हरियाणा पुलिस ने दावा किया है कि राज्य में इस वर्ष के पहले 6 महीनों में अपराधों में 7.88 फीसदी की कमी हुई है। यह कमी जनवरी और जून 2018 की तुलना में दिखी है। पुलिस का कहना है कि अपराध के मामलों में 25 फीसदी की कटौती हुई है। इस तरह हत्या की कोशिशों में भी काफी हद तक काबू पा लिया गया है। हरियाणा पुलिस के डायरेक्टर जनरल मनोज यादव ने कहा कि जनवरी से जून 2010 के दौरान कुल 23834 मामले अपहरण, डकैती, हमले, दंगे ,चोरी, सडक़ दुर्घटना के दर्ज हुए थे। जबकि इसी दौरान 2018 में 25874 मामले दर्ज हुए थे हालाँकि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो एनसीआरबी के अनुसार हरियाणा तीसरे स्थान पर (यानी केरल, दिल्ली के बाद)है। इसके बाद दूसरे राज्यों और केन्द्र शासित राज्यों की सूची है। हालाँकि यह अंक 2017 के हैं। जबकि इसी दौरान 2018 में 25874 मामले दर्ज हुए थे। हालाँकि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार हरियाणा तीसरे स्थान पर यानी केरल, दिल्ली के बाद है। इसके बाद दूसरे राज्यों और केन्द्र शासित राज्यों की सूची है। हालाँकि यह अंक 2017 के हैं। अपराधों की तादाद यानी जनसंख्या में प्रति लाख लोगों पर हुए अपराधों की संख्या जिन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), विशेष और स्थानीय कानून भी जुड़ते हैं। फिर अपराधों की संख्या तक्मीना होता है। केरल में 2017 में (1.84 लाख अपराधी मामले) जबकि दिल्ली में ( 1,107 .1) कुल 2.44 लाख मामले सामने आये। हरियाणा में अपराध दर 802.9 यानी ( 2.24 लाख मामले) थे। 57.1 फीसदी बढ़ोतरी 2016 की तुलना में।
पूरे देश में नागालैंड में अपराध सबसे कम यानी 64.4 फीसदी थी जबकि अखिल भारतीय दर 388.6 रही। उत्तर प्रदेश में 10.1 फीसदी मामले भारतीय दंड संहिता के तहत दर्ज हुए। हत्याओं के मामले में 5.9 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। तकरीबन 28,653 हत्याओं को 2017 में दर्ज किया गया। यानी इसमें 2016 की तुलना में 30,450 की कमी थी। अपहरण के मामलों में 9 फीसदी की बढ़ोतरी 2017 की तुलना में दिखी। जबकि 2016 में 88,008 ऐसे मामले थे। जबकि 2017 मैं यह बढक़र 95893 हो गये भारतीय दंड संहिता में कई नये अपराध भी सूची में शामिल हुए। जैसे बुरे काम में सहयोगी होना, अपराधिक तौर पर धमकाना, धक्का-मुक्की क्रेडिट/डेबिट कार्ड की जालसाज़ी, गायब हुए बच्चों की अलग-अलग श्रेणी मसलन अपहरण और उनसे भीख मँगवाने दूसरे काम कराने और बाल-सेक्स का काम कराना।
बलात्कार के कुल मामले 2017 में 32,599 थे। बलात्कार के शिकार हुई लोगों की तादाद 33,658 थी। इन में 10,221 तो बच्चियाँ/ बच्चे थे। हालाँकि, इस संख्या में 2013 की तुलना में कमी आयी है, जब दर्ज किये गये मामलों और उसके शिकार हुए लोगों की तादाद 33,707 और 33,764 (एनसीआरबी डाटा जो सीएमआईई को दिया जाता है) रही।
महिलाओं के साथ हुए अपराधों (ऐसे मामले जिनमें सज़ा हुई ) वे भारत में 25.5 फीसदी 2017 में थे। दिल्ली में या 35 फीसदी थी। गुजरात और पश्चिम बंगाल में तो सज़ा देने की संख्या मात्र 3.1 फीसदी और 3.2 फीसदी ही रही। नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार ज़्यादातर ऐसे मामले जो पतियों या सम्बन्धियों द्वारा सताने के थे, वह 33.2 फीसदी थे। इसके अलावा महिलाओं की आबरू लूटने के इरादों से हुए अपराधों की संख्या 27.3 फीसदी थी। यह 2017 में 9,013 थी, जबकि 2016 में 6,986 और 2015 में 6,040 थी। राष्ट्रद्रोह के मामले 2017 में 51 थे। जब की 2016 में इस श्रेणी को दर्ज ही नहीं किया गया था। ऑिफशियल सीक्रेट एक्ट के तहत भी दर्ज मामले 30 से घटकर 18 पर 2016 और 2017 में आ गये। भारत में अपराध की एक रिपोर्ट में काफी लम्बा-चौड़ा डाटा कलेक्शन का अवधि है यानी यह अगस्त 2018 में शुरू हुआ और जुलाई 2019 तक चला। 2016 की रिपोर्ट के अनुसार, यह सिलसिला जुलाई 2019 तक चला। 1 रिपोर्ट 2016 में यह जनवरी-फरवरी 2017 से सितंबर 2017 तक है।
अभी नवीनतम एनसीआर में बताया गया है कि यह विस्तार यौन अपराधों से बच्चों को बचाने के लिए प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस) यह यह व्यापक अध्ययन जोड़ा गया। इसमें शेड्यूल कास्ट और शेड्यूल ट्राइब (अत्याचारों को रोकना) और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट है। हरियाणा में 2017 में 1,072 हत्याएँ और 1,099 बलात्कार के मामले दर्ज हुए राज्य में 2,408 मामले दंगे, 26,234 मामले दंगों 26,234 मामले चोरी के 4,169 मामले बच्चों के साथ हुए अपराध और 2,200 मामले नशे यानी नारकोटिक्स ड्रग्स और साइकॉट्रॉपिक सब्सटेंसस कानून के चलते हरियाणा अपराधों के अनुपात में पाँचवें स्थान पर पहुँच गया।
महिलाओं के िखलाफ अपराधों के मामलों में हरियाणा का स्थान पूरे देश में पाँचवाँ है। महिलाओं की प्रति लाख जनसंख्या में 88.7 ऐसे मामले प्रतिबिम्ब हैं। असम (143.3) दिल्ली (133.3) तेलंगना (94.7) और उड़ीसा में (94.5) है। वहीं 2017 में हरियाणा में 11,370 मामले महिलाओं के साथ किये गये अपराधों के थे। यानी तकरीबन 15 .56 फीसदी ज़्यादा 2016 के आँकड़े से। हरियाणा का क्रम 2016 में छठा था। महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज़ से नागालैंड सबसे सुरक्षित राज्य है। छोटा राज्य होने के बावजूद 2017 में हरियाणा में सामूहिक बलात्कार के मामले 159 थे। उत्तर प्रदेश में सामूहिक बलात्कार 676 हुए थे। वहीं 2016 में हरियाणा 191 सामूहिक बलात्कार के साथ चौथे नम्बर पर था। हर महीने 14 बलात्कार की तादाद के साथ गुरुग्राम काफी बदनाम जगह है। इस साल तो शहर से 126 बलात्कारों की सूचना सितंबर में मिली, जबकि इस दौरान यह तादाद 103 की थी। पुलिस के डाटा के मुताबिक, बच्चों के साथ हुए सेक्सुअल अपराधों की संख्या बढक़र 10.4 फीसदी हो गयी और छेड़छाड़ की घटनाओं में 17.8 फीसदी कमी आयी। लेकिन इस अवधि में सामूहिक बलात्कार की संख्या में कोई कमी नहीं हुई। बच्चों के साथ सेक्सुअल अपराधों की संख्या सितंबर तक 138 रही, जबकि पिछले साल यह 125 थी। सामूहिक बलात्कारों की संख्या आठ पर ही रही। तुलनात्मक तौर पर छेड़छाड़ और सेक्सुअल तौर पर परेशान करने के 101 मामलों का पंजीकरण पहले 9 महीने में हुआ, जबकि पिछले साल उसकी तादाद 123 थी। बाल अपहरण के मामले भी घटकर 16 रह गये, जबकि पिछले साल यह 35 थे। लेकिन महिलाओं के साथ अपराधों की संख्या खासी बढ़ी है, जिस कारण यह प्रदेश महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं रह गया है। जो सरकारी आँकड़े आये हैं। उनके अनुसार 2012 में 25000 बलात्कार के मामले थे, जबकि 2016 में 38000 बलात्कार के मामले थे और िफर 2017 में औसतन एक दिन में सबसे ज़्यादा बलात्कार होने की खबरें आयी हैं। अच्छी बात यह भी हुई कि किस तरह महिलाओं ने हिम्मत करके अपराधियों के बारे में पुलिस को जानकारी दी और गिरफ्तारी पर ज़ोर दिया।
राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो) डाटा के तहत 2016 में सामूहिक बलात्कार के 19 मामले थे जो सभी राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा है। राष्ट्रीय औसतन सामूहिक बलात्कार का 0.3 फीसदी रह गया है जबकि हरियाणा में यह 1.5 फीसदी है। पिछले 5 साल में गुरुग्राम में सबसे बलात्कार और हत्या के मामले दर्ज हुए। पिछले साल की तुलना में इस शहर में पहले 9 महीने में 22.3 फीसदी की बढ़ोतरी बलात्कार के मामलों में हुई है।