अमेरिका और ईरान के बीच लगातार बढ़ रहे तनाव के बीच सतर्कता की दृष्टि से भारतीय नौसेना ने ओमान और फारस की खाड़ी में अपने युद्धपोत तैनात कर दिए हैं। इसका कारण क्षेत्र में मौजूद या वहां से गुजरने वाले भारतीय पोतों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। कुछ विशेषज्ञों ने इस तनाव के चलते तीसरे विषयुद्ध का खतरा बताते हुए इस तनाव तो टालने की कोशिशे शुरू कर दी हैं।
भारत ने इसे ”ऑपरेशन संकल्प शुरु” का नाम दिया है। भारतीय युद्धपोतों को जिम्मेदारी दी गई है कि फारस की खाड़ी, ओमान की खाड़ी और होरमुज-स्ट्रेट से गुजर रहे भारत के जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित हो। नौसेना ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि भारतीय नौसेना के विमान क्षेत्र में हवाई निगरानी रख रहे हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईएनएस चेन्नई और आईएनएस सुनयना को ओमान की खाड़ी में तैनात किया गया है। नौसेना के टोही विमान भी आसमान से नजर रखें हुए हैं कि भारतीय जहाज सुरक्षित वहां से निकल सकें। दिल्ली के करीब गुरूग्राम में हिंद महासागर के लिए बने इंफोर्मेशन फ्यूजन सेंटर से भी पूरे खाड़ी-क्षेत्र पर नजर बनाए हुए हैं। आशंका है कि ईरान और अमेरिकी नौसेना के बीच टकराव की वजह से दूसरे देशों के पोत चपेट में आ सकते है।
उधर अमेरिका ने अपने विमानों को ईरान और ओमान की खाड़ी से होकर गुजरने पर पहले ही रोक लगा दी है। दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) ने यह घोषणा की। जिस ड्रोन को ईरान ने मार गिराया, उसकी कीमत करीब १२५० करोड़ रुपए थी। इसके पंख बोइंग ७३७ जेटलाइनर से भी बड़े थे। करीब ३० साल पहले अमेरिका की नेवी ने भी ईरान के यात्री विमान को मार गिराया था।
वैसे अमेरिका का कहना है कि जिस ड्रोन को ईरान ने १९ जून को मार गिराया, वह उसके हवाई क्षेत्र में नहीं था। ड्रोन ओमान की खाड़ी के ऊपर नागरिक वायुमार्गों के आसपास के क्षेत्र में था। उधर ईरान की वायुसेना ने कहा कि ड्रोन ईरान के हवाईक्षेत्र में प्रवेश कर चुका था।
अमेरिका-ईरान में बढ़ रहा है तनाव
भारत ने ओमान, फारस की खाड़ी में अपने युद्धपोत तैनात किये