बिहार में महागठबंधन की सरकार के पतन और राजग की सरकार बनने के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पहली बार दो दिन के (12-13 जुलाई) पटना दौरे पर आए। वे अपनी पार्टी और जद (एकी) अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पक्ष में राजनीतिक माहौल बना गए। दोनों नेताओं ने बंद कमरे में बैठक की और प्रसन्न बाहर आए। ऐसे समय में अमित शाह पटना आए और नीतीश कुमार से बातचीत की जब लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर शक शुबहा का दौर चल रहा है। दोनों नेताओं की ओर से यही जताया गया कि उनके लिए यह कोई समस्या नहीं है और समय पर मिल बैठ सीटों का बंटवारा कर लेंगे। उनका इस बार भी जोर था कि राजग के सभी घटकों की एकता मजबूत है। सूबे में लोकसभा की सभी 40 सीटों पर राजग की ही जीत होगी।
भाजपा के नेताओं-कार्यकताओं ने अपने अध्यक्ष का स्वागत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। असल में उन्हें अपना उत्साह और ताकत, दोनों दिखाना था। अमित शाह ने बंद हाल (गांधी सभागार) में राज्य भर के तकरीबन दस हजार नेताओं-कार्यकर्ताओं को पार्टी, संगठन, सरकार, चुनाव संबंधी तमाम महत्वपूर्ण बातें बताई। उनका संकेत था कि लोकसभा चुनाव में ऐसी तैयारी हो कि सभी सीट पर जीत हो। केंंद्र सरकार सूबे के विकास के लिए बहुत कुछ कर रही है। इसका श्रेय लेना चाहिए और प्रचार करना चाहिए। आम लोगों तक अपनी बात पहुंचे। घूमा फिरा कर लोकसभा चुनाव की तैयारी और जीत पर ही उनका जोर था। उन्होंने अपने नेताओं-कार्यकताओं को गौरवान्वित करने के मकसद से यह जिक्र किया कि भाजपा हर परिस्थतियों का मुकाबला कर सकती है। विरोधियों से निपट सकती है। राजग के घटकों को साथ लेकर बखूबी आगे चल सकती है। उन्होंने अपने नेताओं-कार्यकताओं को यह कह कर भी आश्वस्त किया कि अपने साथियों को संभालना आता है। मतलब यह कि लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर किसी घटक की मांग न मानने लायक होगी तो उसे मना लिया जाएगा। यह कोई संकट नहीं है। राजग की स्थिति सबसे अधिक मजबूत है। अमित शाह ने अपने नेताओं और कार्यकताओं को यह एहसास करा दिया कि अध्यक्ष हो तो ऐसा ही हो। वे अतिथिशाला में अपनी पार्टी के नेताओं से भी मिलेजुले। पटना से रवाना होने के पहले जयप्रकाश निवास के दर्शन करने भी गए। अमित शाह के दौरे के मौके पर भाजपा की ओर से पूरी तरह यह दर्शाया गया कि वह सत्ता में है और सत्ता का उपयोग कर सकती है। गांधी सभागार का उपयोग और लोकनायक जयप्रकाश नारायण के निवास के दर्शन के पीछे खास रणनीति ही है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने नीतीश कुमार की ऐसी प्रशंसा की कि उसका खास अर्थ निकलता है। शाह ने कहा कि नीतीश कुमार भ्रष्टाचार के साथ नहीं रह सकते। एक तरह से यह लालू प्रसाद या उनके परिवार या राजग पर हमला था। दूसरे यह भी नीतीश कुमार फिर भाजपा के साथी बन गए यानी भाजपा भी भ्रष्टाचार के खिलाफ है। कहने के लिए तो शाह का पटना दौरा था लेकिन एक तरह से यह नीतीश कुमार आमंत्रण को साकार करना था। उन्होंने पटना आने के बाद नीतीश कुमार के साथ नाश्ता किया और फिर रात में भोजन। राजनीतिकों को यह याद है कि नीतीश कुमार ने कभी नरेंद्र मोदी को भोजन पर न्यौता था और ऐन मौके पर भोजन का कार्यक्रम रद्द कर दिया। उस समय भी नीतीश कुमार राजग में थे और उनकी सरकार थी। नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। जिस दिन नीतीश कुमार ने मोदी को न्यौता था उस दिन भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पटना में बैठक थी। उसके बाद तो नीतीश कुमार और भाजपा में इतना मनमुटाव बढ़ा कि भाजपा से संबंध ही टूट गया। अब जुड़ गया है और नीतीश कुमार व भाजपा साथ-साथ हैं। कहते तो है कि नीतीश कुमार ने अमित शाह को खुश करने में कोई कमी नहीं रहने दी है। फिर अमित शाह भी नीतीश कुमार की मंशा का पूरा-पूरा ख्याल रखेंगे, यह भी साफ हो गया है। वे सूबे में नीतीश कुमार की लोकप्रियता और महत्ता, दोनों समझते हैं।
राजनीतिकों के मुताबिक अमित शाह सूबे में नीतीश कुमार की अगुवाई में राजग की स्थिति मजबूत करना चाहते हैं और केंद्र में भाजपा की अगुवाई में राजग की स्थिति मजबूत करने में नीतीश कुमार को मददगार बनाना चाहते हैं। यों कहें केंद्र में भाजपा और सूबे में नीतीश कुमार का राज कायम रहे। बीच का यह रास्ता फलदायक हो सकता है।