कोरोना महामारी के दौर ने लोगों की ज़िंदगी और काम करने के तौर तरीकों को बदलकर रख दिया है। कोई भी तबका इससे अछूता नहीं है। अब हालात सामान्य हो रहे हैं साथ ही कल से टीकाकरण की शुरुआत भी हो रही है। देशबन्दी से न्याय की उम्मीद में कोर्ट पहुंचने वालों का इंतज़ार और बढ़ा दिया है। इससे वकील तबका भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
10 महीने बीत चुके सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ही सुनवाई हो रही है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट के 500 से अधिक वकीलों ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे को पत्र लिखा है, जिसमें सर्वोच्च अदालत में कोरोना से पहले की तरह सुनवाई शुरू करने की अपील की गई है।
पत्र में वकीलों का कहना है कि सुनवाई का वर्चुअल तरीका असफल और निष्प्रभावी है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट में पहले की तरह कामकाज शुरू हो और सुनवाई की पुरानी व्यवस्था तत्काल बहाल की जाए। कोरोना के चलते देशभर में अचानक लगाये गए लॉकडाउन की वजह से अदालतों में पिछले साल मार्च से वर्चुअल तरीके से सुनवाई हो रही है।
सीजेआई बोबडे को लिखे पत्र में वकील कुलदीप राय, अंकुर जैन और अनुज ने कहा, वर्तमान में सुनवाई का वर्चुअल तरीका फेल हो गया है। वर्चुअल तरीके से हो रही सुनवाई में कई तरह की परेशानियां आ रही हैं। शाखा सही समय पर फोन का जवाब नहीन देती हैं, जिसकी वजह से महत्वपूर्ण मामले लंबित हो जाते हैं। नेटवर्क कनेक्टिविटी के मुद्दों और रजिस्ट्री का उचित प्रबंधन नहीं होने जैसी तमाम खामियां हैं।
पत्र में लिखा गया है कि वर्चुअल सुनवाई के कारण देश के कई नागरिक, विशेष रूप से युवा वकील, पिछले 10 महीनों में महामारी और सुप्रीम कोर्ट के वर्चुअल कामकाज के बीच कठिन दौर से गुजर रहे हैं। किराये के मकानों में रह रहे बहुत से वकीलों को दिल्ली छोड़ना पड़ा है। इसके फायदे कम, नुकसान ज़्यादा हुए हैं। सिस्टम प्रभावी तरीके से न्याय वितरण व्यवस्था के मकसद को पूरा करने में विफल रहा है।