सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को एक बड़े फैसले में आदेश दिया है कि हर विधानसभा क्षेत्र में एक की बजाए पांच बूथों पर ईवीएम-वीवीपीएटी का औच्चक मिलान होगा। अदालत का यह निर्देश २१ विपक्षी राजनीतिक दलों की याचिका पर सुनवाई के बाद आया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा सुनवाई के दौरान एक वकील की इस याचना को नहीं माना कि याचिका को लंबित रखा जाये क्योंकि ११ अप्रैल से मतदान शुरू हो रहा है।
विपक्ष आरसे से ईवीएम को लेकर सवाल उठाता रहा है। लोकसभा चुनाव में ईवीएम से वेवेपैट के ५० फीसदी मिलान को लेकर २१ विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इसके लिए संसाधनों की समस्या क्यों होनी चाहिए? यह मामला चुनाव प्रणाली में विश्वास को लेकर है।
चुनाव आयोग के पास ईवीएम के साथ वीवीपैट को गिनने और मिलान करने के लिए अधिक लोग होने चाहिए। ये व्यवस्था देश भर के ४७९ ईवीएम आधारित नहीं होना चाहिए बल्कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में होनी चाहिए। सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने दलील दी कि अधिक गिनती का मतलब मानव त्रुटि हो सकती है। चुनाव आयोग द्वारा निष्कर्ष एक तार्किक प्रक्रिया और प्रतिक्रिया पर आधारित हैं क्या याचिकाकर्ताओं द्वारा ऐसी कोई त्रुटि बताई गई है जिसके लिए कोर्ट के हस्तक्षेप की जरूरत हो। क्या यह सारा मामला सिर्फ धारणा सुधारने के लिए है?
दलील सुनने के बाद प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अगर ५० फीसदी ईवीएम और वीवीपैट का मिलान हो तो हर एक विधान सभा क्षेत्र में औसतन १७५ बूथ होंगे। इस पर चुनाव आयोग ने कहा कि अब तक औचक गिनती में कोई खामी नहीं मिली है और कोई भी उम्मीदवार पीठासीन अधिकारी से गिनती की मांग कर सकता है।