एनसीपी के लीडर अजीत पवार के खिलाफ सत्तर हजार करोड़ के सिंचाई घोटाले की फाइल बंद कर दिए जाने की खबरों को एंटी करप्शन ब्यूरो ने गलत करार दिया है।
सिंचाई घोटाले से संबंधित 9 मामलों की जांच सबूतों के अभाव के चलते बंद करने की खबर मीडिया मे तेजी से फैल गई थी।
एंटी करप्शन ब्यूरो ने इस खबर को अफवाह करार देते हुए कहा है कि सिंचाई घोटाले से जुड़े करीब 3 हजार टेंडरों की भी जांच चल रही है। एसीबी ने इसे रूटीन बताते हुए कहा जिन मामलों में पहले से जांच चल रही है वह आगे भी चलती रहेगी।
NCP चीफ शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने शरद पवार (शरद पवार के अनुसार)को बिना बताए बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना दी। इस नई सरकार में देवेंद्र फडणवीस दोबारा चीफ मिनिस्टर बने और अजित पवार डेप्युटी चीफ मिनिस्टर बने हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी से मिलकर दावा किया कि उनके पास सरकार बनाने के लिए जरूरत से अधिक विधायकों का सपोर्ट है।
उधर सत्ता पर काबिज की तैयारी में बैठे शिवसेना एनसीपी और कॉन्ग्रेस ने इस तरह की सरकार को गैर संवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। मामले की सुनवाई कल 26 नवंबर को है।
याद रहे कि एनफोर्समेंट डिरेक्टरेट ने कुछ समय पहले ऐंटी करप्शन ब्यूरो से सिंचाई घोटाले से जुड़े डॉक्यूमेंटस मंगाए थे। इस घोटाले को ईडी कुछ समय से इनवेस्टिगेट कर रहा है।
गौरतलब है कि 2012 में यह सिंचाई घोटाला सामने आया था। महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के रिजीम में 35 हजार करोड़ करोड़ की गड़बड़ियां सामने आईं थीं। इसी साल ‘जनमंच’ नामक एनजीओ ने हाईकोर्ट के नागपुर खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर कर सिंचाई परियोजनाओं में 70 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप लगाते हुए मामले की जांच सीबीआई द्वारा कराने की मांग की।
अजित पवार आरोप थे कि उन्होंने अपने डेप्युटी चीफ मिनिस्टरी के दौरान सिंचाई से जुड़े हर तरह के प्रॉजेक्ट्स और उनके बढ़ते हुए बजट को मंजूरी दी थी जिसके चलते वह शक के दायरे में आ गए थे। सिंचाई घोटाले के अलाव पवार महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में भी आरोपी हैं।
महाराष्ट्र में सिंचाई परियोजनाओं के घोटाले और भ्रष्टाचार को लेकर तत्कालीन सरकार के खिलाफ ऐसी लहर चली कि सूबे की सत्ता ही बदल गयी।