मिताली के संन्यास के बाद मैदान में नहीं दिख रहा महिला क्रिकेट का बड़ा किरदार
मिताली राज का पहला प्यार भरतनाट्यम था। लेकिन तक़दीर उसे क्रिकेट के मैदान में ले आयी। महज़ 16 साल की उम्र में जिस अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत हुई, वह 23 साल तक चला। अनगिनत रिकॉर्ड बनाकर और देश की महिला क्रिकेट की पहचान बनकर मिताली दोराई राज आज जिस मुकाम पर खड़ी हैं, वहाँ पहुँचने के लिए कड़ी मेहनत, अनुशासन और एकाग्रता की ज़रूरत होती है। इसलिए उनके रिटायरमेंट पर बीसीसीआई ने कहा कि मैदान पर आपके नेतृत्व ने राष्ट्रीय महिला टीम का गौरव बढ़ाया है।
मिताली, जिनकी बायोपिक भी बन रही है; की करियर गाथा आने वाली कई पीढिय़ों को बल्ला थामने के लिए प्रेरित करती रहेगी। उनके पिता सेना में थे और अनुशासन का माहौल उन्हें घुट्टी में ही मिल गया था। भरतनाट्यम भले नृत्य है, क्रिकेट में भी उसी एकाग्रता की ज़रूरत रहती है, जो भरतनाट्यम में होती है। मिताली ने क्रिकेट को भरतनाट्यम जैसी कला की ही तरह जिया। पहले ही एकदिवसीय मैच में शतक और टेस्ट मैच में एक दोहरा शतक इस बात के गवाह हैं कि मिताली किस दर्जे की खिलाड़ी रहीं।
एक कप्तान के रूप में तो उनका रिकॉर्ड पुरुष क्रिकेट से भी इस मायने में बेहतर है कि वह दो ऐसे महिला विश्व कप में कप्तान रहीं, जिसमें भारत फाइनल में पहुँचा। भारत में मिताली दर्ज़नों युवा खिलाडिय़ों के लिए प्रेरणा रही हैं। उन्हें ऐसे ही महिला क्रिकेट का तेंदुलकर नहीं कहा जाता। जब तक वो मैदान में रहीं, दुनिया भर की गेंदबाज़ उनसे ख़ौफ़ खाती रहीं। ज़्यादातर ने माना कि बेहतरीन फुटवर्क वाली मिताली की विकेट लेना मुश्किल काम होता है। एक दिवसीय क्रिकेट में सात शतक इस बात के गवाह हैं कि मिताली कितनी एकाग्रता के साथ मैदान पर उतरती थीं। महिला क्रिकेट के अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड इस बात के गवाह हैं, क्योंकि मिताली दुनिया में (महिला क्रिकेट) सबसे ज़्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी भी हैं। यह सही है कि मिताली के ज़्यादातर रिकॉर्ड टी-20 और एक दिवसीय में हैं, टेस्ट मैच में दोहरा शतक बनाकर उन्होंने कहा कि अगर वे टेस्ट क्रिकेट पर भी पूरा फोकस करतीं, तो अनगिनत रिकॉर्ड उनके नाम होते।
‘मिताली कॉपीबुक स्ट्रोक प्ले की महान् खिलाड़ी रहीं। उनमें अद्भुत प्रतिभा है।’ यह उनके पहले कोच दिवंगत सम्पत कुमार ने भी कहा था। उनका सटीक फुटवर्क उनके कवर ड्राइव का आधार था और गेंद को उठाकर मारने की उनकी कला परिस्थितियों के मुताबिक, अपनी क्रिकेट को ढालने की उनकी क्षमता को दर्शाती थी। यह तकनीक ही थी, जिसने मिताली को खेल के तीनों प्रारूपों में शीर्ष क्रम पर बल्लेबाज़ी करने हौसला दिया। अपने 23 साल के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर में मिताली ने दो पीढिय़ों को अपने खेल से मंत्रमुग्ध किया।
दायें हाथ की बैटर और लेग ब्रेक गेंदबाज़ मिताली महिला इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी हैं। उन्हें अब तक की सबसे महान् महिला क्रिकेटरों में एक गिना जाता है।
मितालीका जन्म 3 दिसंबर,1982 को राजस्थान के जोधपुर में एक तमिल परिवार में हुआ। उनके पिता दोराई राज भारतीय वायु सेना में एयरमैन (वारंट ऑफिसर) थे, और माता लीला गृहिणी। 10 साल की उम्र में ही बल्ला थामने वाली मिताली ने हैदराबाद के कीज हाई स्कूल फॉर गल्र्स में पढ़ाई के बाद उच्च शिक्षा (इंटरमीडिएट) सिकंदराबाद के कस्तूरबा गाँधी जूनियर कॉलेज फॉर विमेन से की। बड़े भाई के साथ क्रिकेट कोचिंग लेने वाले मिताली ने घरेलू क्रिकेट की शुरुआत रेलवे के लिए खेलते हुए की, जहाँ उन्हें सीनियर्स पूर्णिमा राव, अंजुम चोपड़ा और अंजू जैन से बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला।
मिताली 14 साल (1997) की छोटी उम्र में ही भारतीय टीम में चुन ली जातीं; लेकिन विश्व कप के लिए चुनी टीम में वे अन्तिम 14 में जगह बनाने से चूक गयीं। उन्हें सन् 1999 में आयरलैंड के ख़िलाफ़ मिल्टन कीन्स में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में भारत के लिए खेलने का अवसर मिला और पहले ही मैच में मिताली ने 114 रन ठोक दिये। उन्होंने 2001-02 के सत्र में दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ लखनऊ में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करते हुए 17 अगस्त, 2002 को, 19 साल की उम्र में, तीसरे टेस्ट में, करेन रोल्टन के 209 के सर्वोच्च व्यक्तिगत टेस्ट स्कोर का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 214 रन बनाये। उनका यह रिकॉर्ड पाकिस्तान की किरण बलूच ने 242 रन बना कर तोड़ा।
मिताली को रिकॉर्ड मशीन कहा जाए, तो $गलत नहीं होगा। वो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने वाली खिलाड़ी हैं। वो पहली भारतीय और पाँचवीं महिला क्रिकेटर हैं, जिन्होंने विश्व कप मैचों में 1000 रन बनाये हैं। महिला वनडे क्रिकेट इतिहास में सर्वाधिक रन बनाने वाली खिलाड़ी भी वही हैं। उनके नाम 7805 रन दर्ज हैं। उनके नाम महिला वनडे क्रिकेट में दुनिया में सर्वाधिक 71 अर्धशतक बनाने का दुर्लभ रिकॉर्ड भी दर्ज है। यही नहीं, वो एकमात्र ऐसी महिला क्रिकेटर हैं, जिन्होंने तीन देशों के ख़िलाफ़ सर्वाधिक वनडे रन बनाने का रिकॉर्ड बनाया है- इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 2005, श्रीलंका के ख़िलाफ़ 1103 और वेस्टइंडीज के ख़िलाफ़ 701 रन। मिताली के नाम सर्वाधिक महिला वनडे मैच (232) वनडे खेलने के अलावा वनडे कप्तान के रूप में भी सर्वाधिक 155 वनडे मैच खेलने का रिकॉर्ड है। वो एकमात्र ऐसी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने दो विश्व कप फाइनल (2005 और 2017) में भारत की कप्तानी की।
मिताली के नाम 2004-2013 के बीच बिना किसी नागे के लगातार 109 मैच खेलने का दुर्लभ रिकॉर्ड है। महिला टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सर्वाधिक 17 अर्धशतक जडऩे और भारतीय क्रिकेट (पुरुष या महिला) में 2000 रन बनाने वाली वो पहली खिलाड़ी हैं। उनके नाम महिला विश्व टेस्ट क्रिकेट में दूसरा और भारत के लिए इस प्रारूप में सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर (214 रन, 2002 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ टॉन्टन में) बनाने के अलावा झूलन गोस्वामी के साथ इंग्लैंड के ख़िलाफ़ टेस्ट खेलते हुए 7वें विकेट के लिए सबसे बड़ी साझेदारी (157 रन) का रिकॉर्ड भी है।
मिताली राज इन दिनों अपनी बायोपिक ‘शाबाश मिट्ठू’ को लेकर चर्चा में हैं, जो 15 जुलाई को रिलीज होनी है। इसका ट्रेलर पहले ही रिलीज हो चुका है। फ़िल्म में मिताली का किरदार अभिनेत्री तापसी पन्नू निभा रही हैं। इसके ज़रिये मिताली की ज़िन्दगी को बड़े परदे पर लोग देख सकेंगे। हमारे सामाजिक ढाँचे में अन्य महिला खिलाडिय़ों की तरह मिताली को भी घर से लेकर क्रिकेट मैदान तक विरोध और अड़चनों से दो-चार होना पड़ा। उनके माता-पिता ने हमेशा उनका साथ दिया। फ़िल्म के ट्रेलर में इसकी एक झलक दिखती भी है, जब उनका किरदार निभा रही तापसी पन्नू कहती हैं- ‘आठ साल की थी, जब किसी ने यह सपना दिखाया था कि मैन इन ब्लू की तरह हमारी भी एक टीम होगी- वुमन इन ब्लू।’
शुरुआत में मिताली के दादा-दादी उनके क्रिकेट खेलने से ख़फ़ा थे; क्योंकि एक लड़की के खेल में जाने के वे पक्ष में नहीं थे। मिताली का जब भारतीय टीम के लिए चयन हुआ, उन्हें बुनियादी सहूलियतें तक उपलब्ध नहीं थीं। लिहाज़ा वे पुरुष क्रिकेटरों के साथ नेट अभ्यास करती थीं।
मिताली राज ने क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट- टेस्ट, वनडे टी20 में कुल मिलाकर 10,868 रन बनाये, जिनमें आठ शतक शामिल हैं। यह दुनिया में किसी भी महिला खिलाड़ी के बनाये सबसे ज़्यादा रन हैं। उन्होंने जब 8 जून को इंटरनेशनल क्रिकेट के सभी प्रारूपों को अलविदा कहा, तो विश्व महिला क्रिकेट के सबसे बड़े किरदारों में से एक की मैदान से विदाई हो गयी। मिताली, आपको मैदान में हमेशा मिस किया जाएगा।
मिताली राज के रिकॉर्ड
टेस्ट : 12 मैच, 19 पारी, 699 रन, एक शतक, औसत 43.68, उच्चतम 214, चार अर्धशतक, 12 कैच।
वनडे : 232 मैच, 211 पारी, 7805 रन, उच्चतम 125, औसत 50.68, शतक 7, अर्धशतक 64, कैच 64 और गेंदबाज़ी में 8 विकेट।
टी20 : 89 मैच, 84 पारी, 2364 रन, उच्चतम 97, औसत 37.52, अर्धशतक 17 और 19 कैच।