हरियाणा में भाजपा की एक महिला नेत्री सोनाली फोगाट ने पुलिस की मौज़ूदगी में एक सरकारी अधिकारी सुल्तान सिंह की सरेआम पिटाई कर दी। करीब खड़ा पुलिसकर्मी देखता रहा। उसने रोका नहीं। शायद इसलिए, क्योंकि पीटने वाली का रुआब पार्टी में अच्छा-खासा है। भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के अलावा उनकी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में भी अच्छी पैठ है। ऐसे में पुलिस का मूक-दर्शक बने रहना समय का तकाज़ा ही माना जा सकता है।
सोनाली ने हिसार ज़िले के आदमपुर विधानसभा में भाजपा टिकट पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन सफल नहीं हो सकी। बावजूद इसके वह पार्टी में पूरी तरह से सक्रिय है। अनुशासन के तुर्रे पर भाजपा अपने को अन्य दलों से अलग बताते नहीं अघाती; लेकिन इस अनुशासनहीनता पर अभी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। किसी बड़ी नेता ने स्पष्ट तौर पर घटना की निंदा नहीं की; क्यों? जबकि पिटने वाला उसकी सरकार का ही कर्मचारी है। ड्यूटी पर तैनात किसी अधिकारी की सरेआम तमाचे और सैंडल से पिटाई छोटी बात नहीं है। कानून हाथ में लेकर जिस तरह से भाजपा नेत्री सोनाली ने यह दबंगई दिखाई है वह पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं है। घटना का चौतरफा विरोध होने लगा है। सर्व कर्मचारी संघ और खाप पंचायत पीडि़त सुल्तान सिंह के समर्थन में आ गये हैं। आने वाले दिनों में मामला काफी तूल पकड़ेगा। ज़ाहिर है, इससे भाजपा की साख को ही बट्टा लगने वाला है।
आिखर वजह क्या रही कि बालसमंद मंडी परिसर में सोनाली फोगाट ने मंडी बोर्ड के सचिव की यह कहते हुए पिटाई कर डाली कि तुम्हारे जैसे लोगों को जीने का हक नहीं है। कुछ तो रहा होगा, जिसके चलते उन्होंने ऐसी दंबगई दिखायी। वजह बतायी कि उसने (सुल्तान) ने अभद्रता की नतीजन उसे सबक सिखाया गया, ताकि भविष्य में वह गलती करने की हिमाकत न कर सके। अगर आरोप सही हैं, तो पुलिस में शिकायत दी जा सकती है कानून अपने हाथ में लेने की ज़रूरत क्यों आयी? क्या सोनाली के पास ऐसा कोई अधिकार है? क्या किसी पार्टी नेता या पदाधिकारी को ऐसा अिख्तयार है? अन्य दलों में ऐसे जूतमपैजार पर अक्सर पार्टी प्रवक्ता तुरन्त प्रभाव से कार्रवाई के बयान जारी करते दिखते हैं; लेकिन इस मामले में किसी ने स्पष्ट कहने से कन्नी ही काटी।
प्रकरण पर राजनीति शुरू हो गयी है। कुछ इसे भाजपा बनाम कांग्रेस से जोडक़र देख रहे हैं, तो कई न्याय और अन्याय की बता रहे हैं। सोनाली किसानों की शिकायत पर बालसमंद मंडी परिसर पहुँची थी कि 50 किलो चने को पचपन (55) किलो तोला जा रहा है। इसके अलावा खरीद का काम पूरी तरह से नहीं हो रहा है। मंडी का फर्श ठीक नहीं था; गेट लगने वाले थे। इसके अलावा वहाँ शैड की भी ज़रूरत थी, ताकि बारिश से अनाज खराब न हो।
शिकायतें वाजिब थी, लिहाज़ा हलका होने के नाते उन्हें ऐसा करना ही था। सुल्तान सिंह ने जल्द ही सब ठीक कराने की बात कही। कृषि मंत्रालय से इसके लिए फंड की बात कही गयी; लेकिन अधिकारी ने कहा मंडी बोर्ड इसे कराने में सक्षम है। बातचीत में काफी लोग आसपास मौज़ूद रहे। फिर मंडी स्थल के निरीक्षण के दौरान न जाने क्या हुआ कि सुल्तान सिंह को कुछ लोगों ने पीट दिया। ये लोग कौन थे? पार्टी कार्यकर्ता या फिर सोनाली के ही लोग। सुल्तान सिंह इन्हें सोनाली के लोग बता रहे हैं, जबकि सोनाली इन्हें पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ता बता रही है। यह जाँच में ही स्पष्ट हो सकेगा। लेकिन क्या किसी को ड्यूटी पर तैनात सरकारी कर्मी की ऐसे पिटाई करने का हक है? अगर बाहरी लोग हैं, तो सीधे मामला बनता है। पार्टी कार्यकर्ता है, तो अनुशासित माने जाने वाली पार्टी को सच्चाई सामने आने के बाद कार्रवाई करनी होगी।
सुल्तान सिंह पर भी काफी आरोप है, पर इसका मतलब यह कतई नहीं कि खुद ही पुलिस और अदालत की भूमिका निभाये। सैंडल मारते हुए यह कहते हुए तुम्हारे जैसे व्यक्तिको जीने का हक नहीं; का वीडियो बनाने की क्यों ज़रूरत हुई। वीडियो बनाने वाले लौग कौन थे? इसे फिर वायरल करने वाले वे ही लोग थे, जिनका कोई मकसद रहा होगा। इसे विधानसभा चुनाव से जोडक़र देखा जा रहा है।
सुल्तान सिंह ने बताया कि बातचीत में सोनाली ने उन्हें आदमपुर विधानसभा में उनके खिलाफ प्रचार करने की बात कही, जिस पर उन्होंने बिल्कुल इन्कार किया था। शायद इसी बात की कोई खुन्नस रही होगी; लेकिन वाकई मेरा प्रचार से कोई लेना-देना नहीं रहा। चुनाव के इतने समय बाद यह मुद्दा अचानक बातचीत में क्यों आया यह भी जाँच का विषय है। पूर्व सांसद और वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयप्रकाश (जेपी) कहते हैं कि यह मामला राजनीति का नहीं, बल्कि न्याय और अन्याय की लड़ाई है। राज्य सरकार की जाँच निष्पक्ष नहीं होगी। मामला गम्भीर है, लिहाज़ा इसकी सीबीआई जाँच होनी चाहिए। सरकार किसी की भी हो, कोई भी नेता या बड़ा पदाधिकारी क्यों न हो किसी को ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी को मारने का हक नहीं है। लोकतंत्र है, ऐसा होगा तो फिर क्या मतलब रह जाएगा। सांपला मंडी बोर्ड की सचिव सविता सैनी ने कहा कि सुल्तान सिंह किसी महिला के खिलाफ अभद्र टिप्पणी नहीं कर सकते। इस बात पर यकीन करना मुश्किल है। दर्ज़नों लोगों की मौज़ूदगी में अभद्र भाषा और उस महिला के खिलाफ टिप्पणी करना, जिसका राजनीतिक रुतबा है; भरोसा नहीं किया जा सकता। रोहतक मार्केट कमेटी के सचिव दीपक लोचब कहते हैं कि मामले में कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। अगर नहीं हुई, तो व्यापक स्तर पर आन्दोलन शुरू होगा। यह घटना निंदनीय है। कल को किसी के साथ कोई नेता या पदाधिकारी, जब चाहेगा मारपीट करके उसे बेइज़्ज़त कर देगा। कर्मचारियों का भी कोई स्वाभिमान है। अगर यही नहीं रहा, तो फिर काहे की नौकरी। सर्व कर्मचारी संघ ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर सोनाली फोगाट के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं होगी, तो राज्य स्तर पर आन्दोलन शुरू हो जाएगा।
राज्य में खाप पंचायतों का अपना अलग महत्त्व है। ऐसे कई आन्दोलन हुए, जिनमें उनके आगे सरकार को झुकना पड़ा है। पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि पिटाई का वीडियो बनाकर उसे वायरल करना बताता है कि यह सब साज़िश थी। पहले से सब कुछ तय था। अचानक यह सब नहीं हुआ। यह शोभा नहीं देता कि कोई महिला किसी सरकारी कर्मचारी की इस तरह पिटाई करे। खाप पंचायत इस मामले में न्याय चाहती है। अगर न्याय नहीं हुआ, तो इसके नतीजे सरकार को भुगतने पड़ेंगे।
इंडियन नेशनल लोकदल के विधायक अभय चौटाला ने कहा कि सुल्तान सिंह दूध का धुला हुआ व्यक्तिनहीं है। उनके खिलाफ किसानों की शिकायतें गम्भीर हैं। गनीमत यह रही कि किसानों ने अब तक सोनाली फोगाट जैसा काम नहीं किया। उन्होंने पिटाई को सही बताते हुए कहा कि अब आगे से गड़बडिय़ाँ करते हुए सचिव कई बार सोचेगा। मामला हरियाणा राज्य महिला आयोग में पहुँच गया है। आयोग की अध्यक्ष प्रतिभा सुमन ने कहा ऑडियो को सुनकर लगता है कि सचिव सुल्तान सिंह ने वाकई शिकायतकर्ता से अभद्रता की है; लेकिन बिना जाँच ऐसा कोई बयान दिया जाना उचित नहीं है। ऑडियो की बाकायदा जाँच होने देनी चाहिए; उसके बाद किसी नतीजे पर जाना चाहिए। उन्होंने अभी शिकायतकर्ता का भी पक्ष जाना है। सभी से बाचतीत के बाद आयोग किसी निष्कर्ष पर पहुँचेगा। इस मामले में गृहमंत्री अनिल विज ने कहा है कि कानून की नज़र में सब बराबर हैं। कानून अपना काम करेगा और दोषी के खिलाफ कार्रवाई होगी।
परिवार का संताप
इस घटना के बाद से सुल्तान सिंह का परिवार सदमे जैसी हालत में है। उनकी माँ रोते हुए बताती हैं कि उनका सुल्तान किसी महिला का अपमान नहीं कर सकता। उसे साज़िश के तहत पीटा गया। उसे बेइज़्ज़त करना था, इसीलिए उसका वीडियो बनाया और सारे संसार में चला दिया। हमारे परिवार की क्या इज़्ज़त रह गयी? उसने कुछ गलत किया, तो सरकार कार्रवाई करती; लेकिन उसकी पिटाई क्यों की? पत्नी ने बताया कि जिस तरह से उन्हें मारा-पीटा गया है, अगर कुछ हो जाता, तो परिवार के लोगों का क्या होता? वीडियो के बाद उनकी हालत को देखकर बच्चों को रोना आ गया। स्नातक कर रहे उनके बेटे ने कहा कि वह एनडीए के माध्यम से सेना में अफसर बनना चाहता है। लेकिन जब नेता लोग कर्मचारियों को ऐसे पीटेंगे, तो कौन देश-सेवा के लिए जाना चाहेगा? बेटी ने कहा उनके पिता का कोई कुसूर नहीं था। उन्हें बेवजह पीटा गया। हमारे परिवार की इज़्ज़त को नीलाम कर दिया गया। हम इज़्ज़ततदार लोग हैं। हमारे स्वाभिवान को बहुत आघात लगा है। यह आरोप बिल्कुल झूठा है कि उनके पिता ने सोनाली से अभद्र भाषा में कुछ कहा। पिटाई के समय का वीडियो देखें, कैसे डरे हुए हैं; उठ भी नहीं पा रहे हैं। यह शर्मनाक है। सरकार को चाहिए कि वह हमारे परिवार को न्याय दिलाये। सुल्तान सिंह ने बताया कि घटना के बाद वह इतने शर्मसार हुए कि खुदकुशी करने तक की सोची; लेकिन अब कुछ हिम्मत आयी है। वह न्याय के लिए लड़ेंगे। हर वर्ग के लोग उनके साथ हैं। वह किसी तरह का समझौता नहीं करेंगे। हर तरह की जाँच का सामना करने को तैयार हैं। उनके खिलाफ आरोप हैं, तो विभाग उनकी जाँच करा ले; वह तैयार हैं।
सोनाली का पक्ष
छोटे परदे से राजनीति में आयी सोनाली फोगाट भाजपा की कर्मठ कार्यकर्ता हैं। उन्होंने अन्य प्रदेशों में भी पार्टी के लिए प्रचार किया है। टिकटॉक वीडियो की वजह से उन्हें काफी शोहरत मिली है; उन्हें केवल इसी नाम से जाना जाए, यह उन्हें अच्छा नहीं लगता। वह लोगों के बीच रहकर काम करना चाहती हैं। पार्टी ने उनके काम के महत्त्व को समझा और विधानसभा में उन्हें टिकट दिया। हार के बावजूद वह इलाके में सक्रिय हैं। सचिव की पिटाई प्रकरण पर वह स्पष्ट कह चुकी हैं कि उन्होंने (सुल्तान सिंह) ने उनके साथ अभद्रता की। ऐसी कि उसे सार्वजनिक बताया नहीं जा सकता। ऑडियो इसे स्पष्ट समझा जा सकता है। उनकी कोई राजनीतिक खुन्नस नहीं है। मंडी का दौरा उन्होंने किसानों की शिकायतें मिलने के बाद किया था।
सुल्तान का पक्ष
मंडी बोर्ड के सचिव सुल्तान ने अभद्रता पर माफीनामा क्यों लिखकर दिया? अगर उन्होंने कुछ गलत नहीं किया, तो ऐसा करने की क्या ज़रूरत थी? क्या वह गलती के बाद क्षमा माँगकर मामले पर मिट्टी डालना चाहते हैं? इस पर उन्होंने कहा कि माफीनामा उनसे ज़बरदस्ती लिखवाया गया। उन्हें बुरी तरह से मारा-पीटा गया। उन्हें उलटी के साथ चक्कर आ रहे थे। माफीनामा न लिखने की सूरत में बुरे अंजाम भुगतने की धमकी मिल रही थी, तो वह क्या करते? वह एक बार किसी तरह उनके चंगुल से मुक्त होना चाहते थे। वह बेहद डर गये थे। सब कुछ अचानक हुआ, जिसके लिए वह तैयार नहीं थे। उन्होंने मैडम की शान में कोई गुस्ताखी नहीं की। इसका सवाल ही नहीं है। उनके साथ चार-पाँच गाडिय़ाँ थीं। कोई 8-10 लोग उनके साथ थे। मैं तो सम्मानपूर्वक बात कर रहा था। अचानक मैडम ने कहा कि तुमने (सुल्तान) ने गाली दी है। उसके बाद साथ आये लोगों ने उन्हें बुरी तरह से पीटा। बाद में मैडम ने सैंडल से पिटाई की। उसका वीडियो बनाकर उनकी इज़्ज़त को सरेआम नीलाम कर दिया। वह न्याय के लिए हर-सम्भव संघर्ष करेंगे। लोग उनके साथ हैं। उनके दादा स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं।