किसी बच्चे के वहाँ जन्म होने पर नवजात को आसानी से नागरिकता मिल जाती है, जिससे अमेरिका की जनसंख्या में और अधिक वृद्धि होती है। इससे ज़ाहिर तौर पर वहाँ के जनसामान्य के लिए आवंटित बजट का वहाँ के मूल नागरिकों को पूरा फायदा नहीं मिल पाता है। साथ ही अस्पतालों पर खर्च का अतिरिक्त भार सरकार पर पड़ता है।
बर्थ टूरिज्म की बढ़ रही माँग
सीआईएस की मानें तो बर्थ टूरिज्म वीज़ा की माँग तेज़ी से बढ़ रही है। इसके चलते बर्थ टूरिज्म अमेरिका और अन्य विकसित देशों में खूब फल-फूल रहा है। सूत्र बताते हैं कि अमेरिकी कम्पनियाँ भी इसमें इज़ाफा करती हैं, क्योंकि वे इसके लिए विज्ञापन जारी करती हैं। क्योंकि उन्हें एक वीज़ा पर होटल में ठहरने और चिकित्सा सुविधा आदि के लिए 80,000 डॉलर तक की आय होती है। इस तरह हर साल इन कम्पनियों को एक बड़ी राशि बर्थ टूरिज्म के ज़रिये प्राप्त होती है। माना जा रहा है कि अमेरिकी सरकार के इस कड़े कदम से इन कम्पनियों को एक बड़ा झटका लगा है।
एक मुश्त देने होते हैं 80,000 डॉलर
बताया जाता है कि अमेरिका में बर्थ टूरिजम के लिए वीज़ा पर एक मुश्त तकरीबन 80,000 डॉलर खर्च करने पड़ते हैं। यह पैसा अमेरिकी टूरिज्म कम्पनियाँ लेती हैं और इसके बदले होटल में कमरा दिलाने के अतिरिक्त गर्भवती महिलाओं को चिकित्सा सुविधा आदि मुहैया कराती हैं। 80,000 डॉलर में कम्पनियों को मोटा मुनाफा होता है। इसके अतिरिक्त वीज़ा लेने वाली महिलाओं को एक मोटी राशि अलग से खर्च करनी पड़ती है। सूत्रों की मानें तो हर साल हज़ारों महिलाएँ सिर्फ बच्चों को जन्म देने के लिए यह राशि खर्च करती हैं, ताकि उनके बच्चों को अमेरिकी नागरिकता मिल सके।
जन्म दिलाने के लिए एक लाख डॉलर तक की वसूली
अमेरिकी अधिकारियों की मानें, तो ‘बी’ वीज़ा के ज़रिये महिलाएँ अमेरिका पहुँचकर हर साल हज़ारों बच्चों को जन्म देती हैं और इसकी संख्या लगातार बढ़ रही है। सेंटर फॉर इमीग्रेशन स्टडीज के अनुसार, 2016 के मध्य से लेकर 2017 के मध्य तक बर्थ वीज़ा के ज़रिये 33 हज़ार बच्चों का जन्म हुआ। अमेरिका में वार्षिक जन्म दर 30 लाख 80 हजार बच्चों की है। विदेश विभाग के मुताबिक, अमेरिका धरती पर बच्चों को जन्म दिलाने के लिए ऑपरेटर एक महिला से 1 लाख डॉलर (71 लाख रुपये से अधिक) वसूलते थे।
कठिन होगा टूरिज्म वीज़ा पर यात्रा करना
व्हाइट हाउस के सूत्रों की मानें तो बर्थ टूरिज्म के नये नियम से गर्भवती महिलाओं के लिए टूरिस्ट वीज़ा पर यात्रा करना अब काफी कठिन काम होगा। नये कानून के अनुसार, विदेश से अमेरिका आने वाली गर्भवती महिलाओं को टूरिज्म वीज़ा हासिल करने के लिए बच्चे को जन्म न देने के मकसद को स्पष्ट करने के साथ-साथ काउंसलर अधिकारी या अधिकारियों को यात्रा के वे कारण बताने होंगे, जो बिल्कुल सत्य हों और प्रसव के मकसद से जुड़े न हों। यानी गर्भकाल के दौरान वीज़ा पर अमेरिका जाने के लिए गर्भवती महिला के पास प्रसव को छोडक़र कोई दूसरी वाजिब और अहम वजह होनी चाहिए। इसी वजह से ट्रम्प प्रशासन ने शुरुआत से ही इमीग्रेशन के सभी प्रारूपों पर बंदिश लगा रहा है और अब राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने जन्मजात नागरिकता के मुद्दे पर यह कड़ा रुख अपनाया है। इसका मकसद गैर-अमेरिकी नागरिकों के बच्चों को अमेरिका में जन्म लेने के साथ मिलने वाली नागरिकता के अधिकार को खत्म करना है, ताकि अमेरिका की जनसंख्या को भी बेतरतीब बढऩे से रोका जा सका।
अमेरिकी सरकार को भी होगा नुकसान
विदेश यात्राओं में लगातार मशरूफ रहने वाले लाल मोहम्मद कहते हैं कि हालाँकि, बर्थ टूरिज्म पर पाबंदी से टूरिज्म के ज़रिये होने वाली आय में कमी आएगी, जिससे अमेरिकी सरकार को भी काफी घाटा होगा। लेकिन यह भी है कि अमेरिकी सरकार ने बड़े मुनाफे और भविष्य की सुरक्षा के लिए इस थोड़े-थोड़े मुनाफे को ठुकराया है। लाल मोहम्मद का कहना है कि इसमें कोई दो-राय नहीं कि इस प्रतिबन्ध से अमेरिकी टूरिज्म एजेंसियों के कारोबार पर असर पड़ेगा, मगर अमेरिकी सरकार ने वहाँ की जनता के हित में यह बड़ा फैसला लिया है। इससे अमेरिकी जनता को भविष्य में बड़े फायदे होंगे।