अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के परिदृश्य के बीच अमेरिका और जर्मनी के गुरुवार को विभिन्न देशों के विदेश मंत्रियों की बुलाई बैठक में चीन, रूस और ईरान शामिल नहीं हुए। बैठक, जिसमें भारत और पाकिस्तान शामिल हुए, में विडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये वर्तमान हालात पर चर्चा की गयी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक बैठक में 24 देशों के विदेश मंत्री शामिल हुए और अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर चर्चा की। इस बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी बलिंकन और जर्मन विदेश मंत्री हेइको मास ने विडियो कांफ्रेंसिंग में सभी विदेश मंत्रियों से बातचीत की। दिलचस्प यह है कि इस में चीन, रूस और ईरान के विदेश मंत्री शामिल नहीं हुए। पाकिस्तान ने बैठक में शिरकत की।
इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस जयशंकर ने किया। बैठक के बाद जयशंकर ने एक ट्वीट में कहा – ‘तालिबान ने जो वादे किये हैं उसे उनपर अमल करना चाहिए। हमारा विरोध अफगानिस्तान की ज़मीन का हमारे खिलाफ किसी भी आतंकी गुट के इस्तेमाल करने को लेकर है और इसे किसी सूरत में मंजूर नहीं किया जाएगा।’
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बैठक में अपने देश का प्रतिनिधित्व किया। याद रहे पाकिस्तान तालिबान का समर्थन कर रहा है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख विदेश से काबुल जाने वाले पहले प्रतिनिधि हैं।
बैठक से जाहिर होता है कि ज्यादातर देश इन्तजार करो और देखो की रणनीति अपनाना चाहते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक बैठक में ज़्यादातर विदेश मंत्रियों ने नए तालिबानी शासन के दावों के विपरीत वहां हो रही घटनाओं पर चर्चा की। यहाँ यह बताना दिलचस्प है कि अफगानिस्तान में महिलाएं और अन्य लोग तालिबान और उसे पाकिस्तान के समर्थन के कारण दोनों का विरोध कर रहे हैं।