उनके भाषण में लक्ष्य के प्रति मज़बूत इरादा पर शब्दों में सरलता थी। समाजवादी पार्टी में दो नंबर पर रहे शिवपाल यादव ने अपनी एक नई राजनैतिक पार्टी का गठन कर दिया है। उन्होंने पार्टी का नाम प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (पीएसपी) लोहिया रखा है। पिछने साल नौ दिसंबर को लखनऊ में रामाबाई अंबेडकर मैदान में उन्होंने जो पहली जनसभा की उसका असर उम्मीद अनुसार ही रहा। एक रणनीति के तहत रैली से कुछ दिन पहले शहर की दीवारों पर जो इश्तिहार लगाए गए उनमें शिवपाल यादव को उन लोगों का मसीहा दर्शाया गया जिनके साथ अन्याय हुआ। यहां उन्होंने अपने भतीजे और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को खुली चुनौती दी है।
शिवपाल यादव का कहना है -‘मेरे पास क्या और कोई विकल्प था। मैंने बहुत इंतजार किया। आखिर कितना मैं अपमान सहता’’। यह बात उन्होंने अपने साक्षात्कार के शुरू में ही कही। अपने खूबसूरत घर में हरे रंग की कुर्सी पर बैठे शिवपाल यादव बहुत कम बोलते हैं, हालांकि उनके मुंह में अब जैसे जुबान आ गई है।
शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी के कार्य करने के तरीके पर निराशा जताई। उन्होंने कहा कि पार्टी अपने लक्ष्यों से भटक गई है और मेरे जैसे बुजुर्ग नेताओं की बातों पर कोई ध्यान नहीं देता। यहां तक कि पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की भी सलाह नहीं मानी जाती। उन्होंने कहा कि निष्काम तरीके से पार्टी की लगातार सेवा करने के बाद वह तब तक पार्टी के साथ खड़े रहे जब तक उन्होंने पार्टी को छोड़ा नहीं। यह समयावधि 40 साल के करीब है। पर जिस तरह उनके साथ व्यवहार किया गया वह शर्मनाक है।
उन्होंने पार्टी के लिए जो भी किया उसकी अनदेखी कर दी गई। उनका अपमान किया गया और उन्हें उस स्थान से हटा दिया गया जो उन्होंने बड़ी मेहनत के साथ बनाया था। इसे वे सहन नहीं कर सके। उन्होंने कहा कि पीएसपी लोहिया सीधे तौर पर किसी पार्टी या व्यक्ति के खिलाफ नहीं है। पर यह उस व्यवस्था के खिलाफ है जिसमें आम आदमी को अपना हक नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि समाजवाद आम आदमी के गुस्से और उसके साथ हुए अन्याय के खिलाफ लड़ाई का मंच है।
उन्होंने दावा किया कि उनके साथ मज़बूत सोशलिस्ट सिपाही हैं, जो विपरीत परिस्थितियों में भी मेरे साथ खड़े रहे और आज भी मेरे साथ हैं।
यह तो पता नहीं कि परिवार के भीतर राजनैतिक ताकत पाने का यह लावा कब से खौल रहा था पर 2017-2018 में यह सामने आ गया। यह समय यादव परिवार के लिए बहुत कठिन रहा है। विभिन्न बातों से आहत शिवपाल सिंह यादव दशकों तक सत्ता के गलियारों में अपने भाई मुलायम सिंह यादव की परछाई बन कर रहे उन्हें भी आखिकार पीछे धकलते हुए पार्टी से निकाल दिया गया।
इस बात ने उन्हें और दुख दिया जब यह कहा गया कि वे अलग पार्टी बना कर राज्य में भाजपा विरोधी खेमे को कमज़ोर कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ”बिल्कुल नहीं, मैंने रैली में भी यह कहा था, हम भाजपा के साथ नहीं जा रहे’’। यह पूछे जाने पर कि वे किस के साथ जाएंगे। शिवपाल ने कहा-”मुसलमान, नौजवान और किसान के साथ रहेंगे’’। उन्होंने कहा कि उनकी बातचीत कुछ छोटे राजनैतिक दलों के साथ चल रही है जो पीएसपी लोहिया के साथ जुडऩा चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वे समाजवाद के सिद्धांतों पर चलते रहेंगे। उन्होंने दावा किया कि उनके सलाहकार पढ़े लिखे अनुभवी लोग हैं जो समाजवाद के सिद्धांतों से जुड़े हैं और उनकी पार्टी के प्रति ईमानदार हैं। समाजवादी पार्टी की तरह उनके सदस्य चापलूस नहीं हैं।
उन्होंने कहा-” मैंने अपना काम पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ किया। क्या यही मेरा अपराध था? इसके बाद शिवपाल यादव ने हिंदी कविता की फोटो कापी दिखाई जिसका शीर्षक था,” ये अपराध था कि मैं उनके साथ था’’ इसके बाद वह पूरी कविता पढ़ कर सुनाई। उन्होंने कहा कि उन्होंने यह कविता जब एक जनसभा में पढ़ी थी तो भारी तालियां सुनने को मिली थीं उन्होंने कहा कि कविता सुनाने के बाद जब उन्होंने लोगों से सवाल किया,” क्या आप मेरे साथ हैं, क्या मैं आगे बढ़ूं।’’ तो लोगों ने भारी समर्थन दिया। फिर मैं चल पड़ा, और अब कोई भी ताकत मुझे रोक नहीं सकती’’।
… कोई किसी का नहीं, झूठे नाते हैं नातों का क्या!
पहली जनवरी 2017 को शिवपाल यादव ने मीडिया के लिए रात्रि का भोज दिया था। जहां उन्होंने इस फिल्मी गाने से अपनी व्यथा इस प्रकार व्यक्त की थी-”कसमें वादे प्यार वफा सब बातें हैं, बातों का क्या, कोई किसी का नहीं ये झूठे नाते हैं, नातों का क्या’’।
इससे पूर्व दिन में एक राष्ट्रीय सम्मेलन में, जिसे डाक्टर रामगोपाल यादव ने बुलाया था में समाजवादी पार्टी दो फाड़ हो गई थी। इसमें शिवपाल यादव पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए थे। अखिलेश यादव को उनके पिता की जगह पार्टी का अध्यक्ष मनोनीत कर दिया गया। इसके साथ ही एक प्रस्ताव पारित कर शिवपाल यादव को राज्य पार्टी के प्रमुख के पद से भी हटा दिया गया।
इससे मुलायम और शिवपाल यादव के खेमों में मातम छा गया। इनसे एक झटके में सारी शक्तियां छीन लीं गई। उस सम्मेलन स्थल पर कोई भीड़-भाड़ वगैरा भी नहीं थीं । न ही नज़र आ रहे थे सुरक्षा गार्ड। ऐसे समय में ‘इंडियन आइडल’ के एक गायक ने एक गाना सुनाया। उसने अपने मेज़बान को दबंग की संज्ञा दी। उसने शिवपाल यादव की जम कर प्रशंसा की। उसने कहा कि उसके हर ‘शो’ में मेजबान को गाना पड़ता है। इस पर खूब तालियां बजी। पर कोई उत्तर नहीं आया। उसने दर्शकों से कहा कि यदि वे नहीं गाते तो कोई बात नहीं वह स्वंय उनकी पसंद का गाना गाएगा।
वहां एक चुप्पी छा गई। हर आदमी अपनी सांसे रोक कर बैठा था। तभी शिवपाल यादव ने पुराना गाना” कसमें वादे प्यार वफा सब बातें हैं बातों का क्या, कोई किसी का नहीं, ये झूठे नाते हैं नातों का क्या’’ गा दिया। एक बार तो वहां पूरी चुप्पी छा गई और साथ ही पूरा हाल तालियों से गूंज उठा। कैमरों की लाइटें चमकीं। यह बात पिछले साल की है ।
लगता है, शिवपाल यादव ने अपने शो की स्क्रिप्ट खुद लिख दी थी।