अचंभा नहीं, यदि गुजरात के नतीजे चौंकाएं

Ghogha
गुजरात में यानी बाइस साल बाद जबरदस्त मुकाबला है। विधानसभा की एक-एक सीट पर क्या नतीजे आएंगे उन पर हर कहीं सिर्फ बहस हो रही है। अजेय मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी इस बार वहां मैदान में नहीं हैं। लेकिन इस साल के हर महीने और पिछले महीने भी उन्होंने प्रदेश का तीन बार सघन दौरा किया। इससे वे तकरीबन ग्यारह हज़ार करोड़ की योजनाओं की घोषणाएं कर चुके हैं। राष्ट्रीय फलक पर उनके होने का जादुई प्रभाव ज़रूर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ऐसे नतीजे लाएगा जो चौंकाने वाले होंगे।
उधर कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष के सामने ज़रूरी मौका है कि वह राज्य में विभिन्न जाति-समुदाय बंटे में युवाओं को साथ ले कर आरक्षण, बेरोज़गारी, महंगाई के नाम पर विभिन्न समुदायों को एकजुट करने वाले युवा नेता हार्दिक पटेल (पटेलों के नेता) अल्पेश ठाकुर (ओबीसी जातियों के नेता) और जिग्नेश मेवाणी (दलित, आदिवासी, पिछड़ों के नेता) को साथ लेकर पूरे राज्य में ऐसा प्रचार -प्रसार कर जिससे कांग्रेस को ऐसे नतीजे मिलें जिससे वे खुद भी चौंके।
दोनों ही बड़ी पार्टियों के नेता धुआंधार चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। दोनों के ही चुनाव विशेषज्ञ साम, दंड, भेद से अपने-अपने रंग तरह-तरह के दृश्यों में भर रहे हैं। तमाम छोटे राजनीतिक दल भी इन्हीं दोनों पार्टियों के खेमे में अपनी सक्रियता बनाए हुए हैं। गुजरात में नौ दिसंबर को पहले चरण और दिसंबर को दूसरे चरण का मतदान होगा।
गुजरात का चुनाव इस मायने में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके नतीजों का असर अगले साल कर्नाटक (अप्रैल 2018), मध्यप्रदेश (दिसंबर 2018), राजस्थान (दिसंबर 2018) के चुनावों पर खासा पड़ेगा। इसके बाद तो आम चुनाव (मई 2019) होना ही है।
मतदाताओं को लुभाने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले ही महीने गुजरात में ढेरों नीतिगत घोषणाएं कीं। इसमें ब्याज मुक्त कृषि कर्ज, नया गुजरात औद्यौगिक विकास कारपोरेशन इकाईयां, रु .2.11  लाख करोड़ की सरकारी बैकों के लिए पूंजी, और भारतमाला परियोजना के लिए मूलभूत संसाधन की व्यवस्था और बहुत कुछ ऐसी योजनाएं हैं जिनसे मतदाता राज्य के धन-धान्य से पूर्ण होने की आस में भाजपा के पक्ष में मन बना सकते हैं। यह एक सच्चाई है कि आज़ादी के बाद से ही तमाम राज्यों की तुलना में गुजरात को सबसे ज्य़ादा संसाधन मिलते रहे हैं। हालांकि उनका समुचित उपयोग सिर्फ कुछ बड़े घरानों में ही सीमित रह गया। जन साधारण तक नहीं पहुंच पाया।
ज्य़ादातर बाज़ारों और व्यावसायिक क्षेत्रों मेें यह माना जा रहा है कि भाजपा की ही सरकार प्रदेश में बनेगी। क्योंकि तभी राजनीतिक स्थायित्व और आर्थिक सुधारों की स्थिति होगी। भाजपा की जीत से पूरे देश में मोदी की लोकप्रियता को चार चाँद लग जाएंगे। दूसरे गुजरात में बाज़ार, व्यापार खूब पनपेगा। किसी विदेशी निवेशक के लिए भी निवेश की गुजाइश तब बनती है जब शांति, पानी, बिजली और ज़मीन पाने की उसकी इच्छा बिना किसी परेशानी के पूरी हो पाती है।
‘एक पैसे की भी मदद नहीं, विकास विरोधी सरकारों कोÓ
वड़ोदरा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने (22 अगस्त) को 3650 करोड़ की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास करते हुए कहा यह मेरा सम्मान है। विपक्षी दल कांग्रेस पर गरजते हुए उन्होंने कहा, कांग्रेस गुजरात में चुनाव की तारीख हिमाचल चुनाव के साथ घोषित करने पर भारत के निर्वाचन आयोग पर सवाल उठा रहे हैं। कांग्रेस का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि उन्हें चुनाव आयोग पर ऊंगली उठाने का हक नहीं है क्योंकि पुनॢगनती में राज्यसभा की अकेली सीट कांग्रेस अगस्त महीनेे में जीत सकी। उन्होंने उन राज्य सरकारों को चेतावनी दी कि जो विकास के विरोधी हैं उन्हेंं कें द्र सरकार से कोई मदद नहीं मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने वडोदरा म्यूनिसिपल कारपोरेशन के लिए 1,140 करोड़ रु पए और हिंदुस्तान पेटूोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) की तकरीबन 1,040 किमी लंबी मुंद्रा-दिल्ली पेटूोलियम प्रोडक्ट पाइप लाइन (एमडीपीएल) को वर्तमान क्षमता पांच को बढ़ाकर आठ मिलियन मैटिूक टन प्रति वर्ष (एमएसटीपीए) की कुल लागत 1,879 करोड़ करने की घोषणा की।
गुजराती में उन्होंने कहा कि एक दिन में उन्होंने ने 3650 करोड़ के विकास कार्यों के लिए धनराशि घोषित की है। यह मेरा सम्मान है। एक जमाना था जब पूरे गुजरात का बजट रु पए आठ हज़ार करोड़ मात्र होता था। आज वडोदरा में उद्घाटन, शिलान्यास ही रु पए 3650 करोड़ मात्र के हैं। यह अभूतपूर्व है। वे (विपक्ष) पूछते हैं कि दीवाली के बाद वे गुजरात में क्या करने को हैं? अरे, क्या वडोदरा का मुझ पर अधिकार नहीं।
मोदी ने 2014 में वडोदरा से भी लोक सभा चुनाव लड़ा था। बिना कांग्रेस का नाम लिए उन्होंने कहा कि मुझसे तो वे सीधे कुछ कहा नहीं सकते थे। इसलिए भारत के निर्वाचित आयोग में खिलाफ बोलने लगे। हिमाचल में चुनाव की तारीख घोषित हो गई है लेकिन गुजरात में जहां चुनाव होने है। वहंा की तारीखें अब तक घोषित नहीं हुई। आचार संहिता लागू नही हुई।
हम भी प्राथमिकता विकास है। हम चाहते हैं कि जनता के पैसे का इस्तेमाल हर नागरिक को स्वस्थ बनाए रखने और विकास कार्य में हो। मोदी ने कहा, पिछली सरकारों ने चाहे जनता पार्टी के मोरारजी देसाई की ही सरकार हो विकास नहीं हुआ। गुजरात के मुख्यमंत्री 1977 में 1979 तक बाबू भाई पटेल मुख्यमंत्री थे। तब राज्य को थोड़ा लाभ हुआ।
रो-रो फेरी भी शुरू
गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार रो-रो फेरी की शुरूआत थी की। इसके जरिए सौ गाडिय़ां (कार, बसें और ट्रक) और 250 यात्री भी देश के। बंदरगाहों घोघा और दाहेज में जा सकेंगी। यह रो-रो फेरी खम्भात की खाड़ी, यानी सौराष्ट्र की प्रायद्वीप और दक्षिण गुजरात में होगी। सौराष्ट्र का भावनगर जि़ला खाड़ी पार उटकिया दूर भड़ौच जि़ले में है।
इस फेरी सेवा परियोजना की लागत रु पए 614 करोड़ मात्र है। इसके अलावा घोघा और दाहेज में रु पए 117 करोड़ मात्र की लागत से ड्रेजिंग की व्यवस्था भी की गई। गुजरात सरकार तमाम नौसैनिक और बंदरगाह के अलावा राज्य के 1600 किमी लंबी समुद्री सीमा पर चौकसी भी बरतती है।
फेरी सेना से घोघा, सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के दाहेज में जहां लोगों को जाने आने में सात से आठ घंटे लगते थे। वह दूरी जो 360 किमी की है उसमें अब 31 किमी कमी आएगी और अवधि एक घंटा और कुछ मिनट में सिमट जाएगी। इससे गुजरात में संपर्क बढ़ सकें गे और मूलभूत संसाधन पूरे होंगे। कच्छ की खाड़ी में 2016 में देवभूमि द्वारिका जिला और कच्छ जिले की मंडावी के बीच कच्छ सागर सेतु पैसेंजर फेरी सेवा ज़रूर शुरू हुई लेकिन तकनीकी और वित्तीय चुनौतियों के चलते वह बंद हो गई।
कांग्रेस और युवा नेता
गुजरात के पाटीदारों (पटेलों) की अर्से से मांग रही है आरक्षण की। ज्य़ादातर पाटीदारों में बेरोजगारी है। घर में उद्योग धंधे नहीं है और कृषि कार्य भी नहीं के बराबर है। इन लोगों को युवा नेता हार्दिक पटेल ने संगठित किया और एक अर्से से यह आंदोलन चल रहा है। गुजरात में तकरीबन 29 फीसद पाटीदार हैं। काग्रेस के गुजरात प्रभारी अशोक गहलोन ने पिछले काफी समय ये गुजरात की तीनों युवा नेताओं हार्दिक पटेल (पाटीदार नेता), अल्पेश ठाकुर (ओबीसी जातियों के नेता) और मेवाणी (दलित, आदिवासी नेता) से निरंतर संपर्क रखा। उन्होंने बताया कि गुजरात पुलिस और खुफिया एजंसियों ने (सोमवार 23 अक्तूबर)को उस होटल से सीसीटीवी फू टेज ले लिए जिनसे यह पता चलता है कि वे कहां रहे और हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकुर से उनकी मुलाकात हुई। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी इनकी मुलाकात हुई। किसी से मिलना या न मिलना किसी के साथ जाना-आना निजी आज़ादी है। कोई भगोड़ा तो क्या लेकिन गुजरात सरकार की खुफिया एजंसियों और पुलिस ने होटल के प्रबंधकों से कहा कि वीवीआईपी लोगों की सुरक्षा के लिहाज से हमने ये फूटेज दिए।
गहलोत के अनुसार अल्पेश अब कांग्रेस के साथ हैं। वे चुनाव भी लड़ सकते हैं। हार्दिक भी कांग्रेस के साथ हैं लेकिन वे चाहते हैं कि कांग्रेस के पास पाटीदारों के लिए नौकरियों में आरक्षण का क्या फार्मूला होगा। अभी उनकी उम्र कम है। इसलिए वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनके लोग कांग्रेस के साथ हो सकते हैं।
अशोक गहलोत ने पूछा, महात्मा गांधी के गुजरात में यह सब क्यों हो रहा है। क्या अल्पेश ठाकुर, हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवाणी भागे हुए लोग हैं। इन युवा नेताओं से मैंने भी मुलाकात की सरकारी अफसरों ने सीसीटीवी फूटेज मीडिया को दे दी। इस पूरे प्रसंग पर गुजरात के गृहमंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने कुछ भी कहने से इंकार किया। पुलिस कमिश्नर एएससिंह ने भी कोई टिप्पणी नहीं की।