एशियाई देशों से अमेरिका के खिलाफ एकजुट होने की अपील करते हुए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने गुरुवार को ‘वैश्विक सुरक्षा पहल’ का प्रस्ताव रखा है। एशिया वार्षिक सम्मेलन 2022 के बोआओ फोरम के उद्घाटन समारोह में जिनपिंग ने वैश्विक सुरक्षा के लिए छह सूत्री प्रस्ताव का उल्लेख किया।
जिनपिंग ने हिंद-प्रशांत रणनीति को लेकर अमेरिका पर सीधा हमला करते हुए कहा कि ‘एशियाई देशों को बाहरी ताकतों के खिलाफ एकजुट होना चाहिए।’ जिनपिंग ने कहा – ‘सभी देशों को बातचीत और परामर्श के माध्यम से आपसी मतभेदों और विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने को लेकर प्रतिबद्ध होना चाहिए।’
चीनी नेता ने कहा – ‘सभी देशों को पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों ही क्षेत्रों में सुरक्षा बनाए रखने को लेकर प्रतिबद्ध होना चाहिए। साथ ही क्षेत्रीय विवादों, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा और जैव सुरक्षा जैसी वैश्विक चुनौतियों पर एकजुट होकर काम करना चाहिए।’
जिनपिंग का बयान विवादित दक्षिण चीन सागर में विभिन्न देशों को चीन के खिलाफ एकजुट करने की अमेरिकी कोशिश पर निशाना साधने के रूप में देखा जा रहा है।
बता दें विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन अपने आक्रामक विस्तार का विरोध करने वाली अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति की आलोचना करता रहा है।
इस मौके पर जिनपिंग ने यूक्रेन-रूस युद्ध पर भी विचार रखे। उन्होंने यूक्रेन के खिलाफ रूस के सैन्य हमले की निंदा करने से इनकार कर दिया और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के संभावित विस्तार से रूस की सुरक्षा को खतरा होने पर मास्को की चिंताओं का उल्लेख किया। आक्रमण को लेकर जिनपिंग ने कहा – ‘सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान किया जाना चाहिए।’
‘वैश्विक सुरक्षा पहल’ के अपने प्रस्ताव पर जिनपिंग ने कहा – ‘सभी देशों को एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए। आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की नीति को बनाए रखना चाहिए और विभिन्न देशों में लोगों की अपनाई गई विकास नीति और सामाजिक प्रणालियों का सम्मान किया जाना चाहिए।’
चीनी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि सभी देशों को एक-दूसरे की वैध सुरक्षा चिंताओं को गंभीरता से लेने के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए और अविभाज्य सुरक्षा के सिद्धांत को बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा – ‘एक संतुलित, प्रभावी और टिकाऊ सुरक्षा ढांचे का निर्माण करना चाहिए और दूसरों की सुरक्षा की कीमत पर अपनी सुरक्षा के महत्व की नीति का विरोध करना चाहिए।’