देश में विपक्ष अर्थव्यवस्था को लेकर तरह-तरह के सवाल उठाता रहा है, साथ ही देश में बढ़ रही बेरोजगारी को लेकर भी चिंता जाहिर कर चुका है। इसके बावजूद सरकार की ओर से सीधे तौर पर इसे स्वीकार नहीं किया गया है। जीडीपी विकास दर में गिरावट के बाद आंकड़े अच्छे संकेत नहीं दे रहे थे।
अब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था गहरी सुस्ती के दौर में है। इतना ही नहीं, उसने भारत सरकार से इससे निपटने के लिए तत्काल नीतिगत कदम उठाए जाने की जरूरत बताई है। आईएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत के आर्थिक विकास में तेजी आने से बहुत से लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए थे। लेकिन पिछली तीन तिमाही से हालत अच्छी नही ंहै। इसलिए अब सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही तमाम विकास के पहियों को गति दी जा सके।
बता देें कि इससे पहले सितंबर की तिमाही में जीडीपी की विकास दर पिछले छह सालों में घटकर सबसे निचले स्तर यानी 4.5 फीसदी पर आ गई थी। इससे पहले के आंकड़ों में बताया गया था कि 45 वर्षों में बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा है। इतना ही नहीं, बिस्कुट बनाने वाली कंपनियों के मालिक भी कह चुके हैं, लोग अब पांच रुपये का बिस्कुट तक खरीदने में पहले सोचते हैं।
इसके अलावा रियलिटी सेक्टर में तमाम छूट देने के बावजूद रफ्तार नहीं पकड़ पाया है। हाल ही में सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी भी कह चुके हैं कि देश में योजनाओं को पूरा करने के लिए पैसों की कमी है। इसलिए सरकार को जल्द अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए जरूरी कदम उठाने होंगे अन्यथा आने वाले दिनों में विकास की गति और मंद पड़ सकती है।