शांतिकुंज आश्रम के मुखिया और पंडित श्रीराम शर्मा के दामाद डॉ. प्रणव पांड्या के कगुलाफ़ दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया है। छत्तीसगढ़ की पीड़ित युवती ने दिल्ली में पांड्या और उनकी पत्नी शैलजा को नामजद करते हुए दिल्ली के विवेक विहार पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर दर्ज कराई है।
एफआईआर के मुताबिक, 2010 में जब वह 14 साल की थी, तो 16 मार्च 2010 को गांव के एक व्यक्ति के साथ हरिद्वार पहुंची थी। जहां शांतिकुंज गायत्री परिवार में अच्छा भोजन, पढ़ाई, साधन और शादी का बहाना देकर चौकी में भोजन व्यवस्था का काम दिलाया गया था। 21 मार्च 2010 से उसे भोजन और प्रसाद बनाने के लिए रख लिया था।
पीड़िता का कहना है कि जुलाई 2010 को प्रणव को कॉफी देने कमरे में गई थी। आरोप के मुताबिक उसी दौरान उसने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता का कहना है कि इस घटना के एक सप्ताह बाद फिर उसके साथ दो बार दुष्कर्म किया और जान से मारने की धमकी दी गई और चुप रहने के लिए कहा गया। जिसके बाद पीड़िता ने अब रिपोर्ट दर्ज कराई है।
दुष्कर्म मामले में पांड्या ने इसे साजिश करार दिया है। कहा कि मुझ पर यह झूठा आरोप लगाया जा रहा है। प्रणव पांड्या पर लगे आरोप को गायत्री परिवार ने भी बेबुनियाद करार दिया है उन्होंने कहा एक बयान के अंतर्गत कहा गया कि यह आरोप 16 करोड़ भक्तों की भावनाओं को आहत करने की एक नाकाम कोशिश और बड़ी साजिश का एक हिस्सा है।
कौन है पांड्या
पूर्व न्यायाधीश स्व. सत्यनारायण पांड्या के बेटे और शांतिकुंज आश्रम के प्रमुख डॉ. प्रणव पांड्या 1963 से गायत्री परिवार के संपर्क में आए। इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस डिग्रीधारी डॉ. पांड्या शुरुआती वर्षों तक मिशन के कार्यों से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहे। 1969 से 1977 के बीच वह गायत्री तपोभूमि मथुरा और शांतिकुंज हरिद्वार में आयोजित हुए कई शिविरों का हिस्सा बने।
जून 1976 से सितंबर 1978 तक हरिद्वार स्थित भेल और भोपाल के अस्पतालों के इन्टेंसिव केयर यूनिट से जुड़े रहे। इस बीच, वह मिशन के कार्यों से इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने सितंबर 1978 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया और हमेशा के लिए हरिद्वार चले आए। इसी दौरान युग निर्माण योजना मिशन के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा ने हरिद्वार में ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान की स्थापना की थी। हरिद्वार आने के बाद डॉ. प्रणव पंड्या को इस संस्थान का निदेशक बनाया।